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विश्व धरोहर सप्ताह पर छात्रों ने किया दुर्लभ पांडुलिपियों का अवलोकन, जाना भारत की प्राचीन ज्ञान–परंपरा का वैभव। Photograph: (वाईबीएन)
प्रयागराज, वाईबीएन संवाददाता। विश्व धरोहर सप्ताह के अवसर पर मंगलवार को ईश्वर शरण पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज, प्रयागराज तथा इलाहाबाद विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग के छात्रों ने राजकीय पाण्डुलिपि पुस्तकालय, प्रयागराज का शैक्षिक भ्रमण कर भारत की प्राचीन ज्ञान–परंपरा से जुड़ी अमूल्य पांडुलिपियों का साक्षात अवलोकन किया। इस दौरान ईश्वर शरण पीजी कॉलेज के प्राचीन इतिहास विभाग के छात्र-छात्राएं डॉ. जमील अहमद और डॉ. रागिनी राय के नेतृत्व में शामिल हुए।
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वहीं, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के एम.ए. विद्यार्थियों ने डॉ. संजय कुमार, सहायक आचार्य उर्दू विभाग के नेतृत्व में सहभागिता की। छात्रों ने मूल पांडुलिपियों को नजदीक से देखकर विशेष उत्साह व्यक्त किया और उनकी आयु, संरक्षण पद्धति तथा लेखन शैली से जुड़े प्रश्न पूछे।
पांडुलिपि संरक्षण पर विस्तृत जानकारी
प्राविधिक सहायक श्री हरिश्चंद्र दुबे एवं डॉ. शाकिरा तलत ने पांडुलिपियों की देखरेख, उनकी संरचना, महत्व तथा संरक्षण प्रक्रिया पर विस्तार से बताया। वहीं पांडुलिपि अधिकारी गुलाम सरवर ने भारत में विभिन्न कालों में प्रचलित लिपियों जैसे ब्राह्मी, खरोष्ठी, अरबी, फ़ारसी तथा उत्तर-दक्षिण भारत की प्रमुख लिपियों पर छात्रों को महत्वपूर्ण ज्ञान प्रदान किया। उन्होंने असित कुमार हलदर की पेंटिंग्स, सचित्र रामचरितमानस, फारसी भाषा में लिखित रामायण एवं महाभारत, ताड़ पत्र पांडुलिपियाँ तथा अन्य दुर्लभ ग्रंथों की उत्पत्ति, कालखंड और लेखन शैली पर विद्यार्थियों की जिज्ञासा का समाधान किया।
दुर्लभ और प्राचीन पांडुलिपियों का अवलोकन
छात्रों ने जिन मूल पांडुलिपियों को देखा, उनमें ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, विष्णु पुराण, वाल्मीकि रामायण, भगवद्गीता, चरक संहिता, हरिवंश पुराण, कुमार संभव, सम्पूर्ण महाभारत, रामचरितमानस, मुगलकालीन फरमान, तुगरा, अल-कुरान, नल-दमन, आईने अकबरी, रामायण मसीही जैसे ग्रंथ प्रमुख रहे। इन दुर्लभ पांडुलिपियों ने छात्रों को भारत की हजारों वर्ष पुरानी सांस्कृतिक, धार्मिक और साहित्यिक परंपरा से रूबरू कराया।
धरोहर संरक्षण के प्रति जागरूक हुए विद्यार्थी
ईश्वर शरण पीजी कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. जमील अहमद ने विश्व धरोहर सप्ताह के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि देश की अमूल्य धरोहरों विशेषकर पांडुलिपियों का संरक्षण प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है। उन्होंने छात्रों को धरोहरों के संरक्षण के प्रति जागरूक होने और शोधकार्यों में रुचि बढ़ाने का संदेश दिया। कार्यक्रम के अंत में आए हुए आचार्यों एवं प्राध्यापकों को पुस्तकालय की ओर से मुद्रित कैटलॉग प्रदान किए गए। पुस्तकालय की ओर से पांडुलिपि अधिकारी श्री गुलाम सरवर ने सभी अतिथियों व विद्यार्थियों का स्वागत एवं आभार प्रकट किया। इस अवसर पर रोशन लाल, अजय कुमार मौर्य, मोहम्मद शफीक, अभिषेक कुमार, आनंद कुमार आदि की उपस्थिति रही।
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