इधर भी ध्यान दे सरकारः प्रशासन की अनदेखी, मीडिया पर प्रतिबंध, कचरा घर बनता जा रहा मेडिकल कालेज
राजकीय मेडिकल कालेज कचरा घर बनता जा रहा है। प्रशासन का इस तरफ ध्यान नहीं है। मेडिकल कालेज में मीडिया पर अघोषित प्रतिबंध लगा हुआ है। खामिया उजागर नहीं हो रही हैं। मुख्यमंत्री के दूत निरीक्षण में अनदेखा करके चले गए। सरकार को ध्यान देने की जरूरत है।
शाहजहांपुर के राजकीय मेडिकल कालेज का कचरा घर देखिए। यहीं पास में गंभीर मरीजों का उपचार होता है। यह ट्रामा सेंटर के पीछे की वह जगह है जहां गैस रिसाव हुआ था। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
पंडित रामप्रसाद बिस्मिल स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय शाहजहांपुर में इन दिनों सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। कभी स्टाफ की लापरवाही तो कभी डाक्टरों की मनमानी के किस्से अक्सर सामने आते रहते हैं। लेकिन अब मेडिकल कालेज में गंदगी भी दूर से दिखने लगी है। मेडिकल वेस्ट से लेकर अन्य कचरा जहां तहां पड़ा मिल जाएगा। ट्रामा सेंटर के पास जहां गंभीर मरीजों का गहन उपचार होता है। वहीं कचरा घर बन गया है। प्रशासन के अधिकारियों का इधर ध्यान नहीं है। मेडिकल कालेज में मीडिया पर अघोषित प्रतिबंध लगाया हुआ है, इसलिए खामियां उजागर नहीं हो पा रही हैं। पिछले दिनों मुख्यमंत्री के दूत आईएएस रजनीश भी आए, लेकिन मेडिकल कालेज की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया गया। प्रतिदिन हजारों लोग यहां जिस उम्मीद के साथ आते हैं उसमें अधिकांश खामियों और लापरवाही के किस्से सुनाते हुए लौटते हैं, फिर भी सरकार का इस तरफ ध्यान नहीं है।
रविवार को जब मेडिकल कालेज में अचानक जहरीली गैस का रिसाव हुआ तो अफवाह फैल गई। इस बीच भगदड़ में एक मरीज की मौत भी होना बताया जा रहा है। परिजन कह रहे हैं कि भगदड़ से मौत हुई, लेकिन मेडिकल कालेज प्राचार्य मौत का कारण गंभीर बीमारी से ग्रसित होने को मौत की वजह बता रहे हैं। इस दौरान प्रशासन के अधिकारी भी मेडिकल कालेज पहुंचे और इसी गैस रिसाव की भगदड़ मामले में जांच पड़ताल करके लौट गए। जहां गैस रिसाव हुआ वहीं पास में कचरा और गंदगी का अंबार लगा हुआ था। किसी की नजर इस पर नहीं गई। इस कचरे में मेडिकल वेस्ट भी था। जिसे निस्तारित करने के लिए एक सतत प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए। खुले में फेंका नहीं जाना चाहिए, इसके बाद भी खुलेआम उसे फेंका जा रहा है। जिलाधिकारी धर्मेंद्र प्रताप सिंह जब से आए हैं उन्होंने प्राचार्य को गंदगी न होने देने के लिए स्पष्ट निर्देश दे रखे हैं, फिर भी मेडिकल कालेज में गंदगी देखकर आश्चर्य लगा।
खतरनाक श्रेणी में आता है मेडिकल वेस्ट
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Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
मेडिकल कचरे को कभी भी घरेलू कचरे के साथ नहीं मिलाना चाहिए। इसके बजाय, इसे हमेशा विशेष और स्पष्ट रूप से चिह्नित कंटेनरों में रखा जाना चाहिए। साथ ही, मेडिकल कचरे के कंटेनरों को अन्य कचरे के कंटेनरों के बगल में न रखें (गलती से मिश्रण को रोकने के लिए), और अन्य प्रकार के कचरे के लिए लाल बैग का उपयोग न करें।
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चिकित्सा अपशिष्ट के 4 मुख्य प्रकार हैं
खतरनाक, संक्रामक, रेडियोधर्मी और शार्प । प्रत्येक प्रकार की अलग-अलग निपटान जरूरतें होती हैं, लेकिन कई को संभालने के लिए चिकित्सा अपशिष्ट निपटान कंपनी की आवश्यकता होती है। सभी को खतरनाक माना जाता है और अगर अनुचित तरीके से संभाला जाए तो इसके दीर्घकालिक परिणाम हो सकते हैं।
अपशिष्ट निपटान के लिए पहले अस्पताल परिसर में था संयंत्र
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मेडिकल कालेज बनने से पहले जिला अस्पताल में चिकित्सा अपशिष्ट का निपटान करने के लिए परिसर में ही संयंत्र स्थापित था। उसी में कचरे का निपटान किया जाता था। लेकिन इसके बाद संयंत्र को उपयोग करने के बजाए बाहरी एजेंसी को इसका ठेका दे दिया गया। कंपनी को ठेके के बाद भी मेडिकल कालेज में अपशिष्ट दिखना लापरवाही का संकेत है। हालांकि इस बारे में प्राचार्य डा. राजेश कुमार से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन मेडिकल कालेज में भगदड़ मचने के घटनाक्रम की वजह से बातचीत नहीं हो सकी। उनका नंबर भी नहीं मिल सका।
मेडिकल कालेज में मीडिया पर क्यों है अघोषित प्रतिबंध
मेडिकल कालेज में मीडिया पर अघोषित प्रतिबंध है। अगर कोई तीमारदार भी मोबाइल से कहीं का कोई फोटो कर ले तो मेडिकल कालेज के नुमाइंदे उसका कालर पकड़कर मोबाइल छीन लेते हैं। आखिर क्यों? मेडिकल कालेज पूरे देश में हैं, यहां तक की आल इंडिया मेडिकल साइंस (एम्स) में भी ऐसा दुर्व्यवहार तीमारदार के साथ नहीं होता है। अगर कोई मीडिया कर्मी किसी घटना या दुर्घटना के फोटो करने जाता है,तो उसके साथ भी ऐसा वहां के लोग करते हैं। पकड़कर प्राचार्य के पास लेकर जाते हैं। मोबाइल छीनकर सभी फोटो डीलीट कर दिए जाते हैं। मीडिया से जुड़े सीधे साधे पत्रकारों के साथ ऐसे वाक्यात हुए हैं। इससे साफ जाहिर है कि कहीं न कहीं कुछ दाल में काला है। पूर्व में हुई चोरी और लापरवाही की घटनाएं भी इसका प्रमाण हैं। प्रशासन के अधिकारियों तक शायद अभी यह बात नहीं पहुंची है। ऐसा प्रतिबंध किसके आदेश पर लगा है यह स्पष्ट होना चाहिए कि आखिर यहां मेडिकल कालेज प्रबंधन की मनमानी क्यों है।
पत्रकारों को भी आचार संहिता अनुपालन की जरूरत
पत्रकारों को भी मर्यादा में रहकर आचार संहिता का पालन करना चाहिए। प्रतिबंधित क्षेत्रों में बिना जरूरत जाने से बचना चाहिए। अधिकारियों से नियमित संवाद रखकर संतुलित खबर देनी चाहिए। जनहित के लिए हर संभव प्रयास करने चाहिए।