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Prayagraj News: 100 वर्ष से अधिक आयु के 28 प्रजातियों के 948 वृक्ष हुए विरासत वृक्ष घोषित, प्रयागराज किले का अक्षयवट विरासत वृक्ष

उत्तर प्रदेश में 100 वर्ष से अधिक आयु के वृक्षों को संरक्षण और संवर्धन प्रदान करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। प्रदेश सरकार ने 28 प्रजातियों के कुल 948 वृक्षों को विरासत (हेरीटेज) वृक्ष घोषित किया है।

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Abhishak Panday
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प्रयागराज किले का अक्षयवट विरासत वृक्ष, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी किया था अक्षयवट के दर्शन। Photograph: (सोशल मीडिया)

प्रयागराज, वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश में 100 वर्ष से अधिक आयु के वृक्षों को संरक्षण और संवर्धन प्रदान करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। प्रदेश सरकार ने 28 प्रजातियों के कुल 948 वृक्षों को विरासत (हेरीटेज) वृक्ष घोषित किया है। इन वृक्षों का चयन उत्तर प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड द्वारा गैर वन क्षेत्रों (सामुदायिक भूमि) पर किया गया है।

वृक्षों के संरक्षण को सांस्कृतिक परंपरा से जोड़ा गया

भारत में प्राचीन काल से ही वृक्षों की पूजा, संरक्षण और संवर्धन की परंपरा रही है। बरगद, पीपल, नीम, आम जैसे वृक्ष न केवल पारिस्थितिकी दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं बल्कि धार्मिक व सांस्कृतिक मान्यताओं से भी गहराई से जुड़े हैं। इन्हीं परंपराओं को जीवित रखने और विलुप्त हो रही प्रजातियों के संरक्षण की दृष्टि से इन वृक्षों को विरासत वृक्ष का दर्जा दिया गया है।

गोरखनाथ धाम परिसर में बरगद और पाकड़ शामिल

गोरखपुर जिले में गोरखनाथ मंदिर परिसर के हनुमान मंदिर के पास स्थित बरगद वृक्ष को श्रद्धालु वर्षों से पूजा अर्चना करते आ रहे हैं। वट सावित्री व्रत पर महिलाएं इस वृक्ष की परिक्रमा कर अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं। इसी तरह गोरखनाथ मंदिर परिसर में स्थित अन्य बरगद व पाकड़ वृक्षों सहित गोरखपुर जनपद के 19 वृक्षों को विरासत वृक्ष घोषित किया गया है।

प्रदेश के प्रमुख विरासत वृक्ष में अक्षयवट भी शामिल

घोषित विरासत वृक्षों में लखनऊ और वाराणसी के क्रमशः दशहरी आम और लंगड़ा आम के मातृ वृक्ष, फतेहपुर का बावन इमली, मथुरा के इमलीतला मंदिर परिसर का प्राचीन इमली वृक्ष, प्रतापगढ़ का करील वृक्ष, बाराबंकी का एडनसोनिया वृक्ष, हापुड़ व संत कबीर नगर के पाकड़ वृक्ष, सारनाथ का बोधि वृक्ष और अम्बेडकर नगर का पीपल वृक्ष शामिल हैं। इतिहास और स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े कई वृक्ष भी इसमें सम्मिलित हैं। शाहजहांपुर की ऑर्डिनेंस क्लॉथ फैक्ट्री का पीपल वृक्ष, प्रयागराज किले का अक्षयवट, उन्नाव का वाल्मीकि आश्रम स्थित बरगद और लखनऊ एनबीआरआई परिसर का बरगद इस सूची का हिस्सा हैं।

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प्रसिद्ध स्थलों से जुड़ी मान्यताएं

चीनी यात्री ह्वेनसांग द्वारा वर्णित प्रयागराज (झूंसी) का एडनसोनिया वृक्ष, मथुरा का टेर कदम्ब मंदिर परिसर स्थित पीलू वृक्ष तथा निधिवन का पौराणिक वृक्ष विशेष महत्व रखते हैं। गाजियाबाद के महामाया देवी मंदिर परिसर में स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा बरगद वृक्ष भी विरासत वृक्ष घोषित किया गया है।

उत्तर प्रदेश के विरासत वृक्ष कॉफी टेबल बुक

प्रदेश सरकार ने इन वृक्षों पर आधारित कॉफी टेबल बुक तैयार की है, जिसमें प्रत्येक विरासत वृक्ष की जानकारी, आकर्षक छायाचित्र, हिन्दी-संस्कृत नाम, वानस्पतिक नाम, आयु, जियो लोकेशन और मानचित्र सम्मिलित है। इसका पहला और दूसरा संस्करण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा जारी किया गया। बुक में क्यूआर कोड आधारित सर्च सिस्टम और वृक्ष संरक्षण से जुड़े वीडियो भी शामिल किए गए हैं, जिससे आमजन आसानी से जानकारी प्राप्त कर सकें।

संरक्षण और ईको-पर्यटन को बढ़ावा

विरासत वृक्षों के संरक्षण के लिए सरकार ने विशेष योजना बनाई है। इनके चारों ओर फेंसिंग, फूलदार बेलों का रोपण, सेल्फी प्वाइंट, वॉकिंग ट्रैक और बेंच स्थापित किए जाएंगे। साथ ही वृक्षों की सुरक्षा व रखरखाव के लिए स्थानीय व्यक्तियों की सेवाएं ली जाएंगी।प्रदेश में ’विरासत वृक्ष अंगीकरण योजना’ भी शुरू की जा रही है, जिसके तहत समाज के हर वर्ग को इन वृक्षों की सुरक्षा से जोड़ा जाएगा। इसके जरिए ईको-पर्यटन को प्रोत्साहन मिलेगा, जैव विविधता संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा और लोगों में वृक्षों के प्रति स्नेह और अपनत्व की भावना मजबूत होगी।

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