/young-bharat-news/media/media_files/2025/06/21/1002420863-2025-06-21-01-59-00.jpg)
रामपुर रजा पुस्तकालय में निदेशक डा. पुष्कर मिश्र के साथ साथ स्कूली बच्चे। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
रामपुर, वाईबीएन नेटवर्क। रामपुर रज़ा पुस्तकालय एवं संग्रहालय में शुक्रवार को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 के उपलक्ष्य में "योगोत्सव के अंतर्गत दो महत्वपूर्ण कार्यक्रम हुए। जिसका उद्देश्य योग की शारीरिक, मानसिक एवं आत्मिक उपयोगिता को जनमानस तक पहुंचाना था।
प्रश्नोत्तरी एवं निबंध प्रतियोगिता (योग दर्शन) में शामिल हुए बच्चे
/filters:format(webp)/young-bharat-news/media/media_files/2025/06/21/img-20250620-wa0363-2025-06-21-02-13-00.jpg)
शुक्रवार को प्रातः 10:30 बजे रंगमहल स्थित सभागार में प्रश्नोत्तरी एवं निबंध प्रतियोगिता (योग दर्शन) का आयोजन किया गया, जिसमें रामपुर के प्रतिष्ठित विद्यालयों दयावती मोदी अकादमी, सेंट मेरी सीनियर सेकण्डेरी स्कूल, सेंट पॉल स्कूल एवं जिला योगासन खेल संघ के छात्र-छात्राओं ने गहन अध्ययन, मनन और प्रस्तुति के साथ योग के इस कार्यक्रम में सक्रिय सहभागिता की। प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का विषय था 'योग मानव कल्याण का मार्ग" जिसमें विद्यार्थियों ने भारतीय योग परंपरा के शास्त्रीय आधारों को समकालीन जीवन शैली से जोड़ते हुए अत्यंत रोचक उत्तर प्रस्तुत किए। निबंध प्रतियोगिता का विषय था 'वर्तमान समय में योग का महत्व अथवा योग का सामाजिक, मानसिक व आध्यात्मिक महत्व", जिस पर प्रतिभागियों ने तार्किक, संवेदनशील और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण से अपने विचार अभिव्यक्त किए।
रंगमहल सभागार में स्वरसाधना योग सत्र का आयोजन
/filters:format(webp)/young-bharat-news/media/media_files/2025/06/21/img-20250620-wa0358-2025-06-21-02-16-20.jpg)
इसी श्रृंखला के अन्तर्गत अपराहन् 2:30 बजे रंगमहल सभागार में स्वरसाधना योग सत्र का आयोजन किया गया, जिसका निर्देशन योगाचार्य मीनाक्षी रानी आर्या, सचिव, जिला योगासन खेल संघ, रामपुर ने किया। इस सत्र में प्रतिभागियों को संगीत के माध्यम से ध्यान, प्राणायाम और योगासनों का अभ्यास के बारे में बताया गया। इस कार्यक्रम में संगीत और योग के समन्वय ने प्रतिभागियों को मानसिक शांति और आंतरिक जागरूकता का अनुभव कराया। प्रश्नोत्तरी एवं निबंध प्रतियोगिता कार्यक्रम के अवसर पर रामपुर रज़ा पुस्तकालय एवं संग्रहालय के निदेशक डॉ० पुष्कर मिश्र जी ने कहा कि रामपुर रज़ा पुस्तकालय के लिए आज का दिन अत्यंत हर्ष का दिन है, क्योंकि आज इस परिसर में हमारी युवा पीढ़ी उपस्थित है। हमेशा कहा जाता है कि किसी भी समाज का भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि उसकी युवा पीढ़ी क्या सोचती है। आज हम योगोत्सव के दूसरे दिन का आयोजन कर रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में यह कार्यक्रम विशेष रूप से युवा पीढ़ी में सोचने की क्षमता विकसित करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया है। कहा कि अब यह समझना