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एक परिवार में गोवर्धन पूजा करती महिलाएं। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
रामपुर, वाईबीएन नेटवर्क। पूरे जिला में दीपावली के बाद गोवर्धन पूजा का पर्व परंपरागत तरीके से मनाया गया। इस दौरान घरों में गोवर्धन की आकृति बनाकर महिलाओं ने उसकी पूजा अर्चना की। इस दौरान इस पर्व को मानव का प्रकृति के साथ सीधा संबंध बताया गया।
दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। इस त्यौहार का भारतीय लोकजीवन में बहुत महत्व है। इस पर्व में प्रकृति के साथ मानव का सीधा सम्बन्ध दिखाई देता है। इस पर्व की अपनी मान्यता और लोककथा है। गोवर्धन पूजा में गोधन अर्थात गायों की पूजा की जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि गाय उसी प्रकार पवित्र होती है जैसे नदियों में गङ्गा। गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है। देवी लक्ष्मी जिस प्रकार सुख समृद्धि प्रदान करती हैं उसी प्रकार गौ माता भी अपने दूध से स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती हैं। इनका बछड़ा खेतों में अनाज उगाता है। ऐसे गौ सम्पूर्ण मानव जाति के लिए पूजनीय और आदरणीय है। गौ के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए ही कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोर्वधन की पूजा की जाती है और इसके प्रतीक के रूप में गाय की।
नई आवास विकास कॉलोनी निवासी प्रेमवती के परिवार की महिला सदस्य ने डेरी जाकर गाय का गोबर एकत्र किया और उसके बाद घर के आंगन में गाय के गोबर से विभिन्न प्रकार की आकृतियां बनाकर गोवर्धन पूजा की। परिवार के सभी सदस्यों ने मिलकर भजन भी गए गए तथा कुंज बिहारी की आरती की गई। इसके पश्चात बनाए गए गोवर्धन की सांकेतिक परिक्रमा भी परिवार के सदस्यों द्वारा की गई। और फिर मिष्ठान का वितरण हुआ।
इस अवसर पर परिवार की वृद्ध मुखिया प्रेमवती, चिरंजीव गुड्डू, संगीता भाटिया, डॉ० राजीव कुमार, डॉ० आरती सिंह, वृंदा चिरंजीव, केशव कुमार, आराध्या, आदि उपस्थित रहे।
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