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विश्व पृथ्वी दिवस शाक-भाजी और औषधीय खेती से मालामाल होंगे किसान, पर्यावरण भी सुधरेगा

किसान अब शाक-भाजी और औषधीय खेती की ओर बढ़ रहे हैं। सरकार की योजनाएं भी किसानों को इस तरफ बढ़ने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। किसानों में इस जागरूकता से पर्यावरण में सुधार भी हो सकेगा।

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Akhilesh Sharma
विश्व पृथ्वी दिवस पर यंग भारत न्यूज़ कार्यालय में विभागीय योजनाओं की जानकारी देते जिला उद्यान अधिकारी डॉ पुनीत पाठक

विश्व पृथ्वी दिवस पर यंग Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)

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शाहजहांपुर, वाईबीएन संवाददाता

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केंद्र व प्रदेश सरकार की कई योजनाएं अब किसानों को शाक-भाजी के साथ औषधीय खेती के प्रति प्रोत्साहित करेंगी। इससे किसान मालामाल होंगे वहीं दूसरी ओर इससे किसानों का रुझान बढ़ने से बागवानी वाली खेती पर्यावरण संतुलन बनाने में भी कारगर साबित होगी। यह कहना है जिला उद्यान अधिकारी डाक्टर पुनीत पाठक का। विश्व पृथ्वी दिवस के मौके पर यंग भारत स्टूडियो में आमंत्रित जिला उद्यान अधिकारी से कई मुद्दों पर बातचीत हुई प्रस्तुत है उनसे बातचीत के प्रमुख अंशः-

सवाल- किसानों के लिए कौन सी लाभकारी योजनाएं हैं जिससे मुनाफे की खेती कर सकते हैं।

जिला उद्यान अधिकारी- किसानों की आय बढ़ाने के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार ने बढ़ा कदम उठाया है। पहली बार प्रदेश के सभी 75 जिलों में एक अप्रैल से राष्ट्रीय एकीकृत बागवानी मिशन योजना लागू की गई है। इसका लाभ किसानों को मिलना शुरू हो गया है। इसमें उद्यान विभाग से ताल्लुक रखने वाली परियोजनाओं के लिए छोटे स्तर पर काम करने पर भी अनुदान मिलेगा। अनुदान राशि भी बढ़ाई गई है। छोटे किसानों को भी इसका लाभ मिलेगा। पहले यह योजना सिर्फ 45 जिलों में ही लागू थी। अब शाहजहांपुर समेत बाकी 30 जिले भी इसमें शामिल हो गए हैं। योजना का मकसद किसानों की आय को बढ़ाने का ही है।इस योजना में वित्तीय वर्ष 2025-26 की सब्सिडी को लेकर जो गाइडलाइन है, उसके मुताबिक अब सब्सिडी को बढ़ाया गया है. इसमें समय की मांग को देखते हुए और भी कई फसलों को शामिल किया गया है, जो पूर्व में नहीं थीं। जिस प्रकार बाजार की मांग है, उसको देखते हुए इसमें बदलाव किए गए हैं। इस स्कीम के तहत बहुत सी ऐसी फसलें हैं, जो किसान उगाना चाहते हैं तो इसमें अनुदान लेकर अपना काम कर सकते हैं।

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सवाल- आजकल किसानों के लिए छुट्टा पशु खेती में मुसीबत बने हैं। इसका क्या समाधान है।

जिला उद्यान अधिकारी- नई कार्ययोजना अब आई है, इसमें नई तकनीक को शामिल किया गया है। इसके साथ साथ फेंसिंग को भी शामिल किया है। यानी कोई किसान अपनी बागवानी सुरक्षित करने के लिए अनुदान पा सकता है। विशेष रूप से इसमें यह प्रावधान है कि प्रति किसान अधिकतम 1000 मीटर रनिंग मीटर तक फेंसिंग करा सकता है।

