शाहजहांपुर, वाईबीएन संवाददाता
वन, हमारे ग्रह की जीवन रेखा हैं। वे न केवल हमें ऑक्सीजन प्रदान करते हैं, बल्कि जलवायु संतुलन बनाए रखने, जैव विविधता को संरक्षित करने और लाखों लोगों की आजीविका का स्रोत बनने में भी अहम भूमिका निभाते हैं। संयुक्त राष्ट्र (UN) द्वारा घोषित अंतरराष्ट्रीय वन दिवस हर साल 21 मार्च को मनाया जाता है, जिससे वनों के संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़े और वनीकरण को बढ़ावा मिले।
अंतरराष्ट्रीय वन दिवस का इतिहास और उद्देश्य
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2012 में 21 मार्च को अंतरराष्ट्रीय वन दिवस के रूप में घोषित किया था। इस दिवस का उद्देश्य वनों और वृक्षों के महत्व को समझाना और उनके सतत विकास के लिए प्रयास करना है। हर साल अलग-अलग थीम के तहत यह दिवस मनाया जाता है।
यह भी पढ़ें :विश्व गौरैया दिवस : घर-आंगन की चहचहाहट बचाने का संकल्प
2025 की थीम:
इस वर्ष की थीम वन और भोजन है। यह थीम वनों और वैश्विक खाद्य सुरक्षा के बीच गहरे संबंध पर जोर देती है। वन न केवल भोजन,दवा और आजीविका प्रदान कराते है, बल्कि जलवायु संतुलन और जैव विविधता संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। भारत में, वनों का संरक्षण सतत प्रवंधन सुनिश्चित कराने के लिए राष्टीय कृषि वानिकी नीति, हरित भारत मिशन और वन धन योजना जैसी विभिन्न पहलें लागू की गई हैं।
वनों का महत्व
1. पर्यावरणीय संतुलन: वन कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर ग्लोबल वॉर्मिंग को कम करते हैं।
2. जैव विविधता का संरक्षण: वन विभिन्न वन्यजीवों, पक्षियों और सूक्ष्म जीवों का प्राकृतिक आवास हैं।
3. जल स्रोतों की सुरक्षा: वनों से भूजल स्तर बना रहता है और वर्षा चक्र संतुलित रहता है।
4. आर्थिक योगदान: लकड़ी, जड़ी-बूटियों और पर्यटन के माध्यम से लाखों लोगों को रोजगार मिलता है।
5. मानव स्वास्थ्य: पेड़ स्वच्छ हवा प्रदान करते हैं और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाते हैं।
यह भी पढ़ें :World Sparrow Day : पूर्व माध्यमिक विद्यालय निवाड़ी के छात्रों ने दिया गौरैया संरक्षण का संदेश
वनों की वर्तमान स्थिति और चुनौतियाँ
हालांकि वनों का महत्व सर्वविदित है, लेकिन आधुनिक विकास, अवैध कटाई, शहरीकरण और औद्योगीकरण के कारण दुनिया भर में जंगलों का तेजी से विनाश हो रहा है। हर साल लगभग 1 करोड़ हेक्टेयर जंगल नष्ट हो जाते हैं।अमेज़न वर्षावन और हिमालयी वनों में लगातार कमी आ रही है। जलवायु परिवर्तन के कारण कई वन्यजीवों का अस्तित्व खतरे में है।
वन संरक्षण के लिए उठाए जाने वाले कदम
1. वृक्षारोपण अभियान: स्थानीय स्तर पर अधिक से अधिक पेड़ लगाना।
2. अवैध कटाई पर रोक: कठोर कानून बनाकर जंगलों को बचाना।
3. स्थानीय समुदायों की भागीदारी: आदिवासी और ग्रामीण समुदायों को वन संरक्षण में शामिल करना।
4. टिकाऊ वन प्रबंधन: कृषि और औद्योगिक विकास को वन संरक्षण के साथ संतुलित करना।
5. शिक्षा और जागरूकता: स्कूलों और सामाजिक संगठनों के माध्यम से जागरूकता बढ़ाना।
वनों का संरक्षण केवल सरकारों और संगठनों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह हर व्यक्ति का कर्तव्य है। हमें व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से प्रयास करने होंगे, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियाँ भी स्वच्छ हवा, जैव विविधता और प्राकृतिक सौंदर्य का लाभ उठा सकें। "वन हैं, तो हम हैं!" इसलिए हमें जंगलों को बचाने और उनका सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए संकल्प लेना चाहिए।
यह भी पढ़ें :विश्व गौरैया दिवस : घर-आंगन की चहचहाहट बचाने का संकल्प
यह भी पढ़ें :अनूठी परंपरा : खुदागंज में गधे पर निकले लाट साहब, उमड़ा जन सैलाब