शाहजहांपुर, वाईबीएन संवाददाता
जनपद के विभिन्न हिस्सों में गन्ने की फसल में कीटों के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए किसानों के लिए सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है। गन्ना शोध परिषद व भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए संयुक्त निरीक्षण में पाया गया कि गन्ने में पायरिला और चोटी बेधक कीट का असर तेजी से फैल रहा है।गन्ना एवं चीनी आयुक्त प्रमोद कुमार उपाध्याय ने बताया कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में इन कीटों का असर न्यूनतम पाया गया है, जबकि मध्य उत्तर प्रदेश में यह प्रभाव कुछ अधिक है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पायरिला और चोटी बेधक का प्रकोप सर्वाधिक दर्ज किया गया है। किसानों को समय रहते फसल की सुरक्षा हेतु जागरूक रहने की आवश्यकता है।
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उन्होंने बताया कि इस समय गन्ने में टॉप बोरर (चोटी बेधक) का द्वितीय ब्रूड सक्रिय है, जिससे फसल को भारी नुकसान हो सकता है। इसके नियंत्रण के लिए भौतिक उपायों जैसे लाइट ट्रैप, फैरोमोन ट्रैप, रोगी पौधों व प्रभावित पत्तियों को नष्ट करना, और ट्राइको कार्ड का प्रयोग करने की सलाह दी गई है।विशेषज्ञों ने बताया कि पायरिला के नियंत्रण के लिए उसका परजीवी कीट भी प्राकृतिक रूप से मौजूद है, जो उसका प्रभावी नियंत्रण कर सकता है।
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साथ ही, 15 मई से 15 जून के बीच प्रति एकड़ 150 मि.ली. क्लोरेंटानिलिप्रोल को 400 लीटर पानी में मिलाकर फसल की जड़ों के पास ड्रेंचिंग कर सिंचाई करने की सलाह दी गई है।गौरतलब है कि पायरिला कीट अधिकतम तापमान 39 डिग्री सेल्सियस पर स्वतः समाप्त हो जाते हैं, ऐसे में तापमान में वृद्धि से कुछ राहत की उम्मीद है। कृषि अधिकारियों से किसानों को नियमित मार्गदर्शन और निगरानी करने के निर्देश दिए गए हैं।
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