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शाहजहांपुर के कुर्रिया कला के तांत्रिक मंदिर में के देवी दरबार में हाथ जोड सुख समृद्धि की कामना करते जिला जज विष्णुदेव शर्मा Photograph: (मंदिर समिति)
शाहजहांपुर, वाईबीएन संवाददाताः साल में नवरात्र पर तीन दिन के लिए खुलने वाले जनपद के कुर्रिया कला स्थित प्रसिद्ध तांत्रिक मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। जिला जज, डीएम, एसपी समेत जन प्रतिनिधि भी यहां हाजिरी देते हैं। गुरुवार को दशवीं तिथि पर यहां विधायक अरविंद सिंह, जिला जज विष्णुदेव शर्मा, नगर आयुक्त डा वीपी मिश्रा समेत कई नेता व अधिकारी यहां पहुंचे और देवी के दरबार में हाजिरी देकर सुख समृद्धि की कामना की।
जिला मुख्यालय से लगभग 30 किमी दूर कांट थाना क्षेत्र में आने वाले कुर्रिया कला गांव के पश्चिम स्थित मंदिर के पास विशाल मेला भी लगता है, जहां प्रदेश भर से लोग आते है। गुुरुवार को जिला जज विष्णदेव शर्मा पहुंचे, उन्होंने आदि शक्ति मां दुर्गा मंदिर में मत्था टेक सुख समृद्धि की कामना की। पुजारी गुरुदेव दीक्षित ने पूजन कराया। विधायक अरविंद सिंह भी समर्थकों के साथ पहुंचे। उन्होंने भी देवी दरबार में माथा टेका। भाजपा नेता राकेश मिश्रा अनावा, महानगर अध्यक्ष शिल्पी गुप्ता, पूर्व मंत्री अवधेश वर्मा, भाजपा नेता उपेंद्र पाल सिंह आदि बडी संख्या में लोग पहुंचे और पूजन किया। नगर आयुक्त डा विपिन कुमार मिश्रा भी परिवार के साथ पहुंचे और श्रद्धा भक्ति के साथ मत्था टेका। इसके अलावा बडी संख्या में श्रद्धालुओं ने पहुंचकर हाजिरी दी।
वर्ष में दो बार नवरात्र पर ही खुलते हैं कपाट, कोलकाता से जुडा है नाता
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कुर्रियाकला गांव की मुख्य सड़क से पश्चिम-दक्षिण कोने पर स्थित है दुर्गा मंदिर का दरबार है, जो केवल गांव और प्रदेश नहीं बल्कि दूसरे राज्य पश्चिमी बंगाल कोलकाता से भी आध्यात्मिक से जुड़ा है। शंकरजी और श्रीहनुमान के अतिरिक्त दुर्गा देवी सहित पांच अन्य देवियों की सुन्दर और भव्य मूर्तियों से सुसज्जित ये मंदिर यूं तो दूर से बिल्कुल एक घर जैसा आभास देता है, न कोई गुम्बद और न ही कोई ऐसा चिन्ह जो दूर से देखने पर इसे मंदिर जैसा बनाता हो। लेकिन अपनी किवदंतियों से यह मंदिर इतना प्रसिद्ध है कि वर्ष में दो नवरात्र के बाद दशमी पर खुलता है। इस मंदिर में तीन दिनों तक इतनी भीड़ होती है कि पूरे गांव में ही मेला लग जाता है।
दशमी पर सुबह चार बजे खुल जाते कपाट
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शारदीय और चैत्र नवरात्र के बाद दशमी की सुबह चार बजे वैदिक मंत्रोच्चार से छह माह से बंद मंदिर के कपाट पुजारी गुरुदेव दीक्षित खोलते हैं, जोकि तीन दिन बाद द्वादशी को दिन के दो बजे सांकेतिक विसर्जन के बाद बंद कर दिए जाते हैं।
जानिए ओयल मंदिर से जुडा आदि शक्ति के दरबार का रोचक इतिहास
मंदिर के कपाट के खुलने और बंद होने के बारे में प्रचलित किवदंती के बारे में बात की जाये तो आज के जमाने में वो किवदंती आधी हकीकत और आधे फसाने के रुप में स्वीकार होगी। कहते हैं कि इस मंदिर के वर्तमान पुजारी गुरुदेव दीक्षित के पूर्वज सहतावन लाल दीक्षित आज से करीब पांच सौ वर्ष पूर्व ओयल स्टेट (लखीमपुर-खीरी) के तत्कालीन राजा के द्वारा की गई एक असम्भव घोषणा कि जो मेरे दरबार में लाई गई शंकर की प्रतिमा को हंसा देगा तो उसे मैं अपने मंदिर के लिए कोलकाता से लायी गईं सभी देवियों की मूर्तियां भी शंकर भगवान की मूर्ति के साथ दे दूंगा। सहतावन लाल ने असंभव को संभव कर दिया। राजा ने सभी मूर्तियों दे दी, जिन्हें वह ले आये और अपने मकान के एक हिस्से में बंद कर दिया। बताते हैं कि उनके मन में विचार था कि कोई उत्तम तिथि देखकर उन मूर्तियों को मंदिर में प्रतिष्ठित कर देंगे, लेकिन उससे पहले ही शारदीय नवरात्र की दशमी को ताले से बंद कपाट अपने आप एक तेज आवाज के साथ खुल गए और तीन बाद अपने आप ही बंद हो गए। ठीक ऐसी ही प्रक्रिया चैत्र नवरात्र के बाद हुई। नतीजन पुजारी ने मूर्तियों को कहीं और प्रतिष्ठित करने का विचार त्याग दिया और अपने घर के उस हिस्से को ही मंदिर मानकर तीन दिन के लिए हर वर्ष दो बार दर्शन हेतु बंद मूर्तियों के कपाट खोलने लगे।
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पिसी चीनी व नारियल का चढता है प्रसाद
आदि शक्ति के दरबार में पिसी चीनी और नारियल (गोला) का चढ़ाया जाता है। कुछ लोग मां दुर्गा को श्रृंगार भी अर्पित करते हैं। मंदिर के बाहर की जगह पर तीन दिन विशाल मेला भी लगता है, जिसमें दूर-दूर से दुकानदार अपनी दुकानें लेकर आते हैं। इस मेले से कुर्रिया कलां क्षेत्र के करीब 50 गांव की उन महिलाओं को अपनी जरुरत का सारा सामान मिल जाता है जो खरीददारी के लिए कहीं बाहर नहीं जा पातीं हैं।
लोक नृत्य नौटंकी है मेले का प्रमुख आकर्षण
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नौटंकी भी होती हैं यहां
उत्तर प्रदेश के लोक नृत्य नौटंकी को लेकर लोगों के मन में अच्छी धारणा नहीं है, इसी बात को लेकर अक्सर कुर्रिया पुलिस चौकी के नवागंतुक चौकी इंचार्ज से मेला कमेटी की तू तू-मैं मैं हो जाती है। लेकिन जो एक बार यहां के मेले में होने वाली नौटंकी देख लेता है, उसकी मानसिकता बदल जाती है। ढोलक, हारमोनियम और तबले के पुराने साजों पर होने वाले नृत्य और धार्मिक ड्रामा लोगों का मन मोह लेते हैं।
कैसे पहुंचे
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