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नैनो उर्वरकों से किसानों की आय में होगी वृद्धि : इफको विशेषज्ञ

शाहजहांपुर के गन्ना किसान प्रशिक्षण संस्थान लोधीपुर में आयोजित कार्यक्रम में नैनो यूरिया, नैनो डीएपी व अन्य उर्वरकों के उपयोग, उनकी विधि, लाभ व मृदा संरक्षण के महत्व पर विस्तार से जानकारी दी गई। किसानों को संतुलित उर्वरक प्रयोग की सलाह दी गई।

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Ambrish Nayak
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Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)

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शाहजहांपुर वाईबीएन संवाददाता। गन्ना किसान प्रशिक्षण संस्थान लोधीपुर में शनिवार को बिक्री केंद्र प्रभारी प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि इफको लखनऊ के राज्य विपणन प्रबंधक यतेंद्र तेवतिया ने किसानों से आह्वान किया कि वे रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग से बचें और नैनो यूरिया प्लस एवं नैनो डीएपी का अधिक से अधिक प्रयोग करें। उन्होंने कहा कि इन उर्वरकों के उपयोग से न केवल पैदावार बढ़ेगी बल्कि किसानों की आय में भी वृद्धि होगी। साथ ही मृदा की उर्वरता सुरक्षित रहेगी और पर्यावरणीय नुकसान को भी रोका जा सकेगा।

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Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)

इफको राज्य कार्यालय लखनऊ से आए डॉ. आनंद श्रीवास्तव ने किसानों को नैनो यूरिया प्लस, नैनो डीएपी, सागरिका और जल विलेय उर्वरकों की उपयोगिता, मात्रा और प्रयोग विधि के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि संतुलित उर्वरक प्रयोग और मृदा परीक्षण से ही दीर्घकालिक पैदावार संभव है। उन्होंने बताया कि इफको की ओर से नैनो उर्वरकों के शोध पर काफी बड़ी धनराशि व्यय की गई है, जिसका सीधा लाभ किसानों को मिल रहा है।

पैदावार बढ़ाने के लिए उपयोगी तरीका

इफको के क्षेत्र अधिकारी रामरतन सिंह ने किसानों को नैनो डीएपी के प्रयोग की विधि समझाई। उन्होंने बताया कि प्रति किलोग्राम बीज को 10 एमएल नैनो डीएपी से उपचारित कर बुवाई करने और फसल की उम्र 30 दिन होने पर एक बोतल नैनो डीएपी का छिड़काव करने से उत्पादन में वृद्धि होती है। इसके साथ ही दानेदार डीएपी का उपयोग 50 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है, जिससे किसानों का खर्च भी घटेगा।

पर्यावरण संरक्षण का संदेश

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कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने कहा कि नैनो उर्वरकों का प्रयोग पीएम प्रणाम योजना के तहत रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह मृदा की गुणवत्ता को सुरक्षित रखते हुए पर्यावरण संरक्षण में भी अहम भूमिका निभाएगा।

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