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Rampur News: टीईटी अनिवार्यता संबंधी सुप्रीम कोर्ट के आदेश को अध्यादेश लाकर संशोधित कराए प्रदेश सरकार, शिक्षकों ने भेजा ज्ञापन

बेसिक शिक्षकों को टीईटी अनिवार्यता संबंधी सुप्रीम कोर्ट के आदेश को अध्यादेश लाकर सरकार संशोधित कराए। बेसिक शिक्षकों में इस आदेश से आक्रोश भी है। सैकड़ों शिक्षकों ने गुरुवार को कलेक्ट्रेट में एकत्र होकर जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा। 

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Akhilesh Sharma
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जिलाधिकारी कार्यालय पर ज्ञापन देने पहुंचे बेसिक शिक्षक। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)

रामपुर, वाईबीएन नेटवर्क। बेसिक शिक्षकों को टीईटी अनिवार्यता संबंधी सुप्रीम कोर्ट के आदेश को अध्यादेश लाकर सरकार संशोधित कराए। बेसिक शिक्षकों में इस आदेश से खलबली मची हुई है। आक्रोश भी है। सैकड़ों शिक्षकों ने गुरुवार को कलेक्ट्रेट में एकत्र होकर जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन भेजा। 

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एसडीएम को ज्ञापन सौंपते बेसिक शिक्षक। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)

बेसिक शिक्षकों ने ज्ञापन में कहा है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सेवारत शिक्षकों को जिनकी सेवा अवधि 05 वर्ष से अधिक है। उनको शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करने के आदेश दिए हैं। जबकि उसी आदेश में 03 सितंबर 2001 तक के नियुक्त शिक्षकों को मुक्त किये जाने की बात कही है। साथ ही आदेश के अन्य भाग में 23 अगस्त 2010 के पूर्व नियुक्त शिक्षकों को भी शिक्षक पात्रता परीक्षा से मुक्त की बात की है। साथ ही आदेश में यह भी कहा गया है कि शिक्षा अधिकार अधिनियम तथा संशोधित अधिनियम 10 अगस्त 2017 के अनुसार देश के सभी बेसिक शिक्षकों को शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण किया जाना है। इन स्थितियों से देश तथा उत्तर प्रदेश का बेसिक शिक्षक नौकरी जाने के भय से परेशान एवं अवसाद ग्रस्त हो रहा है। जबकि देश तथा प्रदेश में सेवारत सभी बेसिक शिक्षकों को तत्समय विभाग द्वारा निर्धारित सेवा शर्तों एवं योग्यता को पूर्ण करते हुए नियुक्त किया गया था।

ज्ञापन में कहा है कि शिक्षक पात्रता परीक्षा NCTE द्वारा 23 अगस्त 2010 को अधिसूचना जारी की गई एवं शिक्षा अधिकार अधिनियम 2011 में लागू किया गया। ऐसी स्थिति में उपरोक्त अधिसूचनाओं के पूर्व नियुक्त शिक्षको को शिक्षक पात्रता परीक्षा में लाना उचित नहीं है। तथा देश के लगभग 40 लाख शिक्षक और उनके परिवार प्रभावित होंगे। केवल उत्तर प्रदेश में ही लगभग 04 लाख शिक्षक और उनके परिवार प्रभावित होंगे। साथ ही सेवा के अंतिम पड़ाव पर आयु अधिक होने के कारण किसी परीक्षा से गुजरना देश के बेसिक शिक्षकों के लिए कठिन भी है तथा NCTE की गाइड लाइन एवं अधिसूचना के अनुसार कोई भी सेवारत शिक्षक शिक्षक पात्रता परीक्षा देने हेतु शर्तों को पूर्ण न करने के कारण योग्य भी नहीं है।

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ज्आञापन में अनुरोध किया है कि देश के लगभग 40 लाख तथा उत्तर प्रदेश के करीब 04 लाख बेसिक शिक्षकों तथा उनके परिवारों को बचाने हेतु NCTE अधिसूचना एवं शिक्षा अधिकार अधिनियम के प्रभावी होने की तिथि से पूर्व तत्समय निर्धारित योग्यता तथा सेवा शर्तों पर नियुक्त बेसिक शिक्षकों को शिक्षक पात्रता परीक्षा न दिए जाने हेतु अध्यादेश लाकर संशोधित करने का कष्ट करें। क्योंकि लगभग डेढ़ दशक बीत जाने तक भारत सरकार, NCTE ने जानबूझ कर उक्त योग्यता पूर्ण नहीं कराई और न ही कोई निर्देश दिया। इस स्थिति के उतपन्न होने का सम्पूर्ण उत्तरदायित्व NCTE एवं भारत सरकार का है। इस कारण संशोधन किया जाना अतिआवश्यक है।शिक्षक पात्रता परीक्षा देने हेतु NCTE के नियमों तथा शर्तों के अनुसार निम्न योग्यताओं में नियुक्त बेसिक शिक्षक शर्तों को पूरा न करने के कारण आवेदन ही नही कर पाएंगे जो कि निम्नवत है।

