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Allahabad High Court Photograph:
प्रयागराज, वाईबीएन विधि संवाददाता।इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जीएसटी कार्यवाही के तहत जब्त किए गए भारतीय रेलवे के माल को छोड़ने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह तथा न्यायमूर्ति इंद्रजीत शुक्ला की खंडपीठ ने भारत संघ बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य केस में पारित किया।
न्यायालय ने माना कि तथ्यों पर विचार किया जाना चाहिए
राज्य जीएसटी अधिकारियों द्वारा विद्युत इंजनों के पुर्जों की जब्ती को चुनौती देते हुए यह याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ता के वकील गोपाल वर्मा ने तर्क दिया कि जब्त की गई वस्तुएं रेलवे की अनन्य संपत्ति थीं, जिनका निजी उपयोग या बिक्री नहीं की जा सकती थी, और यह जब्ती कर चोरी के किसी इरादे के बिना एक प्रक्रियात्मक चूक के कारण हुई थी। यह तर्क दिया गया कि माल की आवाजाही आंतरिक थी और सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 7 के तहत आपूर्ति नहीं मानी जा सकती। न्यायालय ने माना कि तथ्यों पर विचार किया जाना चाहिए और ऐसे मामले में कर चोरी का कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता। अंतरिम राहत प्रदान करते हुए, न्यायालय ने निर्देश दिया कि जमा राशि की वसूली के लिए कोई बलपूर्वक उपाय न किया जाए और जब्त माल को तुरंत रेलवे के पक्ष में वापस करने का आदेश दिया। यह निर्णय जीएसटी अधिनियम की धारा 129 के तहत दंड प्रावधानों के यांत्रिक अनुप्रयोग के विरुद्ध न्यायिक संयम को रेखांकित करता है, विशेष रूप से जहाँ संप्रभु सरकारी विभाग शामिल हों।
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