DM Shahjahanpur : भैंसी के बने भगीरथ, किसानों के तारणहार, कार्यों में दिखाई दृढता, जनहित को खोले द्वार
डीएम धर्मेंद्र प्रताप सिंह का आज यानी 14 सितंबर को एक साल पूरा हो गया। जो उपलब्धियों की दृष्टि से बेमिसाल रहा। एतिहासिक कार्य रहा भैंसी नदी को पुनर्जीवित का। इससे आदि गंगा गोमती को संजीवनी मिली। जनिहत को बंद द्वार खोल आमजन के दिलों में भी स्थान बना लिया।
शाहजहांपुर, वाईबीएन संवाददाताः सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामयाः, सर्वे भद्राणि पश्यंतु मा कश्चित दुख भाग्भवेत--- वृहदारण्यक उपनिषद का यह श्लोक लोक कल्याण के सरोकार के आत्म संतुष्टि व प्रगति का मार्ग भी प्रशस्त करता है। जिलाधिकारी धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने एक साल के भीतर इसी अवधारणा पर कार्य करके जनसरोकार का इतिहास रच लिया। भगीरथ की तरह भैंसी नदी धरातल पर उतार कर राजधानी की प्रमुख नदी आदि गंगा अर्थात गोमती को संजीवनी प्रदान की। डीएम के एक साल के उपलब्धिपूर्ण कार्यकाल से जनपद के लाखों लोगों का जीवन आसान हो गया। उनकी समस्याएं दूर हुई। सरकारी योजनाओं को भी गति मिली। सीएम डैशबोर्ड समीक्षा में भी जनपद राजस्व व विकास की रैंकिंग में नंबर वन पर पहुंच गया।
21 साल की उम्र में बने PCS, 2013 में IAS
डीएम धर्मेंद्र प्रताप सिंह Photograph: ( (वाईबीएन नेटवर्क))
डीएम धर्मेंद्र प्रताप सिंह छात्रजीवन से भी बेहद गंभीर, सक्रिय सरोकार के प्रति समर्पित रहे। यही कारण रहा कि 21 साल की उम्र में यानी 1996 में वह पीसीएस अधिकारी बन गए। 2013 में पदोन्नति के तहत आइएएस बनने पर उन्होंने इतिहास रच दिया।
कृषक पिता से पाया श्रम से सिद्धि का मंत्र, कार्यक्षेत्र में विकसित किया समृद्धि का तंत्र
जिलाधिकारी धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने स्थल का निरीक्षण किया Photograph: (वाईबीएन )
16 जनवरी 1975 को देवरिया जिले के तरकुलवा गांव में जन्में डीएम धर्मेंद्र प्रताप सिंह को श्रम से सिद्धि का मंत्र उनके कृषक पिता ओम प्रकाश सिंह से मिला। यही कारण रहा कि वह प्रथम प्रयास में ही पीसीएस अधिकारी बन गए। प्रयागराज, गाजियाबाद, इटावा, प्रदेश की राजधानी समेत जहां भी वह रहे, सेवा कार्य से उत्कृष्ट कार्य करते रहे। नतीजतन उनका जीवन उपलब्धियों के स्वर्णिम मेडल से अलंकृत होता गया। शाहजहांपुर में जिलाधिकारी के रूप में एक साल का कार्यकाल बेमिसाल बन गया।
जनपद के प्रमुख कार्य तो बने यादगार
भैंसी नदी किनारे पौधारोपण करते जिलाधिकारी व लोकभारती के स्वयंसेवी Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
जिलाधिकारी, कलक्टर व जिला मजिस्ट्रेट के रूप में धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने 14 सितम्बर 2024 को पदभार ग्रहण किया था। एक साल में उन्होंने शिक्षा, पर्यावरण, कृषि, स्वास्थ्य, आधारभूत संरचना और सुशासन में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। जिसका प्रभाव जनमानस तक पहुंचा है। इनमें सबसे उल्लेखनीय कार्य रहा भैंसी नदी पुनर्जीवन का। लोकभारती की ओर से चलाए जा रहे अभियान को डीएम ने गति दी। सरोकार के संस्कार व दृढ इच्दा शक्ति से सूखी व मृतप्राय भैंसी नदी को नया जीवन मिल गया। नदी में जलधारा प्रवाहित होने के साथ ही किनारे फलदार, छायादार पौधे लगाकर प्रकृति संरक्षण के साथ सौंदर्यीकरण कार्य भी किया। छोटे बांध निर्माण के माध्यम से नदी का जलस्तर बढ़ा। इससे किसानों को सिंचाई का भी अतिरिक्त संसाधन मिल गया।
किसानों की जीवनरेखा नहरों को भी संजीवनी
डीएम धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने नहरों की सिल्ट सफाई का भी अभियान चलाया। इससे लगभग 50 हजार हेक्टेयर में फसलों की सिंचाई को पानी मिलना आसान हो गया। एक लाख से अधिक किसानों को विविध योजनाओं से लाभान्वित कर उनका जीवन आसान बनाया।
स्कूलों के कायाकल्प के साथ शैक्षिक गुणवत्ता को विद्यार्थियों का कराया माक टेस्ट
नैट के लिए माक टेस्ट में शामिल बच्चे Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
डीएम ने स्कूूलों के कायाकल्प पर भी जोर दिया। अवैध रूप से संचालित स्कूलों पर पाबंदी लगाई। बेसिक शिक्षा में शैक्षिक गुणवत्ता सुधार के लिए निपुण अभियान का गति प्रदान की। इकसे लिए माक टेस्ट कराया। जिसमें 2.5 लाख से अधिक बच्चों ने प्रतिभाग किया। 67 अनधिकृत विद्यालयों को बंद कराकर उनमें पढने वाले बच्चों को मान्यता प्राप्त विद्यालयों में स्थानांतरित कराया।
भ्रष्टाचार पर सख्ती, मानक अनुरूप निर्माण पर जोर
Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
