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हमीदिया गर्ल्स डिग्री कॉलेज की छात्राओं ने किया रामचरित मानस की मूल पांडुलिपियों का किया अध्ययन। Photograph: (वाईबीएन)
प्रयागराज, वाईबीएन संवाददाता।विश्व धरोहर सप्ताह के अंतिम दिन मंगलवार को राजकीय पाण्डुलिपि पुस्तकालय, प्रयागराज में समापन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर हमीदिया गर्ल्स डिग्री कॉलेज सहित विभिन्न महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने शैक्षिक भ्रमण कर भारत की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक एवं कलात्मक विरासत से जुड़ी दुर्लभ पांडुलिपियों का प्रत्यक्ष अवलोकन किया। इस दौरान रामचरित मानस से लेकर फारसी भाषा में लिखित रामायण और महाभारत का भी अध्यन किया। कार्यक्रम का शुभारंभ मध्यकालीन इतिहास विभाग, हमीदिया गर्ल्स डिग्री कॉलेज की छात्राओं के भ्रमण से हुआ, जहां संयोजक डॉ. नुजहत फ़ातिमा एवं शबाना अजीज के नेतृत्व में छात्राओं ने प्राचीन हस्तलिखित मूल ग्रंथों का अध्ययन किया। छात्राओं ने पांडुलिपियों की आयु, संरक्षण विधि, उपलब्धता, शोध में उपयोगिता तथा लेखन शैली से जुड़े कई महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे। उनका समाधान पाण्डुलिपि विशेषज्ञों द्वारा विस्तार से किया गया। प्राविधिक सहायक हरिश्चन्द्र दुबे एवं डॉ. शाकिरा तलत ने पांडुलिपियों के रख-रखाव और संरक्षण तकनीकों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया। वहीं पांडुलिपि अधिकारी गुलाम सरवर ने भारत की विविध लिपियों—ब्राह्मी, खरोष्ठी, अरबी, फ़ारसी, देवनागरी सहित उत्तर एवं दक्षिण भारत की अन्य प्रमुख लिपियों के विकास पर महत्वपूर्ण जानकारी दी।
समापन समारोह में किया गया सम्मान
कार्यक्रम के समापन सत्र में उन आचार्यों एवं सह-आचार्यों को अंगवस्त्र व प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया, जिनके मार्गदर्शन में छात्र-छात्राओं ने शैक्षिक भ्रमण किया। सम्मान पाने वालों में प्रो. रत्ना शर्मा श्यामा प्रसाद मुखर्जी महाविद्यालय, डॉ. नीरज कुमार सिंह, डॉ. अंशु, डॉ. विजय सी.एम.पी. डिग्री कॉलेज, डॉ. हरेंद्र नारायण सिंह इलाहाबाद डिग्री कॉलेज, प्रो. मीना , डॉ. प्रमा द्विवेदी जगत तारन गर्ल्स डिग्री कॉलेज, तथा नुजहत फातिमा और शबाना अजीज हमीदिया गर्ल्स डिग्री कॉलेज प्रमुख रहे। समापन समारोह में संबोधित करते हुए डॉ. हरेंद्र नारायण सिंह ने कहा कि धरोहर के दो स्वरूप मूर्त और अमूर्त मानव सभ्यता की आधारशिला हैं। प्रो. रत्ना शर्मा ने शोधार्थियों को पांडुलिपियों को प्राथमिक स्रोत मानकर शोध कार्य करने की सलाह दी। डॉ. नीरज कुमार सिंह ने कहा कि धरोहर सप्ताह हमें अपनी संस्कृति के संरक्षण का नया संकल्प लेने का अवसर देता है। अतिथियों का स्वागत एवं आभार पांडुलिपि अधिकारी गुलाम सरवर ने व्यक्त किया। संचालन का दायित्व हरिश्चन्द्र दुबे द्वारा निभाया गया। इस अवसर पर रोशन लाल, अजय कुमार मौर्य, मोहम्मद शफीक, अभिषेक कुमार, आनंद कुमार सहित पुस्तकालय के अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।
छात्राओं ने जिन दुर्लभ पांडुलिपियों का अवलोकन
असित कुमार हलदर की पेंटिंग्स
सचित्र रामचरितमानस
फ़ारसी भाषा में लिखित रामायण एवं महाभारत
ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद
विष्णु पुराण, वाल्मीकि रामायण, भगवद्गीता
चरक संहिता, हरिवंश पुराण, कुमार संभवम
मुगलकालीन फरमान व तुगरा
‘आइने अकबरी’, ‘रामायण मसीही’, ‘नल-दमन’
ताड़पत्र की दुर्लभ पांडुलिपियां शामिल रहीं।
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