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High Court News: लॉकडाउन भरण-पोषण भत्ता प्रकरण, हाईकोर्ट ने छह हफ्ते में निर्णय लेने का दिया निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोरोना लॉकडाउन वर्ष 2020 - 21 के दौरान जीवन यापन भरण पोषण भत्ता 4 महिने का 4 हजार रूपये के भुगतान पर 6 हफ्ते में सक्षम प्राधिकारी को नियमानुसार निर्णय लेने का निर्देश दिया है।

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Abhishak Panday
High Court

हाईकोर्ट

प्रयागराज, वाईबीएन विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोरोना लॉकडाउन वर्ष 2020 - 21 के दौरान जीवन यापन भरण पोषण भत्ता 4 महिने का 4 हजार रूपये के भुगतान पर 6 हफ्ते में सक्षम प्राधिकारी को नियमानुसार निर्णय लेने का निर्देश दिया है। इससे पहले कोर्ट ने राज्य सरकार को चार हफ्ते में सक्षम अधिकारी को जरूरी दिशा-निर्देश जारी करें। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया तथा न्यायमूर्ति विवेक सरन की खंडपीठ ने मथुरा चुना कंकड़ गली निवासी सामाजिक कार्यकर्ता प्रकाश चन्द्र अग्रवाल की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है।

सरकार ने 1 हजार महीना भत्ता देेने की करी थी घोषणा

याची का कहना था कि कोरोना लॉकडाउन में सरकार द्वारा जारी 26 मार्च 2020 के शासनादेश के अनुसार फुटपाथ फेरी, ढ़केल, नाई, मोची आदि को गुजारे के लिए 1000 हजार रूपये महीने भरण-पोषण भत्ता दिए जाने की घोषणा की गई थी।, जिसमें लिखा है कि किसी भी प्रकार का आवेदन नहीं लिया जायेगा जिससे अनावश्यक रूप से आम जन को लॉकडाउन से बाहर निकलना नहीं पड़े,  शासनादेश के बिन्दु संख्या 6 पर लिखा है कि सहायता देने के बाद भी ऐसे व्यक्ति बच सकते हैं जिनके पास परिवार की भरण पोषण भत्ता की सुविधा नहीं है। ऐसे व्यक्तियों लाभार्थियों की सूची जिलाधिकारी अनुमोदन करेंगे। क्योंकि याची लॉकडाउन में फुटपाथ पर किताब नहीं बेचने से जीवन यापन करने से वंचित हो गया था। राहत आयुक्त कार्यालय की बेवसाइट पर याची का नाम प्रकाश चन्द्र अग्रवाल लाभार्थियों की सूची में दर्ज है। याची चार महीने का चार हजार रुपए पाने का हकदार हैं, दिलाया जाय। हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी मथुरा को याची के दावे का निस्तारण 3 माह में करके भरण पोषण भत्ता का भुगतान करने का आदेश दिया था। जिलाधिकारी मथुरा ने कहा मथुरा जनपद को 205.25 लाख रुपए आवंटित किया गया है जो आवंटित धनराशि शासन को वापस समर्पित की जा चुकी है और सहायता धनराशि याची प्रकाश चन्द्र अग्रवाल के खाते में अन्तरित नहीं हो सकी है। याची ने जिलाधिकारी मथुरा के आदेश 2 सितंबर 2022  की चुनौती दी थी। जिसपर कोर्ट ने भत्ते के भुगतान पर आदेश पारित करने का निर्देश दिया है।

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