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प्रयागराज, वाईबीएन विधि संवाददाता।पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की मुरादाबाद स्थित कोठी को लेकर चल रहा विवाद अब समाजवादी पार्टी (सपा) के पक्ष में जाता दिख रहा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को प्रशासन द्वारा कोठी खाली कराने के आदेश पर रोक लगा दी है। अदालत ने स्पष्ट किया कि प्रशासन की कार्रवाई वैध नहीं कही जा सकती, इसलिए डीएम द्वारा जारी किए गए नोटिसों को रद्द किया जाता है। दरअसल करीब 3 महीने पहले मुरादाबाद के जिलाधिकारी अनुज सिंह ने मुलायम सिंह यादव के नाम पर पिछले 31 वर्षों से अलॉट इस सरकारी आवास का आवंटन रद्द कर दिया था। डीएम ने यह कहते हुए आदेश जारी किया था कि अब यह संपत्ति सरकारी है और इसे अन्य सरकारी प्रयोजनों के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। साथ ही, 30 दिन के भीतर कोठी खाली करने का नोटिस भी जारी कर दिया गया था।
अखिलेश यादव ने जताई थी नाराजगी
प्रशासनिक कार्रवाई के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सरकार पर तीखा हमला बोला था। उन्होंने कहा था, “अगर अधिकारी बुलडोजर लेकर पहुंचे, तो भाजपा के स्मारक भी महफूज नहीं रहेंगे।” उनके इस बयान के बाद मामला राजनीतिक रूप से और गरम हो गया।
सपा जिलाध्यक्ष ने दाखिल की थी याचिका
डीएम के आदेश के खिलाफ सपा जिलाध्यक्ष जयवीर यादव ने 19 सितंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। पहले 25 सितंबर को सुनवाई होनी थी, लेकिन तारीख आगे बढ़ गई। इसके बाद 9 अक्टूबर को हुई सुनवाई में कोर्ट ने कोठी खाली कराने के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी।
डबल बेंच ने सुनाया फैसला
मंगलवार को जस्टिस अरिंदम सिन्हा और जस्टिस सत्यवीर सिंह की डबल बेंच ने मामले की विस्तृत सुनवाई की। प्रशासन की ओर से दलील दी गई कि कोठी का उपयोग राजनीतिक गतिविधियों के लिए किया जा रहा है, जो सरकारी आवास नीति के अनुरूप नहीं है। वहीं, सपा की ओर से पेश वकील ने कहा कि कोठी का उपयोग किसी अवैध उद्देश्य के लिए नहीं किया जा रहा है और प्रशासन की कार्रवाई पूरी तरह राजनीतिक द्वेष से प्रेरित है। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने कहा कि प्रशासन की कार्रवाई न्यायसंगत नहीं ठहराई जा सकती। इसलिए नोटिसों को रद्द किया जाता है और सपा को कोठी पर यथास्थिति बनाए रखने की अनुमति दी जाती है।
राजनीतिक हलकों में चर्चा
हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद सपा खेमे में खुशी का माहौल है, जबकि प्रशासनिक गलियारों में चर्चा है कि अब सरकार आगे क्या कदम उठाएगी। माना जा रहा है कि राज्य सरकार इस आदेश के खिलाफ अपील करने पर विचार कर सकती है।
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