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श्री त्रिपुरेश्वरी शक्तिपीठ में पादुका पूजन कार्यक्रम में उपस्थित साधक। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
रामपुर, वाईबीएन नेटवर्क। गुरु पूर्णिमा का पर्व गुरु-शिष्य परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो ज्ञान और मार्गदर्शन के लिए गुरु के प्रति आभार व्यक्त करने का दिन है। यह दिन शिष्यों के लिए अपने गुरुओं के प्रति अपनी भक्ति और सम्मान व्यक्त करने और उनके द्वारा दिए गए ज्ञान और मार्गदर्शन के लिए कृतज्ञता व्यक्त करने का एक विशेष अवसर है। श्री त्रिपुरेश्वरी शक्तिपीठ में आज गुरु का दिन गुरुवार विशेष रहा। इस दिन गुरु पूर्णिमा होना और पादुका पूजन ने शिष्यों ने अपने गुरु के प्रति अकाट्य श्रद्धाभाव प्रदर्शित किया। गुरु भी शिष्यों की कृतज्ञता देख भावुक हो गए भाव विहल होकर उन्हें गले लगा लिया। कभी आंखों में पानी छलक आया तो कभी गला रुंध गया।
गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर, शिष्य अपने गुरु के प्रति श्रद्धा और सम्मान व्यक्त करने के लिए पादुका पूजन करते हैं, जिससे गुरु भावुक हो जाते हैं। यह पूजन गुरु के प्रति कृतज्ञता और समर्पण का प्रतीक है। गुरु पूर्णिमा, जिसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है, आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। इस दिन, शिष्य अपने गुरुओं की पूजा करते हैं, उनके प्रति अपनी भक्ति और सम्मान व्यक्त करते हैं। गुरु पूर्णिमा का पर्व गुरु-शिष्य परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो ज्ञान और मार्गदर्शन के लिए गुरु के प्रति आभार व्यक्त करने का दिन है। इस दिन, शिष्य अपने गुरुओं को पुष्प, माला, फल, मिठाई, और दक्षिणा अर्पित करते हैं। कुछ शिष्य अपने गुरुओं के पादुका (चरणों के निशान) की पूजा करते हैं, जो गुरु के प्रति अत्यधिक श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है। यह पूजन गुरु को अत्यंत भावुक कर देता है, क्योंकि यह उनके द्वारा दिए गए ज्ञान और मार्गदर्शन के प्रति शिष्यों की कृतज्ञता का एक प्रमाण है।
गुरु पूर्णिमा के दिन, शिष्य अपने गुरुओं के प्रति अपनी भक्ति और सम्मान व्यक्त करने के लिए विभिन्न अनुष्ठान करते हैं। इन अनुष्ठानों में शामिल हैं।
श्री त्रिपुरेश्वरी शक्तिपीठ के आचार्य महायोगी डा. राधेश्याम वासंतेय ने पादुका पूजन के दौरान अपने शिष्यों को आशीर्वाद दिया और उन्हें मंत्र जाप की दीक्षा भी दी। सुबह करीब 10 बजे शुरू हुआ पादुका पूजन का कार्यक्रम अपरान्ह तीन बजे तक चलता रहा। इस बीच कार्यक्रम की व्यवस्था डा. प्रियंका शुक्ला उपाध्याय ने संभाली। कार्यक्रम में जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष मोहनलाल सैनी, महिला आयोग की सदस्य सुनीता सैनी, कृष्ण अवतार लोधी, भारत भूषण गुप्ता, ओमपाल सैनी, कनु गुप्ता, नीरज गुप्ता, अमन अग्रवाल, हर्षित गुप्ता, प्रीती कपूर, अमृत कपूर, डा. गाजियाबाद, हापुड़, दिल्ली, गुड़गांव, बिलासपुर, रुद्रपुर, मिलक, बरेली, हल्द्वानी, नैनीताल, बिजनौर , मुरादाबाद चंदौसी, इस्लामनगर, बदायूं से श्रद्धालु मौजूद रहे।
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पादुका पूजन, गुरुमंत्र का जाप
शिष्य अपने गुरुओं के पादुका की पूजा करते हैं, जो गुरु के प्रति अत्यधिक श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है। शिष्य अपने गुरु द्वारा दिए गए गुरु मंत्र का जाप करते हैं, जो उनके आध्यात्मिक विकास में सहायक होता है। शिष्य अपने गुरु के उपदेशों का पालन करने का संकल्प लेते हैं, जो उनके जीवन को सही दिशा में ले जाने में मदद करता है। दान भी करते हैं जो पुण्य माना जाता है।