सवाल- किसान को टिकाऊ आय कैसे मिल सकती है।

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जिला उद्यान अधिकारी- बागवानी, सब्जी, फल उत्पादन, नवीन बाग रोपण से टिकाऊ आय मिलती है। यह साठ साल तक अच्छा उत्पादन देते हैं। इसके लिए योजना से अनुदान भी अच्छा मिलता है। नर्सरी स्थापना पर भी अनुदान है। ड्रैगन फ्रूट लगाएं तो 20 से 30 वर्ष तक उचित देखभाल कर आय की जा सकती है। कैक्ट्स वर्गीकरण से होने की वजह से छुट्टा पशु भी नहीं खाते हैं। कवक (फंगस) से देखभाल की जरूरत होती है। गेंदा की खेती भी कर सकते हैं। 

सवाल- साठा धान का क्या विकल्प हो सकता है, जिससे किसान को अच्छा मुनाफा मिले।

जिला उद्यान अधिकारी- साठा धान का अच्छा विकल्प समर मूंग हो सकती है। गेहूं की कटाई के बाद इसे तत्काल लगाया जा सकता है। इसमें पानी की आवश्यकता भी कम रहती है। तीन से चार क्विटल प्रति हेक्टेयर इससे उत्पादन मिल जाता है। गेंदा लगाकर भी लाभ अर्जित कर सकते हैं। 

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सवाल- बागवानी मिशन में क्या मसाला और औषधीय खेती भी शामिल है।

जिला उद्यान अधिकारी- बागवानी मिशन में मसाला और औषधीय खेती भी शामिल है। इसे लगाने के लिए अनुदान है। छोटे किसान भी इसे कर सकते हैं। किसानों को इस बारे में कभी भी जिला उद्यान अधिकारी कार्यालय से संपर्क करना चाहिए। किसान मशरूम के अलावा सभी तरह की फल-सब्जियों के लिए योजना का लाभ ले सकते हैं। इसमें आलू, अदरक, लिची, स्ट्राबेरी, शहद, शिमला मिर्च, टमाटर के साथ ही आयुर्वेदिक औषधियों की पैदावार योजना के तहत कर सकते हैं। इसमें अनुदान के साथ अन्य सहयोग भी दिया जाएगा।

सवाल- कितनी अनुदान राशि बढ़ी है।

जिला उद्यान अधिकारी-  मशरूम उत्पादन के लिए पहले जहां एक यूनिट की अधिकतम लागत 20 लाख रुपये तक थी, अब उसको बढ़ाकर 30 लाख किया गया है और इसमें किसान को 40 फीसदी तक अनुदान ह। खास बात यह है कि यह बड़ी यूनिट के लिए योजना थी, लेकिन अब अगर कोई छोटी यूनिट लगाकर काम करना चाहता है तो उसके लिए भी व्यवस्था है। अगर कोई 200 (20×10 वर्ग फीट) वर्ग फीट एरिया में भी मशरूम इकाई लगाना चाहता है और उसकी दो लाख रुपये यूनिट की लागत है तो एक लाख का उसे अनुदान मिलेगा। पहली बार ऐसा निर्णय लिया गया है। पहले छोटे स्केल पर काम करने वालों के लिए यह योजना नहीं थी। पॉली हाउस या ग्रीन हाउस की लागत लगभग 40 लाख या उससे ज्यादा आती थी। अब किसान अपने सोर्स से अगर छोटे लेवल पर काम करना चाहता हैं तो भी उद्यान विभाग सहयोग करेगा।

सवाल- किसान कैसे इन योजनाओं का लाभ उठाएं।

जिला उद्यान अधिकारी- किसान अगर कोई भी समस्या आ रही है या स्कीम को लेकर जानाकारी चाहते हैं। तो जिला उद्यान विभाग में सम्पर्क कर सकते हैं। योजना में आवेदन कर सकते हैं। ऑनलाइन आवेदन के लिए पोर्टल खुला है। अलग-अलग जनपदों के लिए लक्ष्य शासन स्तर से मिलेगा। उसके बाद उसी लक्ष्य के अनुरूप जो भी आवेदक रुचि लेंगे, उन्हें योजना का लाभ मिलेगा। जो किसान इन योजनाओं के लिए आवेदन करेंगे, कोशिश रहेगी कि उन सभी को सम्मिलित करते हुए उनको योजना का लाभ दिलाया जाए, अगर लक्ष्य से अधिक किसान आवेदन करते हैं तो ऐसी स्थिति में अतिरिक्त बजट की मांग की जाएगी।

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