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Rampur News: दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने देखी विख्यात रजा लाइब्रेरी, इतिहास और संग्रह को जाना

दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफन कॉलेज के बहुविषयक सोसायटी के छात्र-छात्राओं एवं संकाय सदस्यों के शैक्षणिक दल ने रामपुर रज़ा पुस्तकालय एवं संग्रहालय का भ्रमण किया। शैक्षणिक समूह में लगभग 40-50 छात्र और 4 संकाय सदस्य सम्मिलित रहे।

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Akhilesh Sharma
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रामपुर रजा पुस्तकालय देखने पहुंचे दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज के बहुविषयक छात्र छात्राएं। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)

रामपुर, वाईबीएन नेटवर्क। दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफन कॉलेज के बहुविषयक सोसायटी के छात्र-छात्राओं एवं संकाय सदस्यों के शैक्षणिक दल ने रामपुर रज़ा पुस्तकालय एवं संग्रहालय का भ्रमण किया। शैक्षणिक समूह में लगभग 40-50 छात्र और 4 संकाय सदस्य सम्मिलित रहे।

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दिल्ली के विद्यार्थियों के दल को संबोधित करते निदेशक डॉ पुष्कर मिश्र। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)

इस अवसर पर पुस्तकालय में भ्रमण के लिए आये शैक्षिक दल के लिए पुस्तकालय द्वारा व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम का संचालन मिस आस्था भारती झा ने किया और उन्होंने अन्त में सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।

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रजा पुस्तकालय में व्याख्यान सुनते दिल्ली के विद्यार्थी। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
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इस अवसर पर निदेशक डॉ पुष्कर मिश्र ने अपने वक्तव्य में छात्र-छात्राओं एवं संकाय सदस्यों के समक्ष पुस्तकालय के इतिहास, संग्रह एवं भविष्य की योजनाओं पर प्रकाश डाला। कहा कि रामपुर रियासत की स्थापना 1774 को नवाब फैजुल्लाह खान ने की थी। वे केवल एक कुशल शासक ही नहीं, बल्कि ज्ञान और साहित्य के महान संरक्षक भी थे। उन्होंने पुस्तकों और पांडुलिपियों का एक बहुमूल्य संग्रह बनाया। आने वाली पीढ़ियों के नवाबों ने इस संग्रह को निरंतर बढ़ाया और समृद्ध किया। इस अमूल्य धरोहर को सुरक्षित रखने के लिए वर्ष 1905 में भव्य हामिद मंज़िल का निर्माण कराया गया, जिसे आज हम रामपुर रज़ा पुस्तकालय भवन के रूप में जानते हैं। इसका निर्माण फ्रांसीसी वास्तुकार डब्ल्यूसी राइट द्वारा किया गया था। यह भवन अपनी अद्भुत वास्तुकला के कारण 'किताबों का ताजमहल" कहलाता है। उन्होंने इस शैक्षणिक समूह को इस भवन की विशिष्ट विशेषता के विषय में बताया। कहा कि इसकी चार मीनारें, जिनकी प्रत्येक मीनार में चार भाग हैं। ये चारों भाग विश्व की चार प्रमुख आस्थाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं मस्जिद, गिरजाघर, गुरुद्वारा और मंदिर। यह नवाबों की बहुसांस्कृतिक दृष्टि का प्रतीक है, जो यह संदेश देती है कि सभी धर्म और संस्कृतियाँ शांति और सद्भाव के साथ सहअस्तित्व में रह सकती हैं। 1949 में रामपुर रियासत के भारत संघ में विलय के बाद, 1951 में यह पुस्तकालय रज़ा ट्रस्ट और इसके बाद 1975 में भारत सरकार द्वारा संसद में पारित अधिनियम के अन्तर्गत यह पुस्तकालय एक राष्ट्रीय महत्व की संस्था बना। कहा कि आज रामपुर रज़ा पुस्तकालय अपनी गौरवशाली विरासत को संजोते हुए, ज्ञान, शोध और सांस्कृतिक संवाद का केंद्र बन चुका है। यहाँ 21 भाषाओं की दुर्लभ पांडुलिपियाँ और ग्रंथ सुरक्षित हैं, जो भारत की बौद्धिक और कलात्मक संपदा का प्रतीक हैं। उन्होंने बताया कि हाल ही में पुस्तकालय ने एक विश्व-स्तरीय अकादमिक अध्ययन एवं अनुवाद संस्थान स्थापित करने का निर्णय लिया है, ताकि ज्ञान और उत्कृष्टता के प्रसार की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए बहुसांस्कृतिक एवं बहुभाषायी अनुसंधान एवं अनुवाद केंद्र में प्रमुख भाषाओं का अध्ययन हो सके। कहा कि भारत विविधताओं का देश है, जहाँ अनेक संस्कृतियां, भाषाएं और आस्थाएं एक साथ विकसित हुई हैं। रामपुर एक ऐसा नगर है जहां सभी धर्मों के अनुयायी शताब्दियों से शांति, सद्भाव और परस्पर सम्मान के साथ रहते आए हैं। रामपुर के नवाबों ने पीढ़ी दर पीढ़ी इस सामंजस्यपूर्ण संस्कृति को पोषित किया। उन्होंने यह सिद्ध किया कि भिन्न आस्थाएँ और विचार भी एक साथ रह सकते हैं यही एकता और सह-अस्तित्व का सच्चा उदाहरण है। जब दुनिया युद्धों और संघर्षों में उलझी हुई थी, तब रामपुर में संवाद, सहअस्तित्व और ज्ञान की परंपरा आगे बढ़ रही थी।

