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फाइल फोटो Photograph: (वाईबीएन)
प्रयागराज, वाईबीएन विधि संवाददाता। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन इलाहाबाद एवं भारतीय भाषा अभियान, काशी प्रान्त, उच्च न्यायालय इकाई के संयुक्त तत्वावधान में ऐतिहासिक लाइब्रेरी हाल में हिन्दी दिवस पखवाड़ा के तहत गुरुवार को न्यायपालिका में हिन्दी की उपयोगिता और महत्व विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई। जिसकी अध्यक्षता हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश पाण्डे एवं संचालन महासचिव अखिलेश कुमार शर्मा ने किया। मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति अजीत कुमार, विशिष्ट अतिथि न्यायमूर्ति डॉ शेखर कुमार यादव, न्यायमूर्ति डॉ गौतम चौधरी, न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव, न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता, अपर महाधिवक्ता महेश चन्द्र चतुर्वेदी, मुख्य स्थाई अधिवक्ता शीतला प्रसाद गौड़ उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन से हुई। अतिथियों का स्वागत अंगवस्त्र, स्मृति चिन्ह भेंटकर किया गया।
न्यायमूर्तियों ने रखे विचार
न्यायमूर्ति डॉ शेखर कुमार यादव ने कहा कि हिन्दी हमारी राष्ट्रीयता का प्रतीक एवं हमारी संस्कृति की पहचान है। हिन्दी जैसी सुमधुर और प्यारी भाषा दुनिया में और कोई हो ही नहीं सकती। हिन्दी भाषा का कोई विकल्प नहीं है। मुख्य वक्ता न्यायमूर्ति डॉ गौतम चौधरी ने कहा कि हिन्दी में निर्णय देने के लिए अधिवक्ता ही मेरे प्रेरणा श्रोत रहे हैं। जिनकी प्रेरणा के कारण ही 27 हजार निर्णय हिन्दी में ही दिए हैं। न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव ने कहा कि हिन्दी को आगे बढ़ाने में भारतीय भाषा अभियान का बहुत बड़ा योगदान है। आज मैंने छह आदेश एवं एक निर्णय हिन्दी में ही दिए। भविष्य में भी यहाँ पर उपस्थित न्यायमूर्ति की ही नकल करने की कोशिश करते हुए हिन्दी में निर्णय करूंगा। न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायमूर्ति डाॅ. डी वाई चन्द्रचूड की पहल थी कि प्रदेशीय भाषा में उच्चतम न्यायालय के भी निर्णयों का अनुवाद होना चाहिए और जनता को उन्हीं की भाषा में निर्णय उपलब्ध होना चाहिए। मेरा यह प्रयास है कि हिन्दी भाषी राज्यों के उच्च न्यायालयों में हिन्दी में ही निर्णय पारित हो।
अधिवक्ताओं ने भी संगोष्ठी में रखे विचार
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, इलाहाबाद के उपाध्यक्ष अमित कुमार सिंह सोनू ने कहा कि न्यायालय मात्र कानून का घर नहीं, विश्वास का घर भी है। विश्वास तब गहराता है जब न्याय की भाषा, जनता की भाषा से मिलती हो। हमारे संविधान इसी सामंजस्य का मार्ग दिखाया। हिन्दी को राजभाषा का सम्मान दिया, पर साथ ही सभी भारतीय भाषाओं की गरिमा सुरक्षित रखती है।प्रसिद्ध कवि डॉ श्लेष गौतम ने हिन्दी पर अपनी कविता से कार्यक्रम में उपस्थित सभी का मन मोह लिया। प्रतिभा दीक्षित एवं अजय मिश्र द्वारा कविता पाठ किया गया। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश पाण्डे ने कहा कि हम लोग व्यवसायिक भाषा का ही प्रयोग करते हैं, लेकिन हमारे अंदर हिन्दी में विचार आने चाहिए। निचली अदालतों में हिन्दी में निर्णय आते है तो हमारे लिए मातृभाषा हिन्दी में कार्य करना कोई मुश्किल कार्य नहीं है। अजय कुमार मिश्र पूर्व उपाध्यक्ष एवं संयोजक भारतीय भाषा अभियान, काशी प्रान्त ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर हिंदी में कार्य करने वाले अधिवक्ताओं को सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर कमलेश कुमार द्विवेदी अमित कुमार सिंह, विवेक मिश्र, राज कुमार त्रिपाठी, हनुमान प्रसाद मिश्र, दिनेश वरूण, बैरिस्टर सिंह, शशि कुमार द्विवेदी, रामेश्वर दत्त पाण्डेय, बिन्दु कुमारी, अंजनी कुमार मिश्र, अंजली सिंह तोमर, कनक कुमार त्रिपाठी, दिवांशु तिवारी, बलदेव शुक्ल, अभिषेक तिवारी, तृप्ति यादव, आरती गुप्ता, अखण्ड प्रताप त्रिपाठी, गया प्रसाद मिश्र, गिरीश चन्द्र शुक्ला, अनिरूद्ध सिंह, अवनीश चन्द्र त्रिपाठी, कृष्ण मोहन पाण्डेय, आदित्य घर द्विवेदी एवं अमित सिंह सेंगर, पी के राव, सतेन्द्र कुमार त्रिपाठी, अजय कुमार मिश्र, एस पी शुक्ला, अमित जौनपुरी, नीलम शुक्ला उपस्थित रहे। इस आशय की जानकारी संयुक्त सचिव प्रेस रामेश्वर दत्त पाण्डेय ने दी।
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