जनसेवा और सुशासन के क्षेत्र में डीएम धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने कडे तेवर अपनाए। संपत्ति स्थानांतरणों में हेरफेर की शिकायत पर उन्होंने एक तहसीलदार के खिलाफ FIR दर्ज कराकर भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त संदेश दिया। वहीं पंचायत भवनों और जल जीवन मिशन से जुड़े निर्माण कार्यों का स्वयं निरीक्षण कर घटिया सामग्री पर नाराजगी जताई। हालांकि मनरेगा में फर्जी हाजिरी के भ्रष्टाचार पर अंकुश अभी नहीं लगाया जा सका। इससे सरकारी धन के दुरुपयोग के साथ ही जरूरतमंद मनरेगा श्रमिकों के हितों से खिलवाड भी हो रहा है।
दस हजार परिवारों को आवास, पूरी हुई बेहतर स्वास्थ्य सेवा की आस
स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करने की दिशा में डीएम ने प्रभावी कार्य कराया। आयुष्मान भारत योजना के तहत एक साल में 20 हजार नए कार्ड जारी कराए। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में पर्याप्त दवाओं व उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित कराई। गर्भवती महिलाओं के लिए स्वास्थ्य शिविर लगवाकर जच्चा व बच्चा के स्वास्थ्य की चिंता की। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 10 हजार गरीब परिवारों को छत मुहैया कराकर उनकी वर्षों पुरानी आवास की आस पूरी कर दी।
सुधारा बुनियादी ढांचा, बेटियों की शिक्षा को भी मजबूती
विकास के लिए बुनियादी ढांचे की मजबूरी जरूरी है। इस कारण डीएम ने सडक, पुल निर्माण पर सर्वाधिक जोर दिया। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत अंतर्गत 100 किलोमीटर से अधिक ग्रामीण सड़कों का निर्माण और मरम्मत कराने में अहम योगदान किया। पुवायां–शहर मार्ग पर पुल का उद्घाटन कर यातायात को सुगम बनाया गया। महिला सशक्तिकरण और सामाजिक जागरूकता के ल्थ्ए बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसे कार्यक्रमों को धरातल पर उतारा।
सांप्रदायिक सौहार्द व सांस्कृतिक उन्नयन पर भी दिया जोर
शांति व सौहार्द की नगरी में साझी शहादत- साझी बिरासत प्रमुख आधार रही। स्वतंत्रता सेनानी पंडित राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खां की मित्रता व बलिदान इसका प्रमाण है। डीएम ने एक साल के कार्यकाल में शांति व सौहार्द के लिए गौरवपूर्ण इतिहास के विविध आयोजन कराकर गौरवशाली ऐतिहासिक धरोहर को भी संरक्षित करने का प्रयास किया।
शालीनता व सुशासन से बनाई से शहर से शासन तक विशिष्ट पहचान
एक साल के कार्य व्यवहार से डीएम ने शालीनता से आमजन में गंभीर व सरल हृदय अधिकारी के रूप में पहचान बना ली। शैक्षिक गुणवत्ता वृद्धि, सिंचाई और कृषि उत्पादन में सुधार, मजबूत स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ ही गरीब परिवारों को आवास और आधारभूत ढांचे का लाभ मिला। प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही का वातावरण सृजित होने से प्रशासनिक मशीनरी में भी करंट बना हुआ है।
थोडा है... थोडे की जरूरत
बेशक डीएम का प्रयास अनुकरणीय है। एक साल के कार्यकाल में उन्होंने प्रभावी कार्य किए, लेकिन सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन व भ्रष्टाचार नियंत्रण पर अभी प्रभावी कार्यवाही की जरूरत है। मनरेगा समेत ग्राम पंचायत स्तर पर होने वाले कार्यों की मानीटरिंग शिथिल है। एक ही स्थान पर अलग अलग नामों से कागजों पर कार्य दिखाकर सरकारी धन का बंदरबांट किया जा रहा है। मनरेगा में फर्जी हाजिरी, विविध पेंशन व सम्मान निधि में गडबडी तथा नकली खाद, बीज की भी समस्या है। सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर भी ध्यान देने की जरूरत है। निश्चित ही जिस तरह डीएम ने एक साल के भीतर एतिहासिक कार्यों से जन विश्वास अर्जित करने के साथ सरकारी योजनाओं को धरातल पर उतारा, उससे आगामी दिनों में भी बडे बदलाव व एतिहासिक कार्यों के प्रति भरोसा बढा है।
जानिए डीएम धर्मेंद्र प्रताप सिंह के बारे में
पिता - ओम प्रकाश सिंह प्रतिष्ठित कृषक
पत्नी - डा एकता सिहं, स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ
शिक्षा - इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र व दर्शन शास्त्र में परास्नातक उपाधि, अर्थशास्त्र में दो स्वर्ण व एक रजत पदक
कार्यक्षेत्र -PCS बस्ती, प्रयागराज, गाजियाबाद, सहारनपुर, लखनउ व इटावा में एसडीएम, गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के विशेष कार्याधिकारी, मेट्रो परियोजना में विशिष्ट कार्य।
IAS के रूप में 2018 से 2022 तक नई दिल्ली नगर पालिका में निदेशक सतर्कता। 2022 में प्रधानमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार। उत्तर प्रदेश के नगर विकास विभाग में विशेष सचिव। 14 सितंबर 2024 से अब तक शाहजहांपुर के डीएम का दायित्व।