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इलाहाबाद हाईकोर्ट फाइल फोटो Photograph: (Social Media)
प्रयागराज, वाईबीएन विधि संवाददाता।इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि केंद्र सरकार ने देश में व्यापार को आसान बनाने के लिए जीएसटी व्यवस्था लागू की, लेकिन राजस्व अधिकारी इसकी मूल मंशा के विरुद्ध काम करने पर तुले हुए हैं। और योजना को विफल कर रहे। सेफकॉन लाइफ साइंस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर एक टैक्स याचिका को स्वीकार करते हुए, न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल ने कहा कि जब करदाता द्वारा माल की वास्तविक आवा-जाही साबित कर दी गई हो और संबंधित प्राधिकारी द्वारा उसका खंडन नहीं किया गया हो। तो माल एवं सेवा कर (जीएसटी) अधिनियम, 2017 की धारा 74 के तहत कार्यवाही अनुचित है। उक्त प्रावधान के तहत कार्यवाही तब शुरू की जा सकती है जब करदाता ने भुगतान नहीं किया हो या कम भुगतान किया हो या गलत तरीके से धन वापस किया हो, या इनपुट-टैक्स क्रेडिट का गलत तरीके से लाभ उठाया गया हो या धोखाधड़ी या जानबूझकर गलत बयानी या तथ्यों को छिपाकर उसका उपयोग किया गया हो।
धारा 74 की आड़ में डीलरों को परेशान करने का आरोप
कोर्ट ने 9 सितंबर के अपने फैसले में कहा, जब सरकार को पता चला कि अधिनियम की धारा 74 की आड़ में विभिन्न डीलरों को परेशान किया जा रहा है, तो उसने 13 दिसंबर, 2023 को एक परिपत्र जारी किया, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि यदि धोखाधड़ी, जानबूझकर गलत बयानी या कर भुगतान से बचने के लिए तथ्यों को छिपाया गया हो, तो अधिनियम की धारा 74 के तहत कार्यवाही शुरू की जा सकती है, अन्यथा नहीं। याचिकाकर्ता ने दलील दी कि यूनिमैक्स फार्मा केम, पुराना तालुका भिवंडी, ठाणे के साथ कुछ लेन-देन किए गए थे, जिनके लिए चालान, ई-वे बिल और परिवहन बिल तैयार किए गए थे। यह दलील दी गई कि सभी लेन-देन बैंकिंग माध्यमों से हुए थे और दूसरी कंपनी द्वारा लेन-देन की घोषणा की गई थी।
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