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High Court News: उमेश पाल हत्याकांड में अतीक के बहनोई डॉ. अखलाक, वकील विजय मिश्रा समेत चार की जमानत पर हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

प्रयागराज के बहुचर्चित उमेश पाल हत्याकांड मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में अहम सुनवाई हुई। माफिया अतीक अहमद के बहनोई डॉ. अखलाक अहमद, वकील विजय मिश्रा, ड्राइवर कैश और नौकर नियाज़ की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया है।

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Abhishek Panday
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उमेश पाल हत्याकांड में अतीक के बहनोई डॉ. अखलाक, वकील विजय मिश्रा समेत चार की जमानत पर हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा। Photograph: (सोशल मीडिया)

प्रयागराज, वाईबीएन संवाददाता। Prayagraj News: प्रयागराज के बहुचर्चित उमेश पाल हत्याकांड मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में अहम सुनवाई हुई। माफिया अतीक अहमद के बहनोई डॉ. अखलाक अहमद, वकील विजय मिश्रा, ड्राइवर कैश और नौकर नियाज़ की जमानत याचिकाओं पर न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव की एकलपीठ ने सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया है। अदालत ने सभी पक्षों की दलीलें विस्तार से सुनने के बाद कहा कि आदेश शीघ्र ही जारी किया जाएगा। इस दौरान अदालत में अभियुक्तों की ओर से दलील दी गई कि उन्हें केवल अतीक अहमद से संबंध या परिचय के कारण फंसाया गया है, जबकि उनका घटना से कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंध नहीं है। वहीं, सरकार और पीड़ित पक्ष ने जमानत का जोरदार विरोध करते हुए कहा कि सभी आरोपी इस संगठित हत्या की साजिश में शामिल थे और इनकी रिहाई से ट्रायल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

डॉ. अखलाक पर गुड्डू मुस्लिम को शरण देने का आरोप

मेरठ निवासी डॉ. अखलाक अहमद, माफिया अतीक अहमद के बहनोई हैं। उन पर आरोप है कि उमेश पाल हत्याकांड के बाद फरार बमबाज गुड्डू मुस्लिम को उन्होंने अपने मेरठ स्थित घर में शरण दी थी। पुलिस ने दावा किया है कि घटना के बाद गुड्डू मुस्लिम, जो पांच लाख रुपये का इनामी अपराधी है, कुछ दिनों तक डॉ. अखलाक के घर में छिपा रहा। डॉ. अखलाक की ओर से अधिवक्ता ने कहा कि उनका नाम एफआईआर में दर्ज नहीं है और वे एक सम्मानित चिकित्सक हैं। उन्हें केवल रिश्तेदारी के कारण झूठे मुकदमे में घसीटा गया है। उन्होंने यह भी कहा कि उनके खिलाफ किसी भी प्रकार का ठोस सबूत नहीं है।

अतीक के वकील विजय मिश्रा ने कहा, केवल वकील होने के कारण फंसाया गया

अतीक अहमद के वकील विजय मिश्रा की गिरफ्तारी लखनऊ से हुई थी। उन पर हत्याकांड में अतीक को सूचना देने और साजिश में मदद करने का आरोप है। उनकी ओर से अधिवक्ता मंजू सिंह ने कहा कि विजय मिश्रा एक पेशेवर वकील हैं और उन्होंने केवल अपने पेशे के दायरे में रहकर काम किया। उन्हें माफिया अतीक अहमद से पेशेगत संबंध के कारण इस प्रकरण में गलत तरीके से आरोपित किया गया है।

ड्राइवर और नौकर ने भी दी बेगुनाही की दलील

अतीक के ड्राइवर कैश और नौकर नियाज़ की ओर से भी अदालत में बेगुनाही की दलीलें दी गईं। उनके अधिवक्ताओं ने कहा कि कैश ने काफी पहले अतीक की नौकरी छोड़ दी थी और उसका इस घटना से कोई लेना-देना नहीं है। वहीं नियाज़ को न तो एफआईआर में नामजद किया गया है और न ही उसके पास से कोई आपत्तिजनक वस्तु बरामद हुई है।

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सरकार और पीड़ित पक्ष ने किया जमानत का विरोध

सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल और उमेश पाल की पत्नी जयपाल की ओर से अधिवक्ता प्रवीण पांडे ने जमानत का कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा कि सभी आरोपी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस हत्याकांड की साजिश में शामिल रहे हैं। अभी तक ट्रायल कोर्ट में आरोप तय होने की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। उन्होंने अदालत से यह भी कहा कि इस मामले में अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन, अशरफ की पत्नी जैनब और बमबाज गुड्डू मुस्लिम समेत सात अन्य आरोपी अब भी फरार हैं। ऐसे में आरोपियों की रिहाई से ट्रायल प्रभावित होने और सबूतों के साथ छेड़छाड़ की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

फैसला सुरक्षित

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने चारों आरोपियों की जमानत अर्जी पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। माना जा रहा है कि इस पर जल्द ही अदालत का निर्णय सामने आएगा। उल्लेखनीय है कि 24 फरवरी 2023 को प्रयागराज में अधिवक्ता उमेश पाल की दिनदहाड़े गोलीबारी और बम से हमला कर हत्या कर दी गई थी। इस घटना में माफिया अतीक अहमद, उसके भाई अशरफ, पत्नी शाइस्ता परवीन सहित कई अन्य आरोपियों के नाम सामने आए थे। यह मामला राज्य की सबसे चर्चित हत्याओं में से एक बन चुका है, जिसमें कई आरोपी अब भी फरार हैं और जांच व मुकदमे की प्रक्रिया जारी है।

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