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प्रयागराज, वाईबीएन विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आगरा की प्रतिष्ठित बलवंत एजुकेशनल सोसाइटी जो राजा बलवंत सिंह कॉलेज जैसे प्रमुख संस्थानों का संचालन करती है, के प्रबंधन बोर्ड से जुड़े एक पारिवारिक और कानूनी विवाद में महत्वपूर्ण हस्तक्षेप करते हुए एक ऐतिहासिक समाधान दिया है। कोर्ट ने सोसाइटी के बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट में वाइस प्रेसिडेंट और सदस्य के पद पर जारी विवाद को सुलझाते हुए 5 साल के कार्यकाल को दोनों दावेदार भाइयों के बीच ढाई-ढाई साल की समान अवधि के लिए विभाजित करने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की एकल पीठ ने अपने फैसले में इस व्यवस्था को 1 दिसंबर 2025 से लागू करने का निर्देश दिया है। पहले ढाई साल 1 दिसंबर 2025 से बड़े भाई जितेंद्र पाल सिंह वाइस प्रेसिडेंट और सदस्य की जिम्मेदारी संभालेंगे। शेष ढाई साल: छोटे भाई अनिरुद्ध पाल सिंह इस पद का कार्यभार संभालेंगे। कोर्ट ने कहा कि यह समाधान "बोर्ड, परिवार, विरासत और लंबी भागीदारी के हित" में होगा, जिससे सभी भाई (जन्म की तिथि के आधार पर बड़े से छोटे के क्रम में) समान अवधि के लिए बोर्ड में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकेंगे।
राजा का नियम समाप्त, प्रथा हुई अमान्य
इस मामले की सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने परिवार में चली आ रही उस पुरानी परंपरा पर भी कड़ी टिप्पणी की, जिसके तहत पिछली पीढ़ी के सबसे बड़े बेटे के सबसे बड़े बेटे को ही वाइस प्रेसिडेंट बनाया जाता था। कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि यह व्यवस्था अब जारी नहीं रह सकती क्योंकि यह किसी भी प्रावधान से समर्थित नहीं है। कोर्ट ने कहा कि "बदले हुए परिदृश्य में, अब 'राजा' नहीं है," इसलिए ऐसी कोई भी व्यवस्था, जो केवल सबसे बड़े बेटे के सबसे बड़े बेटे को वाइस प्रेसिडेंट बनाने का समर्थन करती हो, वह प्रथा अब जारी नहीं रहेगी। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि पद विभाजन की यह व्यवस्था लागू होने के बाद, बोर्ड को पूरा करने के लिए आगे की प्रक्रिया स्वतंत्र रूप से शुरू की जाए। प्रबंधन समिति के सदस्यों की नई सूची संबंधित रजिस्ट्रार को 1 जनवरी, 2026 से पहले भेजनी होगी। यह फैसला बलवंत एजुकेशनल सोसाइटी के प्रबंधन को लेकर चल रहे वर्षों पुराने विवाद को समाप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
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