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फाइल फोटो Photograph: (वाईबीएन)
प्रयागराज, वाईबीएन विधि संवाददाता।इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2007 में रामपुर स्थित सीआरपीएफ कैंप पर हुए आतंकी हमले के दोषियों की मौत और उम्रकैद की सजा को पलट दिया है। कोर्ट ने फांसी व उम्रकैद की सजा रद कर दी है। किंतु शस्त्र अधिनियम की धारा 25 मे दस साल की कैद व प्रत्येक को एक लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है।और बाकी सजा पूरी करने का निर्देश दिया है। 2019 में, सत्र न्यायालय ने मोहम्मद शरीफ, सबाउद्दीन, इमरान शहजाद और मोहम्मद फारूक को मौत की सजा सुनाई थी, जबकि जंग बहादुर खान उर्फ बाबा को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। दो अन्य, मोहम्मद कौसर और गुलाब खान को बरी कर दिया गया था। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा तथा न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया।
लचर विवेचना करने वाले पुलिस पर कार्रवाई की सरकार को छूट
कोर्ट ने कहा चश्मदीद गवाहों ने शिनाख्त परेड में पहचानने में गलती की। कहा अंधेरा था, अभियुक्त पहचान में नहीं आये। जहां तक परिस्थिति जन्य साक्ष्य का प्रश्न है,1जनवरी 8को लिया गया फिंगर प्रिंट सुरक्षित नहीं रखा गया।बरामद असलहों को माल खाने में जमा नहीं किया गया।घटना की विवेचना दोषपूर्ण रही। जिसके कारण अभियुक्त बरी हुए। अभियोजन संदेह से परे अपराध साबित करने में विफल रहा। पुलिस लापरवाही पर सरकार को विभागीय कार्यवाही करनी चाहिए। कोर्ट ने सरकार को लापरवाह पुलिस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच कार्यवाही करने की छूट दी है।
हमले में 7 जवान एक रिक्शा चालक की हुई थी मौत
31 दिसंबर, 2007 के हमले में सीआरपीएफ के सात जवान और एक रिक्शा चालक शहीद हो गए थे। आतंकवादियों ने कैंप पर गोलीबारी की थी और ग्रेनेड फेंके थे। मुख्य साजिशकर्ता सैफुल्लाह बाद में 18 मई, 2025 को पाकिस्तान में मारा गया था।
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