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Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
शाहजहांपुर वाईबीएन संवाददाता। नगर के खिरनीबाग स्थित जीआईसी खेल मैदान में चल रही 11 दिवसीय श्रीराम कथा का मंगलवार को चतुर्थ दिवस रहा। कथा मे व्यास रमेश भाई शुक्ला ने भगवान श्रीराम की बाल लीलाओं का दिव्य स्वरूप सुनाया। कथा में उन्होंने मातृ-पितृ भक्ति, विश्वामित्र संग वनगमन, ताड़का-सुबाहु वध, अहिल्या उद्धार, गंगा महिमा और जनकपुर भ्रमण के प्रसंगों को विस्तार से प्रस्तुत कर रामचरितमानस के बालकांड की झलक भक्तों के सामने रखी।
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दशरथ ज्ञान के माता कौशल्या भक्ति की प्रतीक : कथा व्यास
कथा में बताया गया कि भगवान शंकर ने माता पार्वती से कहा कि भगवान राम के बालरूप के दर्शन के लिए वे स्वयं वृद्ध ब्राह्मण बनकर अवध पहुंचे थे। वहीं कागभूसुंडी ने बालक रूप धारण कर उनके शिष्य का रूप लिया। चारों भाइयों की बाल लीलाएं सुनाते हुए उन्होंने कहा कि वे दिनभर साथियों संग खेलते थे और दशरथ जी के बुलाने पर भी खेल से नहीं हटते थे। बाद में माता कौशल्या दौड़कर बालक राम को पकड़ लेती थीं। उन्होंने आगे समझाया कि महाराज दशरथ ज्ञान के प्रतीक हैं और माता कौशल्या भक्ति की प्रतीक और जीवन का सूत्र यही है कि केवल भक्ति के सहारे ही भगवान ज्ञान की गोद में आते हैं।
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उन्होंने आगे बताया कि महाराज दशरथ ने चारों पुत्रों को शिक्षा के लिए वशिष्ठ आश्रम भेजा। तभी ऋषि विश्वामित्र दरबार में आए और यज्ञ में विघ्न डालने वाले राक्षसों के वध के लिए राम और लक्ष्मण को मांगकर ले गए। वन में प्रभु ने ताड़का और सुबाहु का वध कर धर्म की रक्षा की तथा मारीच को बिना फन का बाण मारकर समुद्र किनारे सौ योजन दूर पहुंचा दिया। भक्त भक्ति रस में सराबोर हो उठे।
कथा में राम नाम जागरण मंच अयोध्या के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित निर्मल शास्त्री, डॉ. विजय पाठक, हरि शरण बाजपेई, हरिओम पांडे, दीपक शर्मा, नमित दीक्षित, ब्लॉक प्रमुख खुटार नीरज बाजपेई, श्रीधर शुक्ला, ब्लॉक प्रमुख कांट ने आरती पूजन किया। व्यासपीठ का पूजन एवं आरती अयोध्या से पधारे आचार्य पंडित सुनील पांडे और आचार्य पंडित सदाशिव पांडे आदि मौजूद रहे।
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