बहुत आवश्यक है कि सोचने की क्षमता इस मानव इतिहास के मोड़ पर इतनी जरूरी क्यों हो गई है। आज हम सभी उपकरण विशेषकर मोबाइल, लैपटॉप और इंटरनेट से जुड़े उपकरणों के इतने अभ्यस्त हो गए हैं कि हमारी अपनी सोचने की क्षमता धीरे-धीरे कमजोर होती जा रही है। उदाहरण के लिए, किसी गणना के लिए हम कैलकुलेटर की ओर भागते हैं, किसी उत्तर या निबंध के लिए हम गूगल या चौटजीपीटी की ओर दौड़ते हैं, यहां तक कि व्हाट्सएप में भी मेटा जैसी सुविधाएं हैं।
सोचने की क्षमता हो रही कमजोर, गैजेट्स की ओर भाग रहे हम
/filters:format(webp)/young-bharat-news/media/media_files/2025/06/21/img-20250620-wa0359-2025-06-21-02-18-23.jpg)
कहा कि हमारा ये लगातार बढ़ता हुआ इन उपकरणों पर निर्भर होना हमारी सोचने की शक्ति को दूसरों पर निर्भर बना रहा है, और यही भविष्य के लिए एक गहरी चिंता का विषय है। यदि हमारी युवा पीढ़ी को स्वयं, समाज, नए विचारों, नवाचार और शोध के बारे में सोचने के लिए प्रशिक्षित नहीं किया गया, तो मानव समाज की प्रगति रुक जाएगी। मैं इन उपकरणों के खिलाफ नहीं हूँ, ये उपयोगी हैं, लेकिन ये हमें नियंत्रित न करें, बल्कि हम इन्हें नियंत्रित करें और यहीं पर योग का महत्व सामने आता है।
आत्म-नियंत्रण की शक्ति प्रदान करता है योग
योग अपने विभिन्न अंगों जैसे यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि के माध्यम से, में आत्म-नियंत्रण की शक्ति प्रदान करता है। आत्म-नियंत्रण ही वह शक्ति है जिससे हम न केवल स्वयं पर विजय प्राप्त करते हैं, बल्कि अपने आस-पास के वातावरण को भी नियंत्रित कर सकते हैं। आज मोबाइल और सोशल मीडिया की लत एक महामारी का रूप ले चुकी है। जब तक हम स्वयं को नियंत्रित करने की क्षमता विकसित नहीं करते, जो योग हमें सिखाता है, तब तक हम मानसिक अस्थिरता की ओर बढ़ते रहेंगे।
संचित ज्ञान से चलता है एआई नया कुछ नहीं कर सकता
लगातार मशीनीकरण हमें भी मशीन बना रहा है। आपने देखा होगा जब हम किसी वेबसाइट पर जाते हैं, तो एक बॉक्स आता है जिस पर लिखा होता है- "I am not a robot" यह इस ओर संकेत करता है कि हम मनुष्य हैं, मशीन नहीं। मनुष्य की सबसे बड़ी विशेषता है उसकी सोचने की क्षमता। चाहें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कितना भी विकसित हो जाए, वह केवल अभी तक संचित ज्ञान को फिर से व्यवस्थित कर सकता है, लेकिन कुछ नया नहीं रच सकता। नवीनता केवल मानवीय बुद्धि से आती है, और यही मानव प्रगति का मूल है।
योग को अपनाएं सभी
आप सभी का जीवन योग के माध्यम से सफल, सुखी, समृद्ध और शांतिपूर्ण हो, अतः कृपया योग को अपनाइए, सोचते रहिए, सवाल पूछते रहिए, इसी में आपका भविष्य है। स्वर साधना कार्यक्रम के समापन के अवसर पर रामपुर रज़ा पुस्तकालय के निदेशक डा. पुष्कर मिश्र ने कहा कि मैंने बेटियों और बेटों का यह योग प्रदर्शन देखा। इस प्रदर्शन को देखकर मुझे लगा कि इसके बारे में बहुत कुछ कहा जा सकता है बहुत कुछ जो शब्दों में नहीं आ सका, बहुत कुछ जो शेष रह गया। आप सभी जानते हैं कि भारतीय मनीषा ने 'सृष्टि' की रचना को 'नाद' के रूप में देखा है। एक विचारधारा ऐसी भी है जो मानती है कि सम्पूर्ण