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Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
शाहजहांपुर वाईबीएन संवाददाता । लखनऊ में आज स्वामी शुकदेवानंद विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए प्रदेश सरकार और मुमुक्ष आश्रम ट्रस्ट के बीच एमओयू साइन हुआ। इसके साथ ही शाहजहांपुर में एक नए राज्य विश्वविद्यालय की राह पूरी तरह साफ हो गई है।
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मुमुक्ष आश्रम ट्रस्ट ने दी अपनी संपत्ति
शाहजहांपुर के मुमुक्ष आश्रम ट्रस्ट ने करीब एक अरब आठ करोड़ तीन लाख रुपये मूल्य की चल-अचल संपत्ति सरकार को उपलब्ध कराई है। ट्रस्ट के भवनों का कुल क्षेत्रफल 33,092.12 वर्गमीटर और भूमि 21.01 एकड़ है। इसमें से 20 एकड़ भूमि विश्वविद्यालय को दी जाएगी।
राज्यपाल के आदेश पर विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए औपचारिक समझौता संपन्न हुआ। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा एम.पी. अग्रवाल, उप सचिव राम जन्म सिंह, विशेष सचिव निधी श्रीवास्तव, विशेष सचिव अनमोल सिंह एवं मुनेन्द्र ने दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए। वहीं मुमुक्षु आश्रम की ओर से मुख्य अधिष्ठाता स्वामी चिन्मयानंद, डॉ. अवनीश कुमार, डॉ. राम निवास गुप्ता, रवि शंकर वाजपेई और साकेत चतुर्वेदी ने अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। इसी के साथ विश्वविद्यालय स्थापना की औपचारिक प्रक्रिया पूरी हुई।
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ट्रस्ट के कॉलेज होंगे विश्वविद्यालय के अधीन
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फिलहाल ट्रस्ट के तहत स्वामी शुकदेवानंद कालेज, स्वामी शुकदेवानंद विधि महाविद्यालय, श्री धर्मानंद सरस्वती इंटर कालेज और श्री शंकर मुमुक्ष विद्यापीठ संचालित हो रहे हैं। एमओयू के बाद अब इन सभी संस्थानों को उच्चीकृत कर विश्वविद्यालय के अधीन कर दिया जाएगा।
विश्वविद्यालय संचालन के लिए बनेगी सोसाइटी
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कैबिनेट की मंजूरी के बाद वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया था। कि विश्वविद्यालय के संचालन के लिए अलग से एक सोसाइटी का गठन किया जाएगा। इसके बाद उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 के तहत औपचारिक प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
ऐतिहासिक झलक
मुमुक्षु आश्रम की नींव स्वामी शुकदेवानंद ने स्वतंत्रता से पहले रखी थी। शाहजहांपुर को अपनी कर्मभूमि बनाया और संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना कर शिक्षा का दीप प्रज्वलित किया। बाद में उन्होंने एसएस डिग्री कॉलेज समेत तीन प्रमुख शिक्षण संस्थानों की नींव रखी। 1965 में उनके निधन के बाद उनके शिष्य स्वामी सदानंद और स्वामी धर्मानंद ने आश्रम का दायित्व संभाला। स्वामी धर्मानंद के शिष्य रहे स्वामी चिन्मयानंद अस्सी के दशक में शाहजहांपुर पहुंचे। धर्मानंद के बाद उन्होंने आश्रम और उससे जुड़ी शिक्षण संस्थाओं की जिम्मेदारी संभाली।
1941 – स्वामी शुकदेवानंद सरस्वती ने अपने गुरु स्वामी एकरसानंद के साथ आश्रम की नींव रखी।
1942 – श्री देवी संपद संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना।
1964 – स्वामी शुकदेवानंद कॉलेज की स्थापना।
1989 – श्री शंकर मुमुक्षु विद्यापीठ की शुरुआत।
2003 – लॉ कॉलेज की स्थापना।
आज इन सभी संस्थानों में आठ हजार से अधिक छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
महामना के पदचिन्हों पर स्वामी
जैसे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना में पंडित मदन मोहन मालवीय की ऐतिहासिक भूमिका रही, उसी तर्ज पर शाहजहांपुर के एसएस कॉलेज को राज्य विश्वविद्यालय का दर्जा दिलाने में स्वामी चिन्मयानंद की भूमिका रही। स्थानीय लोगों का मानना है कि अगर चिन्मयानंद का दृष्टिकोण और नेतृत्व न होता तो मुमुक्षु आश्रम केवल एक धार्मिक संस्था तक ही सीमित रह जाता।
युवाओं की खत्म होगी बाहर जाने की मजबूरी
प्रदेश में इस समय 38 राज्य विश्वविद्यालय संचालित हैं और अब शाहजहांपुर को यह नई सौगात मिली है। स्वामी शुकदेवानंद विश्वविद्यालय की स्थापना से जिले के युवाओं के लिए उच्च शिक्षा के नए द्वार खुलेंगे और क्षेत्र के विकास को भी नई दिशा मिलेगी। रुहेलखंड विश्वविद्यालय के अधीन करीब 300 महाविद्यालयों तो जिले के करीब 60 डिग्री कॉलेजों का संचालन होता है। कुछ महाविद्यालय मानक तक पूरे नहीं कर रहे हैं। ऐसे कॉलेजों की मनमानी पर रोक लगेगी और निगहबानी बढ़ जाएगी। इसके अतिरिक्त विश्वविद्यालय बनने से शिक्षा के क्षेत्र में नए पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे। शैक्षिक गुणवत्ता बढ़ने के साथ ही विकेंद्रीकृत व्यवस्था के अंतर्गत पठन-पाठन में सुधार हो सकेगा। नियमित कक्षाएं संचालन के साथ ही अच्छे छात्र तैयार हो सकेंगे। अभी तक जिन पाठ्यक्रम को करने के लिए बरेली, लखनऊ, दिल्ली आदि जगहों पर जाना पड़ता था, उन प्रशासनिक, मेडिकल, इंजीनियरिंग आदि के पाठ्यक्रम की तैयारी छात्र-छात्राएं विश्वविद्यालय स्तर पर कर सकेंगे। इसके अलावा उच्च शिक्षा के केंद्र के रूप में शाहजहांपुर में नए राजकीय विश्वविद्यालय की स्थापना होने से शिक्षा की एक नई संस्कृति को बढ़ावा देने का अवसर मिलेगा।
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