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Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
शाहजहांपुर वाईबीएन नेटवर्क। प्राइवेट स्कूलों में किताबों की खरीद-फरोख्त को लेकर हो रहे कथित भ्रष्टाचार पर अब कानूनी लड़ाई शुरू हो गई है। दून इंटरनेशनल स्कूल के डायरेक्टर और लेखक डॉ. जसमीत साहनी की ओर से दायर जनहित याचिका (PIL) को दिल्ली हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। मुख्य न्यायाधीश तुषार राव गेडेला ने मामले में एनसीईआरटी, सीबीएसई और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
याचिका में खड़े किए गए कई गंभीर सवाल
क्या प्राइवेट प्रकाशकों की महंगी किताबों के दाम घटाकर फिक्स किए जा सकते हैं?
आरटीई के तहत गरीब बच्चों को महंगी किताबें कैसे उपलब्ध होंगी?
क्या किताबों के सैट का वज़न तय किया जा सकता है?
क्या सभी प्राइवेट स्कूलों को एक जैसी किताबें लागू करने का आदेश दिया जा सकता है?
क्या कोर्ट और सरकार फिक्स रेट-फिक्स वेट सिस्टम लागू कर सकते हैं?
डॉ. साहनी के दावों में 55 हजार करोड़ का भ्रष्टाचार
डॉ. जसमीत साहनी ने अपनी पुस्तक प्राइवेट स्कूल बुक करप्शन में खुलासा किया है कि यह भ्रष्टाचार करीब 55,000 करोड़ रुपए का है, जिसे भारत का सबसे बड़ा करप्शन कहा जा रहा है। उनका कहना है कि अभिभावक दशकों से इसकी मार झेल रहे हैं और हर साल इसका आकार बढ़ रहा है।
फिक्स रेट-फिक्स वेट मॉडल पर बहस
इस समस्या का हल निकालने के लिए डॉ. जसमीत साहनी ने फिक्स रेट-फिक्स वेट सिस्टम डिजाइन किया है। इस मॉडल पर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा हो रही है। माना जा रहा है कि यह कदम अभिभावकों को बड़ी राहत दे सकता है। अब देखना होगा कि हाईकोर्ट में याचिका स्वीकार होने के बाद आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर क्या बड़ा फैसला सामने आता है।
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