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Photograph: (इंटरनेट मीडिया)
रामपुर, वाईबीएन नेटवर्क। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ सम्पूर्ण भारत में 15 सितम्बर को टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ संपूर्ण भारत में जिलाधिकारियों के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन देकर विरोध प्रदर्शन करेगा।
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के जिलाध्यक्ष रवेंद्र गंगवार ने बताया अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने संपूर्ण भारत में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश से आहत शिक्षकों की सेवा सुरक्षा बचाने के लिए प्रधानमंत्री से अपील करने की मांग करेगा, क्योंकि टीईटी की अनिवार्यता से देश के लाखों शिक्षक शिक्षिकाओं पर सेवा सुरक्षा आजीविका पर प्रभाव पड़ सकता है। जिलामहामंत्री विपेंद्र कुमार ने कहा आरटीई अधिनियम 2009 एवं एनसीटीई की अधिसूचना 23 अगस्त 2010 के अनुसार दो श्रेणियां मान्य थी, जिसमें 23अगस्त 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को टीईटी में छूट थी 2010 के बाद नियुक्त शिक्षकों को निश्चित अवधि में टीईटी उत्तीर्ण करना आवश्यक था। किंतु सर्वोच्च न्यायालय के आदेश में इस भेद को समाप्त कर दिया गया, जिससे 2010 से पूर्व शिक्षकों की सेवा भी असुरक्षित हो गई है । जिसमें बहुत सारे शिक्षक टीईटी परीक्षा में बैठने की अर्हता भी नहीं रखते जिससे संपूर्ण भारत के लाखों शिक्षकों का मनोबल टूटा है जो उनके भविष्य को प्रभावित करेगा इसलिए इस आदेश को मानवीय आधार पर वापस लिया जाना चाहिए कोषाध्यक्ष विनीत कुमार ने कहा जब शिक्षक न्यूनतम अर्हताएं पास करके की नौकरी में आए है नौकरी के बीच पड़ाव में उनपर टीईटी पास करने के शर्त थोपना न्यायोचित नहीं है। इसलिए शैक्षिक महासंघ प्रधानमंत्री से मानवीय आधार पर इसके लिए नियम में परिवर्तन करने की मांग करेगा जिससे शिक्षकों का हित सुरक्षित रहे। कार्यकारी जिलाध्यक्ष नरेंद्र पाठक ने बताया जनपद के शिक्षक इस आदेश से अवसाद में नौकरी के सेवाकाल में नए नियम शर्तों को थोपना शिक्षकों के खिलाफ़ अन्याय है जिसमें भारत सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए और समस्या का हल निकालना चाहिए।