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राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस: शाहजहांपुर में दमघोंटू हवा, दूषित नदियां और बढ़ता कचरा बना बड़ी चुनौती

राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस पर शाहजहांपुर में वायु, ध्वनि और जल प्रदूषण के बढ़ते स्तर चिंता का विषय बने हुए हैं। औद्योगिक इकाइयों का कचरा नदियों में बह रहा है। शहर के नाले बिना शोधन गर्रा-खन्नौत में गिर रहे हैं। AQI लगातार खराब है। कूड़े से तेल

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Narendra Yadav
भोपाल गैस त्रासदी के जहरीले कचरे को जलाते हुए पीथमपुर प्लांट में मजदूर और उपकरण। यह तस्वीर 1984 की त्रासदी से जुड़े पर्यावरण प्रदूषण के अंत का प्रतीक है | यंग भारत न्यूज

पीथमपुर के डिस्पोजल प्लांट में यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के 337 टन जहरीले कचरे को जलाकर नष्ट करते हुए। यह तस्वीर भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल बाद एक ऐतिहासिक क्षण को दर्शाती है | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

शाहजहांपुर, वाईबीएन संवाददाताः राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस पर शाहजहांपुर की वायु गुणवत्ता चिंता बढ़ा रही है। शहर का AQI कई दिनों से पुअर श्रेणी में दर्ज हो रहा है। सड़कों पर बढ़ते वाहनों, औद्योगिक धुएं और धूल-कणों की वजह से PM10 और PM2.5 का स्तर सुरक्षित मानकों से ऊपर बना हुआ है। ध्वनि प्रदूषण भी हाइवे, बाजार और औद्योगिक क्षेत्रों में तय सीमा पार कर चुका है।

पेपर मिलों और उद्योगों का कचरा बना जल प्रदूषण का बड़ा कारण

जिले की पेपर मिल समेत औद्योगिक इकाइयों के अपशिष्ट सीधे नदियों में छोड़े जा रहे हैं। इससे पानी में रासायनिक तत्व भी बढ़ते जा रहे हैं। पर्यावरण विभाग की रिपोर्टों में बार-बार इन इकाइयों को नोटिस भी दिए गए हैं, लेकिन सुधार की रफ्तार बेहद धीमी है। मौजमपुर, कृभको नगर, साउथ सिटी समेत पूरा क्षेत्र पेपर मिल के कचरा व चिमनियों से निकलने वाले जहरीले स्याह कण नुमा प्रदूषण से जूझ रहे हैं। स्कूलों में बच्चों व शिक्षकों को कपडे तो खराब होते ही, सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है। औद्योगिक इकाइयों के पास पर्याप्त सीएसआर  फंड भी होता है, लेकिन प्रभावित गांव व लोगों के लिए कोई खास योजना नहीं बनाई गई है। 

गर्रा और खन्नौत नदी बिना शोधन के गिराया जा रहा शहर का गंदा पानी 

शहर के नाले बिना ट्रीटमेंट के सीधे गर्रा और खन्नौत नदियों में गिर रहे हैं। ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता और संचालन के अभाव में नदियां काली पड़ने लगी हैं। इससे आसपास के गांवों के लोगों के स्वास्थ्य पर भी खतरा बढ़ा है। हनुमतधाम से लोदीपुर घाट के बीच सुदंरीकरण की योजना है। यदि ऐसा रहा  रिवर फ्रंट बनने के साथ नालों से शोधित पानी गिराया जाए और लोदीपुर से पक्का पुल तक ग्रीन बेल्ट विकसित हो जाए तो  पर्यावरण संरक्षण का बडा काम हो सकता है। 

ई-रिक्शा से वायु प्रदूषण में कमी, लेकिन ठोस कचरा बढ़ा

शहर में ई-रिक्शा की बढ़ती संख्या ने पेट्रोल–डीजल के धुएं में कमी की है, जिससे वायु प्रदूषण में कुछ राहत जरूर मिली है। लेकिन दूसरी ओर कचरा और पैकिंग वेस्ट का उत्पादन बढ़ा है। सड़कों और नालियों में ठोस कचरा जमा होने से नई चुनौती खड़ी हो गई है।

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नगर निगम का प्रयास, कूड़े से तेल निकालने की कार्ययोजना

कचरा प्रबंधन को मजबूत करने के लिए नगर निगम ने जापान की एक कंपनी के साथ कूड़े से तेल (Fuel Extraction) निकालने की दिशा में समझौते की प्रक्रिया शुरू की है। यह योजना लागू होने पर शहर का कचरा कम होगा और वैकल्पिक ऊर्जा भी तैयार की जा सकेगी।कचरा निस्तारण की अन्य योजनाओं पर भी नगर निमम काम की तैयारी कर रहा है। यदि धरातल पर प्रोजेक्ट उतरे तो बडी राहत मिल सकती है। 

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