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Photograph: (वाईबीएन netwrk)
शाहजहांपुर वाईबीएन संवाददाता। धान की रोपाई का मौसम है खेत तैयार हैं मेहनत का वक्त है लेकिन अगर कुछ नहीं है तो वो है खाद। यह पीड़ा सिर्फ एक किसान की नहीं बल्कि पुवायां क्षेत्र के सैकड़ों किसानों की है जो इन दिनों खाद की भारी किल्लत से जूझ रहे हैं। सरकारी आंकड़े खाद की भरपूर उपलब्धता का दावा कर रहे हैं मगर ज़मीनी हकीकत कुछ और ही कहानी कह रही है। सुबह-सुबह भूखे-प्यासे किसान लाइन में खड़े होकर घंटों इंतजार करते हैं फिर भी खाली हाथ लौटते हैं।
कागजों में स्टॉक होगा, लेकिन हमें तो नहीं मिल रही खाद
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सुरजन यादव -
ईफको किसान सेवा केंद्र के बाहर तड़के 4 बजे से ही किसानों की लंबी लाइनें लग रही हैं।
किसान हरिनाम सिंह ने कहा अब तो रोज़ की आदत हो गई है लाइन में लगो इंतजार करो और बिना खाद के वापस घर जाओ। धान की रोपाई रुकी पड़ी है।
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रामप्रताप ने बताया जो सरकारी केंद्र हैं वहां कुछ नहीं मिल रहा और जो प्राइवेट दुकानदार हैं, वो 267 रुपये की बोरी 500 में दे रहे हैं। साथ में जबरन कीटनाशक और अन्य उत्पाद भी खरीदने की शर्त लगा देते हैं।
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संतराम- ने कहा खाद के साथ जबरन कीटनाशक और अन्य दवाएं खरीदने को कहा जा रहा है। नहीं खरीदो तो साफ मना कर देते हैं। ऐसे में हम गरीब किसान जाएं तो जाएं कहां?
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किसान हरिओम यादव ने बताया मैं सुबह चार बजे लाइन में लग गया था। पूरे दिन धूप में खड़ा रहा, लेकिन शाम तक भी खाद नहीं मिली। दुकानदार कहते हैं कि स्टॉक खत्म हो गया जबकि कुछ लोगों को चुपचाप खाद दी जा रही है। ब्लैक में 450 रुपये तक में बोरी बिक रही है।
किसानों का आरोप है कि ब्लैक मार्केटिंग खुलेआम हो रही है लेकिन प्रशासन आंख मूंदे बैठा है। खाद के लिए एक-एक बोरी के लिए मारा-मारी हो रही है। किसान आर्थिक और मानसिक दोनों रूप से टूटते जा रहे हैं।
प्रशासन बोला स्टॉक भरपूर, फिर खेतों में सुखा क्यों
जिला कृषि अधिकारी कार्यालय से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार खरीफ 2025 के लिए शाहजहांपुर में कुल 1,57,900 मीट्रिक टन खाद का लक्ष्य तय किया गया था, जिसमें से 1,44,565 मीट्रिक टन खाद की आपूर्ति हो चुकी है और 1,01,239 मीट्रिक टन खाद का वितरण भी कर दिया गया है। विभाग के अनुसार 43,326 मीट्रिक टन खाद अभी भी स्टॉक में मौजूद है।
कृषि विभाग के एक अधिकारी ने बताया जिले में खाद की कोई कमी नहीं है, लेकिन एक साथ बड़ी संख्या में किसान आ जाने के कारण कुछ केंद्रों पर असुविधा हो रही है। जल्द ही अतिरिक्त वितरण केंद्र बनाए जाएंगे और जरूरत पड़ने पर छापेमारी भी की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि यदि किसी किसान को कालाबाजारी या जबरन बिक्री की शिकायत है तो वह लिखित शिकायत करें, संबंधित दुकानदार या केंद्र के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
प्रशासन के आंकड़े संतोषजनक हैं लेकिन किसानों की स्थिति इससे उलट है। यदि स्टॉक भरपूर है तो खाद केंद्रों पर क्यों नहीं मिल रही? किसान क्यों तीन-तीन दिन लाइन में लग रहे हैं? यह स्पष्ट करता है कि समस्या आपूर्ति नहीं बल्कि वितरण तंत्र में कहीं न कहीं गंभीर खामी या लापरवाही है।
किसानों की मांग है
हर ब्लॉक में पर्याप्त खाद केंद्र खोले जाएं
टोकन और काउंटर प्रणाली लागू की जाए
ब्लैक मार्केटिंग पर तत्काल सख्त कार्रवाई
विभागीय अधिकारियों द्वारा मौके पर निरीक्षण
असहाय, वृद्ध और महिला किसानों को प्राथमिकता
किसानों के लिए खरीफ सीजन जीवन का आधार है। खाद उनके लिए रोटी की जड़ है। ऐसे में अगर खाद के लिए उन्हें संघर्ष करना पड़े तो यह सिर्फ व्यवस्था की विफलता नहीं बल्कि किसान के आत्मसम्मान पर आघात है। प्रशासन को चाहिए कि वह आंकड़ों से बाहर निकलकर जमीनी सच्चाई देखे और तत्काल प्रभावी कदम उठाए ताकि खेतों में हरियाली लहराए और किसान को राहत मिले।
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