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हरितालिका तीज पर पूजा करतीं सुहागिन महिलाएं। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
रामपुर, वाईबीएन नेटवर्क। हरतालिका व्रतको ही हरतालिका तीज भी कहते हैं। यह व्रत भाद्रपदमास के शुक्लपक्ष की तृतीया को हस्तनक्षत्रके दिन होता है। इस दिन कुमारी और सौभाग्यवती स्त्रियां गौरी-शंङ्कर की पूजा करती हैं। इस त्योहार को करवा चौथ से भी कठिन माना जाता है। जहां करवा चौथ में चंद्र देखने के बाद व्रत संपन्न होता है। वगीं इसे पूरे दिन निर्जला व्रत किया जाता है और अगले दिन सूर्योदय के बाद ही सम्पन्न किया जाता है। मंगलवार को पूरे जिले में हरितालिका तीज मनाई गई। महिलाओं ने व्रत रखकर पूजा की।
इस व्रत से जुड़ी एक मान्यता यह है कि इस व्रत को करने वाली स्त्रियां पार्वती जी के समान ही सुखपूर्वक पतिरमण करके शिवलोक को जाती हैं। सौभाग्यवती स्त्रियां अपने सुहाग को अखण्ड बनाए रखने और अविवाहित युवतियां मन अनुसार वर पाने के लिए हरितालिका तीज का व्रत करती हैं। सर्वप्रथम इस व्रत को माता पार्वती ने भगवान शंकर को पाने के लिए रखा था।
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