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प्रयागराज से मध्यप्रदेश जाने वाले हाइवे पर कुछ इस तरह बैठे है आवारा गौवंशीय पशु। Photograph: (वाईबीएन)
प्रयागराज, वाईबीएन संवाददाता। अगर आप प्रयागराज के हाईवों पर सफर कर रहे हैं तो जरा सावधान हो लाइए। क्योंकि यहां जिले के हाईवों पर पहुंचते ही संकट से घिरा सफर शुरू हो जाता है। चाहे प्रयागराज से दिल्ली जाना हो या प्रयागराज से मुंबई या कोलकाता। जगह-जगह हाईवों पर खड़े या बैठे बेसहारा मवेशियों के झुंड मौत को दावत देते रहते हैं। आलम यह है कि अब तक छह महीने में दर्जनों लोगों की मौत हो चुकी है। जिससे हाईवे का यह सफर पूरी तहर से संकटों से भरा है।
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हादसे में कभी मवेशी, तो कभी यात्रियों की मौत
प्रयागराज के सभी हाईवों पर आवारा पशुओं की समस्या दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही है। जहां आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं, सड़कों पर घूम रहे हजारों मवेशी कभी बड़े वाहनों की चपेट में आकर जान गंवा रहे हैं, तो कभी राहगीर मौत के शिकार हो जाते हैं। पिछले छह महीने की बात करें तो अब तक दर्जनों लोग मौत हो चुकी है।
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हालांकि शहरी क्षेत्र में आवारा पशुओं का आतंक कम है लेकिन जैसे ही ग्रामीण क्षेत्र में पहुंचते हैं तो सड़के हाईवें की जगह गौशाला नजर आती है। जहां वाहन दौड़ने की बजाए रेंगते हैं। अगर वाहन चालक ने जरा सी भी चूक की तो हादसा तय हैं। आलम यह है कि जिले से लेकर ब्लॉक और तहसील के अफसर राेजाना सफर कर रह हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
हाईवे बना अंतिम सफर
इन हाईवों पर अब तक दर्जनों लोगों की मौत हो चुकी है। 26 अगस्त को चित्रकूट जनपद के मऊ निवासी राहुल ( 23) की प्रयागराज चित्रकूट हाईवे पर आवारा पशु के टकराने से दर्दनाक मौत हो गई। जबकि उसकी शादी के सिर्फ छह महीने ही हुए थे। इसी प्रकार प्रयागराज से मध्यप्रदेश जाने वाले हाईवे पर घूरपुर इलाके में साड़ के हमले में काशी प्रसाद ( 62 ) की भी मौत हो गई थी।
वहीं लखनऊ से प्रयागराज हाईवे पर रवि पटेल ( 26 ) की दर्दनाक मौत हो चुकी है। जबकि उसका साथी घायल हो गए थे। इसी तरह प्रयागराज प्रतापगढ़ हाईवे पर पलक ( 18 ) की भी आवारा पशु के हादसे में मौत तो बनगी है। पिछले छह महीने में दर्जनों लोगों की मौत हाईवे पर आवारा पशुओं के चलते हो चुकी है।
अस्थायी आश्रय स्थलों पर निर्भर प्रशासन
प्रशासन अस्थायी आश्रय स्थलों पर निर्भर है, मगर उनकी हालत भी संतोषजनक नहीं है। ऐसे में स्थानीय लोगों की निगाहें अब प्रस्तावित स्थायी गोशालाओं पर टिकी हैं। वहीं प्रशासन द्वारा इनको पकड़वा कर किसी संरक्षित स्थान पर रखने की बजाए सुविधाओं का अभाव बताकर पल्ला झाड़ लेता है। अब तक इन गोवंशों को पकड़ने के लिए कोई ठोस कदम अभी तक नहीं उठाए गए हैं।
प्रशासन अब स्थाई गोवंश आश्रय स्थल के निर्माण का राग अलापा जा रहा है। हालांकि जो भी हो लेकिन ब्लाक से लेकर जिले के आला अफसरों तक सरकार के निर्देशाें का कुछ खास असर देखने को नहीं मिल रहा। हालांकि आवारा गोवंश की समस्या से निपटने के लिए प्रशासन ने स्थायी गोशालाओं का खाका तैयार किया है।
पशुपालकों की सहभागिता और प्रशासन की चुनौती
हालांकि इन हादसों के कुछ हद तक जिम्मेदार वो पशुपालक भी हैं। जो दुधारू पशु रखने के बाद दूध बंद होते ही उन्हें आवारा छोड़ देते हैं। ऐसे में प्रशासन पशु पालकों, ग्राम प्रधानों और सचिवों की बैठक कर ठोस कदम उठाने होंगे। वहीं प्रशासन चाह कर भी इन पशु पालकों को चिन्हित कर ठोस कार्रवाई नहीं कर पा रहा है। जिसका सबसे बड़ा कारण स्थानीय राजनीतिक हस्ताक्षेत्र भी है।
प्रयागराज में गोशालाओं की स्थित
वर्तमान स्थायी गौशालाएं - 3
वर्तमान अस्थायी गौशालाएं - 176
कुल मौजूद गौशालाएं - 179
स्वीकृत नई स्थायी गौशालाएं - 3
गौशालाओं में गोवंश की मौजूदगी - 23000
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