जगत उस 'नाद' की ही क्रिया है। उसी नाद से सब कुछ उत्पन्न हुआ है। यह बात आज विज्ञान भी कहता है कि सम्पूर्ण ब्रह्मांड में एक कंपन है, एक ध्वनि है, एक 'साउंड' है, जिसे अभी तक पूरी तरह मापा नहीं जा सका। योगियों ने उस ध्वनि को 'नाद' कहा है। कहा कि भारत में नाद योग की एक समृद्ध परंपरा रही है। नाद योगी उस नाद (ध्वनि) को अपनी ध्यानावस्था में सुनने की साधना करते हैं और जो उस नाद को सुन लेता है, उसका नाद ब्रह्म से एकाकार हो जाता है। ऋग्वेद के ऋषियों ने इसे अनुभव किया और इसे अभिव्यक्त किया। पाणिनि ने भी स्वर की चर्चा की है, और पतंजलि ने अपने महाभाष्य में इसका उल्लेख किया है। भर्तृहरि ने वाक् के चार रूप बताए हैं जो व्याकरण दर्शन में वर्णित हैं। कोई भी स्वर साधक, नाद साधक, योग साधक जो उस नाद साधना में, स्वर साधना में लगा है वे उस परा के साक्षात्कार को अपने मन में बिठा कर आगे बढ़ता है।
पुस्तकालय की प्रदर्शनी ने मन मोह लिया
इस अवसर पर डॉ० अनूप कुमार सिंह उपाध्यक्ष, जिला योगासन खेल संघ ने कहा कि रामपुर रज़ा पुस्तकालय द्वारा यह जो योगोत्सव मनाया जा रहा है इसकी मैं बहुत प्रशंसा करता हूँ क्योकि योगोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत रजा पुस्तकालय द्वारा सात दिनों तक जो कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं वह आमजन में योग के प्रति जागृति पैदा करेंगे। कल पुस्तकालय द्वारा वसुधैव योगः क्रिया एवं दर्शन कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध विद्वानों के वकतव्य को सुनने का अवसर प्रदान हुआ यह कार्यक्रम योग एवं दर्शन के लिए मिसाल साबित हुआ। कहा कि इस अवसर पर रजा पुस्तकालय में योग से संबंधित जो प्रदर्शनी आयोजित की गई है, उसे सभी को अवश्य देखना चाहिए। आप कल्पना कर सकते हैं कि इतने कम शब्दों में ऋषि-मुनियों और योग से जुड़े विद्वानों का वर्णन किया गया है, तो उनके जीवन का महत्व कितना व्यापक और गहन रहा होगा। आज के कार्यक्रम का नाम 'स्वरसाधना योग' है। आज से हम सभी इस शब्द का प्रयोग योग संबंधी कार्यक्रमों में करेंगे। कहा कि योग दिवस पर कॉमन योग प्रोटोकॉल का अभ्यास किया जाता है। इस अभ्यास को विशेष रूप से इसलिए तैयार किया गया है ताकि सामान्य से सामान्य व्यक्ति भी इसे आत्मसात कर सके और स्वयं को स्वस्थ रख सके। 'फिट इंडिया मूवमेंट' भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण अवधारणा है, जिसे यह प्रोटोकॉल सशक्त रूप से स्थापित करता है। भारत सरकार की 'योगासन' नामक खेल संस्था ने इस विधा के लिए एक संपूर्ण नियमावली तैयार की है, और अब आगामी एशियन गेम्स में योगासन को शामिल करने की योजना भी बनाई गई है। दिनभर चले इन आयोजनों ने प्रतिभागियों के मन, बुद्धि और आत्मा को छूने का कार्य किया। कार्यक्रमों की सफलता ने यह सिद्ध किया कि योग, विशेष रूप से युवा वर्ग में, केवल एक शारीरिक अभ्यास नहीं बल्कि सम्पूर्ण जीवनशैली का आधार बनता जा रहा है।
यह भी पढ़ें:-
रामपुर न्यूज: सुन्नी औकाफ के मुतवल्ली बने नवाबजादा हैदर अली खां उर्फ हमजा मियां
रामपुर न्यूजः नगर पालिका की कर वसूली कम होने पर कर अधीक्षक ने लगाई क्लास