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High Court News: मौखिक साक्ष्य पेश करने का अवसर दिए बगैर विभागीय जांच कार्यवाही नियम विरुद्ध, हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कानूनी प्रक्रिया का पालन न कर मनमानी विभागीय जांच रिपोर्ट व दंडादेश रद कर दिया और दंड आदेश की तिथि की याची की स्थिति बहाली का निर्देश दिया है।

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Abhishak Panday
Allahbad

फाइल फोटो Photograph: (वाईबीएन)

प्रयागराज, वाईबीएन विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कानूनी प्रक्रिया का पालन न कर मनमानी विभागीय जांच रिपोर्ट व दंडादेश रद कर दिया और दंड आदेश की तिथि की याची की स्थिति बहाली का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा विभागीय जांच कार्यवाही में मौखिक साक्ष्य,मांगे दस्तावेज व गवाहों का परीक्षण करने का अवसर देना जरूरी है। जांच अधिकारी ने अनुशासनात्मक नियमावली का पालन नहीं किया। कोर्ट ने याची के खिलाफ की गई कार्यवाही रद करते हुए सक्षम प्राधिकारी को नया जांच अधिकारी नियुक्त कर नियमानुसार याची को सुनवाई का मौका देकर प्रक्रिया के अनुसार चार माह में नये सिरे से विभागीय जांच पूरी करने और जांच रिपोर्ट पर एक माह में कार्यवाही समाप्त करने का आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अजित कुमार की एकलपीठ ने मुन्नीलाल पटेल की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याचिका पर सैयद वाजिद अली व राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता संजीव सिंह ने बहस की।

नये सिरे से नियमानुसार विभागीय जांच पूरी करने का निर्देश 

याची अधिवक्ता का कहना था कि याची बांदा के बड़ोखर तहसील में संयुक्त बीडीओ पद पर तैनात था। ड्यूटी में लापरवाही व उच्च अधिकारियों के आदेश न मानने के आरोप लगाया गया। और एक पक्षीय विभागीय जांच में दोषी करार देकर संयुक्त बीडीओ से सहायक बीडीओ पद पर पदावनति देने का दंड दिया गया। और निलंबन वापस लेकर बहाल किया गया। जिसे चुनौती दी गई थी।कहना था कि विभागीय जांच में नियम 7 में निर्धारित की प्रक्रिया की अवहेलना की गई और मनमानी रिपोर्ट दाखिल कर दंडित किया गया है। याची को चार्जशीट दी गई, कारण बताओ नोटिस दी,जिसका याची ने जवाब दिया। गवाहों के परीक्षण सहित दस्तावेज व मौखिक साक्ष्य पेश करने की अनुमति मांगी। जिसकी अवहेलना की गई। इसलिए पूरी जांच कार्यवाही नियम विरुद्ध है।रद की जाय।                           राज्य सरकार की तरफ से तर्क दिया गया कि भले ही मौखिक साक्ष्य देने का मौका नहीं दिया गया किन्तु कारण बताओ नोटिस के याची के जवाब पर विचार करके रिपोर्ट दी गई है। केवल मौखिक साक्ष्य का अवसर न देने से जांच रिपोर्ट पर सवाल नहीं उठाया जा सकता। उचित सुनवाई का मौका दिया गया। किंतु कोर्ट ने कहा नियमावली में विभागीय जांच की पूरी प्रक्रिया निर्धारित है। सुप्रीम कोर्ट ने भी मौखिक साक्ष्य पेश करने गवाहों को बुलाने व परीक्षण करने सहित दस्तावेज प्राप्त कराना जरूरी बताया है। मौखिक साक्ष्य का अवसर दिए बगैर दी गई जांच रिपोर्ट वैध नहीं मानी जा सकती।

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