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शिक्षक राकेश विश्वकर्मा कबड्डी कोच की भूमिका में। Photograph: (वाई बी एन संवाददाता।)
रामपुर, वाईबीएन नेटवर्क। शासन द्वारा परिषदीय विद्यालयों में खेलो इंडिया के अंतर्गत समय समय पर विभिन्न खेल प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों द्वारा अपने अपने विद्यालय के बच्चों को कई खेलों में प्रशिक्षित कर विकास क्षेत्र, जनपद स्तर, मंडल एवं राज्य स्तर पर प्रतिभाग करवाया जाता है।
सभी विद्यालयों को प्रतिभाग करने हेतु प्रोत्साहित किया जाता है। बच्चों में खेलो के प्रति रूचि उत्पन्न करने एवं खेल का सामान क्रय किए जाने हेतु प्रति प्राथमिक विद्यालय 5000 रूपए एवं प्रति उच्च प्राथमिक विद्यालय को 10000 रूपए सरकार की ओर से प्रति वर्ष विद्यालय के विद्यालय प्रबंध समिति के खाते में प्रेषित किये जाते हैं। शिक्षकों की मेहनत एवं बच्चों की खेलों के प्रति आकर्षण से बेसिक शिक्षा विभाग में प्रति वर्ष नई नई प्रतिभाएं सामने आती हैं। गत कुछ वर्षों से विकास क्षेत्र चमरौआ के विद्यालयों से भी खेल प्रतिभाओं का सामने निकल कर आना देखने को मिला है। कम्पोजिट विद्यालय सनैया जट्ट की कबड्डी की टीम राज्य स्तर पर दो बार धमाल मचा चुकी है। शिक्षक राकेश विश्वकर्मा ने कोच के रूप में कबड्डी की ऐसी टीम तैयार की है जो कि दो बार राज्य स्तर पर प्रतिभाग कर चुकी है। बताते चलें कि वर्तमान में राकेश, प्रभारी अध्यापक के पद पर प्राथमिक विद्यालय पट्टी कल्यानपुर मैं कार्यरत हैं।
यंग भारत न्यूज़ संवावददाता को उन्होंने बताया कि जब मैंने सन 2018 में कम्पोजिट विद्यालय सनैया जट्ट में ज्वाइन किया तो यह ठान लिया था कि इस गांव के बच्चों को खेल के ज़रिए कुछ ऐसा देना है, जो न सिर्फ उनके शरीर को मज़बूत बनाए, बल्कि उनके आत्मविश्वास, सोच और भविष्य को भी दिशा दे। इसी सोच के साथ कबड्डी को स्कूल में एक परंपरा के रूप में शुरू किया। मुझे आज गर्व है कि सनैया जट्ट की टीम दो बार राज्य स्तर पर कबड्डी खेल चुकी है। और इससे भी ज्यादा खुशी इस बात की है कि कुछ बच्चों ने ‘खेलो इंडिया’ जैसे मंच से जुड़कर खेल को अपने जीवन का हिस्सा बना लिया है।
यहाँ तक कि एक छात्र ने तो कबड्डी क्लब/ एकेडमी जॉइन करके नियमित तैयारी शुरू कर दी है और अब वो अपना भविष्य भी इसी में देख रहा है। ये मेरे लिए एक शिक्षक के तौर पर सबसे बड़ा गर्व है।
जब मेरा स्थानांतरण मॉडल प्राइमरी स्कूल पट्टी कल्यानपुर में हुआ, तो वहाँ भी कबड्डी को लेकर वही ज़ुनून और मेहनत लेकर पहुँचा। यहाँ के बच्चे भी अब राज्य स्तर तक पहुँच चुके हैं। रोजाना खेल के एक पीरियड में उन्हें कबड्डी की तकनीकी शिक्षा दी जाती है तथा खेल की बारीकियां भी बताई जाती हैं जिसमें फिटनेस, रूल्स, टीमवर्क आदि सभी कुछ शामिल रहता है।वह कहते हैं देखकर अच्छा लगता है कि अब कबड्डी सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि बच्चों के सपनों का रास्ता बन रहा है।
उन्होंने बताया कि वह स्वयं भी नवोदय विद्यालय के छात्र रहे हैं, और मुझे वहीं से कबड्डी में खेलने का असली मौका मिला। उन्हें रीजनल लेवल तक खेलने का सौभाग्य मिला, और वही अनुभव वह आज अपने विद्यार्थियों को दे रहे है।उनका कहना है कि मेरी पूरी कोशिश रहती है और आगे भी रहेगी कि कबड्डी को एक मज़बूत दिशा दूँ ताकि गाँव के बच्चों को भी वही अवसर मिलें जो मुझे मिले थे। सनैया जट्ट से लेकर पट्टी कल्यानपुर तक, यह कबड्डी की यात्रा केवल मैदान तक सीमित नहीं है यह बच्चों के सपनों, आत्मविश्वास और भविष्य को गढ़ने की यात्रा है। कबड्डी जो कभी मिट्टी में खेला जाता था, आज वही कबड्डी बच्चों के जीवन को दिशा दे रही है।
और अगर कोई बच्चा इस खेल को अपना सपना बना लेता है, तो एक शिक्षक के लिए इससे बड़ा पुरस्कार कुछ नहीं हो सकता।
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