निदेशक ने आगे कहा कि जैसे नई दिल्ली में गांधी समाधि सत्य और अहिंसा के विचार का प्रतीक है, वैसे ही रामपुर भी सत्य, स‌द्भाव और समरसता के विचारों का जीवंत प्रतीक है।

भारतीय दर्शन में कहा गया है- "आ नो भद्रा क्रतवो यन्तु विश्वतः।" अर्थात् सभी दिशाओं से हमारे पास कल्याणकारी विचार आएं। रामपुर रज़ा पुस्तकालय इसी व्यापक दृष्टिकोण का प्रतीक है। यहां की संस्कृति कहती है- सच्ची संस्कृति वही है जो दूसरों की संस्कृति का आदर करे, एक-दूसरे के सत्य को स्वीकार करे और साथ मिलकर आगे बढ़े।

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रामपुर रज़ा पुस्तकालय का दृष्टिकोण विशिष्ट है यह बहुभाषायी, बहुसांस्कृतिक और बहु-विषयी संस्था है। यहाँ न केवल दुर्लभ ग्रंथ और पांडुलिपियाँ सुरक्षित हैं, बल्कि चित्रकला, संगीत, आयुर्वेद, यूनानी चिकित्सा, वास्तुकला और इतिहास जैसे विविध विषयों का ज्ञान भी संरक्षित है। यह समग्र दृष्टि ही रामपुर रज़ा पुस्तकालय को "ज्ञान का तीर्थ" बनाती है।

 भ्रमण कार्यक्रम के दौरान छात्र-छात्राओं द्वारा पुस्तकालय के विभिन्न अनुभागों, संग्रहालय एवं संरक्षण प्रयोगशाला का अवलोकन किया गया। पुस्तकालय की ओर से सनम अली खान, मिस आस्था झा एवं इस्बाह खां द्वारा छात्र-छात्राओं और संकाय सदस्यों को पुस्तकालय की दुर्लभ कलाकृतियों एवं पुस्तकों का संरक्षण, कैटलॉगिग, वर्गीकरण इत्यादि एवं दरबार हॉल में प्रदर्शित कलाकृतियों के विषय में विस्तार से जानकारी दी। सभी छात्र-छात्राओं द्वारा उत्साहित होते हुए गहनता के साथ सांस्कृतिक विरासत और संग्रहित संग्रह की विषय में जाना और सीखा। भ्रमण का उद्देश्य भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर, अभिलेखागार एवं संग्रहालय विज्ञान की परंपराओं का प्रत्यक्ष अध्ययन करना रहा।

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