Shahjahanpur News: भीषण गर्मी में पंखे बंद, पानी गायब – तड़पते मरीज और मुसाफिर
शाहजहांपुर में भीषण गर्मी ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। अस्पतालों में पंखे बंद या खराब हैं, स्टेशन और बस अड्डों पर पीने का पानी तक उपलब्ध नहीं। मरीज और यात्री गर्मी में तड़प रहे हैं, लेकिन प्रशासन मौन है।
जिला इन दिनों भीषण गर्मी की चपेट में है। पारा 42 डिग्री के पार पहुंच गया है। ऐसे में आमजन गर्मी से परेशान हैं, लेकिन राहत देने वाली सुविधाएं पूरी तरह ठप हो गई हैं। अस्पतालों में पंखे बंद हैं, स्टेशन और बस अड्डे पर न तो पानी है और न ही छांव या हवा की व्यवस्था। गर्मी से तड़पते मरीज और रेलवे स्टेशन व बस अड्डे पर मुसाफिर खुद को बेसहारा महसूस कर रहे हैं।
राजेंद्र कुमर Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
मेडिकल कॉलेज में राजेंद्र कुमार की व्यथा
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मेडिकल कॉलेज में खून की जांच के लिए पहुंचे राजेंद्र कुमार ने बताया, “दो घंटे से बैठा हूं, लेकिन जांच नहीं हो सकी। इतनी गर्मी में न पंखा चल रहा है और न हवा मिल रही है। कुछ लोग तो मरीजों के लिए घर से पंखे तक लेकर आ रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा कि कई लोग पंखे न चलने और बदहाल स्थिति को लेकर कुछ बोलना चाहते हैं, लेकिन अस्पताल प्रशासन के डर से चुप हैं। उन्हें चिंता है कि अगर कुछ कहा तो कहीं इलाज में लापरवाही न बरती जाए।
मेडिकल कॉलेज में ख़राब लगे पंखे Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क )
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अस्पतालों में पसीना बहाते तीमारदार
जिला अस्पताल में भी हालात कुछ ऐसे ही हैं। कई वार्डों में पंखे खराब पड़े हैं। मरीजों के तीमारदार हाथ से पंखा झलते दिखे। कुछ तो छत में लगे पुराने पंखों को डंडे से घुमाने की कोशिश कर रहे थे। गर्मी में न तो ठंडक है और न ही पीने का साफ पानी।
बस अड्डे पर भी पंखे नहीं चलने से यात्रियों का बेहाल Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क )
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बस अड्डे पर भी हाल बेहाल
बस अड्डे पर इंतजार कर रहे यात्री निखिल वर्मा ने कहा, “यहां न बैठने की व्यवस्था है और न पानी की। गर्मी में घंटों खड़ा रहना पड़ रहा है।”
निखिल वर्मा Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क )
वहीं यात्री अमित ने बताया, “बच्चों के साथ सफर कर रहा हूं। यहां न पंखा चल रहा है, न छांव है। पानी तक नहीं मिल रहा। बच्चे बेहाल हैं, लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है।”
प्रशासन मौन, जनता हलकान
इस भीषण गर्मी में जिला प्रशासन की तरफ से किसी प्रकार की ठोस पहल अब तक नहीं की गई है। न अस्पतालों में अतिरिक्त पंखे या कूलर लगाए गए हैं और न ही पेयजल के वैकल्पिक इंतजाम।
जनता की मांग, व्यवस्था सुधरे
स्थानीय लोगों ने मांग की है कि अस्पताल, स्टेशन और बस अड्डे जैसी सार्वजनिक जगहों पर फौरन पीने के पानी, पंखों और बैठने की समुचित व्यवस्था की जाए। लोगों का कहना है कि प्रशासनिक उदासीनता के चलते गर्मी जानलेवा बनती जा रही है।