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Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
शाहजहांपुर वाईबीएन संवाददाता। अखिल भारतीय श्री राम नाम जागरण मंच के तत्वावधान में जीआईसी खेल मैदान में चल रही राम कथा के छठे दिन पर कथा व्यास रमेश भाई शुक्ल ने भगवान श्रीराम के वनगमन प्रसंग का मार्मिक वर्णन किया। इस बीच जैसे ही राम वनगमन की कथा सुनाई गई, श्रोताओं की आंखें भर आईं।
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कथा व्यास ने कथा का रसपान कराते हुए कहा कि देवासुर संग्राम में देवताओं की ओर से युद्ध के दौरान रानी कैकेयी ने राजा दशरथ की सहायता की थी। प्रसन्न होकर राजा दशरथ ने उन्हें दो वरदान देने का वचन दिया। कैकेयी ने सोचा कि उचित समय आने पर ही इन वरदानों को मांगा जाएगा। जब दशरथ ने श्रीराम के राज्याभिषेक की घोषणा की तो पूरी अयोध्या उत्साह से भर उठी। लेकिन कैकेयी की दासी मंथरा ने उसे बहकाकर समझाया कि यदि राम राजा बने तो भरत का महत्व समाप्त हो जाएगा। मंथरा की बातों में आकर कैकेयी ने कोप भवन में जाकर दशरथ से अपने वरदान मांग लिए।
राम ने स्वीकारा वनवास
कैकेयी ने पहला वरदान भरत को अयोध्या का राजा बनाने और दूसरा वरदान राम को 14 वर्षों का वनवास देने का रखा। राजा दशरथ स्तब्ध रह गए, लेकिन वचनबद्ध होने के कारण कुछ कर न सके। राम ने पितृभक्ति और धर्मपालन करते हुए बिना किसी विरोध के वनवास स्वीकार कर लिया। उनकी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण भी उनके साथ वन जाने को तैयार हो गए। जब भरत को इस निर्णय की जानकारी हुई तो वे अत्यंत दुखी हुए और उन्होंने राज्य लेने से इनकार कर दिया। वे राम को मनाने वन तक गए, लेकिन राम ने धर्म का पालन करते हुए वापसी से इनकार कर दिया। अंततः भरत ने राम की खड़ाऊँ को सिंहासन पर रखकर 14 वर्षों तक अयोध्या का संचालन किया।
कथा में अखिल भारतीय राम नाम जागरण मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित निर्मल शास्त्री, डॉ. विजय पाठक, हरि शरण बाजपेई, श्री दत्त शुक्ला, ब्लॉक प्रमुख कांट नमित दीक्षित, ब्लॉक प्रमुख खुटार दीपक शर्मा, नीरज बाजपेई, मुनेश्वर सिंह, ब्लाक प्रमुख सिधौली हरिओम पांडे, अजय गुप्ता सहित अनेक श्रद्धालु मौजूद रहे।
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