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फाइल फोटो Photograph: (google)
प्रयागराज, वाईबीएन विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बरेली में जुलूस निकालने के दौरान आपत्तिजनक नारा लगाने वाले आरोपियों को राहत देने से इनकार कर दिया है। घटना के दो आरोपियों गौहर खान और शाकिब जमाल ने इस मामले में गिरफ्तारी पर रोक लगाने और प्राथमिकी रद्द करने की माग को लेकर याचिका दाखिल की थी। यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट और न्यायमूर्ति गरिमा प्रसाद की खंड पीठ ने सुनवाई कर दिया है।
लगाए थे सर तन से जुदा जैसे आपत्तिजनक नारे
मामले के अनुसार कानपुर में आई लव मोहम्मद मामले को लेकर की गई कार्रवाई के विरोध में 26 सितंबर को आईएमसी के मौलाना तौकीर रजा के आह्वान पर इस्लामिया कॉलेज ग्राउंड पर प्रदर्शन करने के लिए जुलूस निकाला गया । जुलूस में शामिल लोग सर तन से जुदा जैसे आपत्तिजनक नारे लगा रहे थे। इस दौरान पुलिस ने उनको रोका तो भीड़ हमलावर हो गई और पुलिस कर्मियों से मार पीट की गई। पुलिस ने इस मामले में 52 नामजद और अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। याचियों के वकील का कहना था कि याची घटना में शामिल नहीं थे। उनको बाद में इस मामले में झूठा फसाया गया है। याचिका का विरोध करते हुए अपर शासकीय अधिवक्ता प्रथम परितोष कुमार मालवीय ने कहा कि याचियों पर गंभीर आरोप हैं। उन्होंने न सिर्फ पुलिस पर हमला किया बल्कि लोग शांति भंग करने और सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने का प्रयास किया। कोर्ट ने प्रथम दृष्टया आरोप गंभीर हैं और इसमें विवेचना की जरूरत है। प्राथमिकी रद्द करने का कोई आधार नहीं है। कोर्ट ने याचिका खारिज़ कर दी।
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