1-शिक्षक पात्रता परीक्षा में प्रतिभाग करने हेतु योग्यता स्नातक एवं बी0एड0/ बी0टी0सी0 प्रशिक्षण आवश्यक है।
2-जबकि वर्ष 2001 से पूर्व नियुक्त बेसिक शिक्षक इंटर मीडिएट एवं बी0टी0सी0प्रशिक्षण योग्यता धारी हैं। इस कारण योग्यता के अभाव में शिक्षक पात्रता परीक्षा का आवेदन ही नहीं कर पाएंगे।
3-शिक्षक पात्रता परीक्षा में प्रतिभाग करने वाले अभ्यर्थियों की के आयु सीमा 40 वर्ष निर्धारित है।
4-जबकि NCTE अधिसूचना एवं शिक्षा अधिकार अधिनियम लागू होने से पूर्व नियुक्त समस्त बेसिक शिक्षक निर्धारित आयुसीमा से अधिक आयु के हैं। इस कारण आवेदन ही नहीं कर पाएंगे।
5-बी0पी0एड0 योग्यता धारी शिक्षक भी शिक्षक पात्रता परीक्षा में प्रतिभाग नहीं कर सकते क्योंकि वह भी उक्त योग्यता को पूरा नहीं करते।
6-मृतक आश्रित के रूप में नियुक्त शिक्षक 31 दिसम्बर 1999 तक प्रशिक्षण योग्यता से शासन द्वारा प्रशिक्षण मुक्त हैं। इस कारण शिक्षक पात्रता परीक्षा हेतु वह भी आवेदन नहीं कर पाएंगे।
7-विभाग तथा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा वर्ष 2018 से बेसिक शिक्षक की योग्यता बी0टी0सी0/डी0एल0एड0 निर्धारित की गई है। जबकि उक्त तिथि से पूर्व नियुक्त बी0एड0 बेसिक शिक्षक भी शिक्षक पात्रता परीक्षा में आवेदन नहीं कर पाएंगे।
ज्ञापन में कहा है कि ऐसी स्थिति में जब 23 अगस्त 2010 के पूर्व नियुक्त बेसिक शिक्षक शिक्षक पात्रता परीक्षा में निर्धारित शर्तों के अनुसार आवेदन ही नहीं कर सकेगें तो फिर माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का अनुपालन किस प्रकार सम्भव हो सकेगा। ऐसी स्थिति में देश के लगभग 40 लाख तथा उत्तर प्रदेश के करीब 04 लाख बेसिक शिक्षको को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा। इस स्थिति में देश के 40 लाख बेसिक शिक्षकों के परिवार बेघर तथा भुखमरी के कगार पर आ जाएंगे।
 पुनः आपसे संघ तथा उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ उ०प्र० विनम्र अनुरोध करता है कि 23 अगस्त 2010 के पूर्व तत्समय निर्धारित आहर्ता को पूर्ण करते हुए नियुक्त शिक्षकों को अध्यादेश लाकर कानून में संशोधन कर शिक्षक पात्रता परीक्षा से मुक्त कर देश के लगभग 40 लाख परिवारों की रक्षा करने का कष्ट करें। देश तथा उत्तर प्रदेश का बेसिक शिक्षक आपका सदैव आभारी रहेगा। ज्ञापन/धरना प्रदर्शन डॉ राजवीर सिंह जिला अध्यक्ष एवं अंजुम स्नेही सक्सेना महामंत्री उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के नेतृत्व में हुआ। ज्ञापन कुमार संजय एसडीएम को दिया गया।

इस मौके पर इस अवसर पर जूनियर हाईस्कूल पूर्व माध्यमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष डॉ0 राजवीर सिंह, महामंत्री अंजुम स्नेही सक्सेना,प्राथमिक शिक्षक संघ के महामंत्री आनंद प्रकाश गुप्ता, जिलाध्यक्ष कैलाश पटेल,राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के जिलाध्यक्ष  रवेद्र गंगवार,अटेवा के जिला अध्यक्ष दिगपाल गंगवार,महिला संघ जिला अध्यक्ष एकता गुप्ता, एस सी एस टी के जिला अध्यक्ष राम बहादुर गौतम, रूप सिंह, सुभाष पाण्डेय, हिमेन्द्र प्रताप सिंह, चिंतामणि गंगवार, एम पी पटेल ,जयप्रकाश, अरविन्द गंगवार, उज़्मा फारुख, मुस्तफा अली, क़मर इसहाक जव्वाद,रवि कुमार, हिमदीप सिंह, राकेश विश्वकर्मा, सरदीप गौतम,मनोज शर्मा, धर्मवीर सिंह,होरीलाल राजपूत, इफ़्तेख़ार, मुनीश चंद्र, रामदेव गंगवार, उपमा रानी, जगदीश पटेल मेघाकांत मिश्रा, सतीश रुहेला, राधेश्याम, महेश पाल, जितेंद्र गंगवार, अय्यूब खां, राहुल शर्मा सतीश रुहेला,संजय कुमार, पिंटू सिंह आदि उपस्थित रहे।

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