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नो स्मोकिंग डे Photograph: (इंटरनेट मीडिया)
शाहजहांपुर, वाईबीएन संवाददाता
हर साल, मार्च के दूसरे बुधवार को 'नो स्मोकिंग डे' के रूप में मनाया जाता है, जो धूम्रपान करने वालों को धूम्रपान छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करने और तंबाकू सेवन के विनाशकारी स्वास्थ्य प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक वैश्विक पहल है। 2025 में, यह महत्वपूर्ण दिन 12 मार्च को पड़ा है, जो एक शक्तिशाली अनुस्मारक प्रदान करता है कि धूम्रपान छोड़ना एक व्यक्ति द्वारा अपने स्वास्थ्य और कल्याण के लिए किए जा सकने वाले सर्वोत्तम निर्णयों में से एक है।वाईबीएन संवाददाता ने इस विषय पर शहर के प्रबुद्ध जनों और युवाओं से बात की और उनकी राय जानी
स्मोकिंग एक व्यसन है जो अनेक प्रकार की घातक बीमारियों का कारण बन सकता है। यह वातावरण के प्रदूषण में भी कार्य करता है। इसे आधुनिकता अथवा स्टेटस सिंबल के रूप में देखना- समझना तार्किक नहीं। धूम्रपान से आर्थिक हानि होती है। यह आदत व्यक्ति, परिवार व समाज के लिए अनुकूलता नहीं लाती। प्रबल इच्छा शक्ति को जगा कर इससे पृथकता असंभव नहीं।
प्रोफेसर कनक रानी
पूर्व प्राचार्य, आर्य महिला डिग्री कॉलेज
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जो युवा पहले ही नशे से ग्रस्त हैं वो सबसे पहले इच्छा संकल्प लें कि उनको इस लत से मुक्त होना है, डॉक्टर या विशेषज्ञ आज कल नशा मुक्ति उपचार केंद्र में विभिन्न तकनीकी जैसे डिटॉक्स, कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी, समूह चिकित्सा, काउंसलिंग, मेडीटेशन आदि से उपचार कर रहे हैं। जिससे व्यक्ति को पता ही नहीं चलता और वो नशे की आदत से मुक्त हो जाता है।परिवार और दोस्तों का समर्थन नशे से छुटकारा दिलाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। नशे की आदत आपके बच्चों में न पड़े इसके लिए परिवार के सभी लोगों से अनुरोध है आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में, से थोडा सा समय वे अपने बच्चों को जरूर दें, और समय समय पर आत्म-संयम, स्वस्थ आदतें, विकसित मानसिकता और सकारात्मक सोच आदि पर विचार-विमर्श करते रहें।
डॉ अरशद अली
जंतु विज्ञान विभाग
जी. एफ. कॉलेज
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धूम्रपान निषेध दिवस हमें एक प्रभावशाली अनुस्मारक प्रदान करता है कि धूम्रपान छोड़ना या छोड़ने हेतु प्रेरणा का प्रसार करना, व्यक्तिगत और सामाजिक स्वास्थ्य तथा कल्याण के लिए व्यक्ति या समाज द्वारा लिए जा सकने वाले सर्वश्रेष्ठ निर्णयों में से एक हो सकता है। तम्बाकू में मौजूद रसायन न केवल धूम्रपान करने वाले व्यक्ति को प्रभावित करते हैं वरन आस–पास उपस्थित परिवार या समाज के महत्वपूर्ण लोग भी इससे प्रभावित होते हैं। अतः इस विनाशकारी सामाजिक सेवन को पूर्ण रूप से बंद करना सामाजिक जिम्मेदारी भी है।
विवेक कुमार
शिक्षक
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धूम्रपान आज जिस प्रकार से हमारी युवा पीढ़ी के लिए घातक बन चुका है। कॉन्वेंट स्कूलों के पास की पान की दुकानों पर आसानी इस नशे को परोसा जा रहा है। शिक्षण संस्थानों के बराबर में 100 मीटर की दूरी का नियम तो बस कागज़ी बनकर रह गया है। कॉलेज की कैंटीनों में हमारे देश का युवा धूम्रपान के छल्ले में अपने जीवन को समाप्त कर रहे है। इस नशे के विरुद्ध हम सबको अपनी युवा पीढ़ी को जागरूक करना होगा। तभी हम एक धूम्रपान मुक्त देश बना सकते है।
डॉ. काशिफ नईम
हिंदी विभाग
जी ऍफ़ कॉलेज
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धूम्रपान न केवल आपके और हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, बल्कि इससे देश के करदाताओं का हर साल स्वास्थ्य सेवा के खर्चों में अरबों रूपयो का नुकसान भी होता है।
डॉ. विनीत कुमार सैनी
अस्सिटेंट प्रोफेसर
भूगोल विभाग
गांधी फैज़-ए-आम कॉलेज
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वैसे तो नशे का इतिहास सदियों पुराना है लेकिन ऐसा माना जाता है कि सिगरेट की शुरुआत अमेरिका में हुई। 15वीं शताब्दी में जब यूरोपीय लोग अमेरिका पहुचे तो स्थानीय लोगों को धूम्रपान करते देखा जो तंबाकू को पेड़ के पत्तों में लपेटकर धूम्रपान करते थे। 19वीं सदी में सिगरेट की मशीन आ चुकी थी और आज पूरा विश्वि धूम्रपान से ग्रसित है। भारत में सिगरेट पुर्तगाली लेकर आए जो लंग्स कैंसर का एक बड़ा कारण है कृपया इससे बचें इसकी लत को छोड़ना आसान नहीं होता। इसलिए ज्यादा अच्छा यही है कि धूम्रपान की शुरूवात करने से ही बचें क्योंकि इसका अंत अच्छा नहीं है।
तसलीम खान
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धूम्रपान से होने वाली बीमारियों से बचने के लिए धूम्रपान छोड़ना आवश्यक है। धूम्रपान से होने वाली बीमारियों से बचने के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाए। धूम्रपान छोड़ने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आ सकते हैं और स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है।
अनन्या मिश्रा, शोधार्थी
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धूम्रपान के कारण क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के कारण होने वाली लगभग 80% मौतें होती हैं। इसलिए, सिगरेट पीने से पुरुषों और महिलाओं दोनों में मृत्यु का जोखिम बढ़ जाता है।
डॉ. कैलाश यादव
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