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Rampur News: उत्तराखंड के पीरान कलियर शरीफ में हजरत अलाउद्दीन अली अहमद साबिर कलियरी रहमतुल्लाह अलैह के उर्स में शरीक हुए रामपुर के मुरीद

पिरान कलियर शरीफ में हजरत अलाउद्दीन अली अहमद साबिरपाक कलियरी रहमतुल्लाह अलैह के उर्स शरीफ में रामपुर से बड़ी संख्या में मरीद पहुंचे और वहां धार्मिक आयोजन में शामिल हुए।

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Akhilesh Sharma
रामपुर

पीरान कलियर शरीफ में सजी साबिर पाक की दरगाह। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)

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रामपुर, वाईबीएन नेटवर्क। उत्तराखंड के हरिद्वार में गंगा नदी के किनारे बसे पिरान कलियर शरीफ में हजरत अलाउद्दीन अली अहमद साबिरपाक कलियरी रहमतुल्लाह अलैह की दरगाह शरीफ है। जिन्हें लोग प्यार से साबिर पाक कहते हैं। यह सूफी चाहने वालों का एक बड़ा मरकज (धार्मिक केंद्र) है। इस बार यहां साबिर पाक का 757वां सालाना उर्स शुरू चल रहा है। रामपुर से बड़ी संख्या में मुरीद कलियर शरीफ पहुंचे और उर्स में शामिल हुए। पांच सितंबर से शुरू हुआ यह उर्स आठ सितंबर तक चलेगा। रुढ़की के पास पीरान कलियर में चार पांच दिन का यह बड़ा आध्यात्मिक मेला होता है, जिसमें बड़ी संख्या में विदेश से भी लोग आकर शामिल होते हैं। 

रामपुर
उर्स में सज्जादानशीन अलीशाह मियां से मुलाकात करते जायरीन। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)

रामपुर से पीरान कलियर गए शाहिद जमाली ने बताया कि उर्स में इस बार भारी भीड़ रही, दरगाह शरीफ के अलावा नहरों और नदियों से घिरे कलियर में पैर रखने की भी जगह नहीं रही। लोग अपनी खुशहाली, मुल्क की खुशहाली, परिवार की खुशहाली और सभी के लिए दुआएं करते हैं। हजरत साबिर पाक सभी पर करम फरमाते हैं। इस्लामी कलेंडर के मुताबिक साबिर पाक का उर्स रबी उल अव्वल महीने की 13, 14 और 15 तारीख को होता है। इस बार अंग्रेजी कलेंडर की तारीख के मुताबिक यह छह, सात और आठ सितंबर की रहीं। दो दिन का उर्स संपन्न हो गया है अब तीसरे दिन के प्रोग्राम हैं इसके बाद सभी जायरीनों की वापसी शुरू हो जाएगी। उर्स के दौरान दरगाह शरीफ को रंगीन झालरों से सजाया गया है। पूरा कलियर सजावट की चकाचौंध में दिखाई दे रहा है।जायरीन दरगाह में माथा टेक रहे हैं। मजार पर चादर, गुलाब और इत्र सेवा करने में मशगूल हैं। दरगाह पर लंगर के भी इंतजाम हैं। 

जानिए कौन हैं साबिर पाक, क्या है सिलसिला

चिश्ती सिलसिले के हजरत अलाउद्दीन अली अहमद साबिर कलियरी रहमतुल्लाह अलैह बहुत बड़े सूफी संत थे। उनका पूरा जीवन फक्र, सब्र, खिदमत ए खल्क में गुजरा। इसीलिए उन्हें साबिर पाक कहते हैं। कलियर शरीफ दरगाह पर सभी धर्म के जायरीन आते हैं और जायरत करते हैं। 

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कुलशरीफ की रस्म में शामिल जायरीन। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)

उर्स कुल और दस्तारबंदी की रस्म में उमड़े जायरीन

साबिर पाक के उर्स के कुल में सज्जदानशीन अलीशाह मियां, यावर मियां, राजू मियां, सुहेल मियां, गुलाम शमसुद्दीन मेरठ, गुलाम मुईनुद्दीन आदि बड़ी संख्या में जायरीन मौजूद रहे। गुस्ल शरीफ, गुल शरीफ, चादरपोशी हुई। दस्तारबंदी हुई। इन मुख्य रस्मों के पूरा होने के बाद जायरीनों की वापसी शुरू हो गई। 

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