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प्रश्न चिन्ह:सहकारी विभाग में कर्मचारियों द्वारा आत्महत्या की घटनाएं संयोग या उत्पीड़न

शाहजहांपुर में सहकारिता विभाग के कर्मियों की आत्महत्या की घटनाएं बढ़ रही हैं। निलंबित शाखा प्रबंधक सतीश वर्मा रेलवे ट्रैक पर गंभीर हालत में मिले, जबकि जैतीपुर में सचिव दिनेश कुमार ने फांसी लगाई। अत्यधिक कार्यभार, अवकाश उत्पीड़न,संभावित कारण हैं।

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Anurag Mishra
प्रश्न चिन्ह

कोऑपरेटिव Photograph: (इंटरनेटमीडिया)

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शाहजहांपुर वाईबीएन संवाददाता 

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शाहजहांपुर जिले में सहकारिता विभाग के कर्मचारियों के बीच आत्महत्या की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। शनिवार को निलंबित वरिष्ठ शाखा प्रबंधक सतीश चंद्र वर्मा रेलवे ट्रैक पर क्षत-विक्षत अवस्था में पाए गए, जिनका एक पैर और एक हाथ कट चुका था। गंभीर हालत में उन्हें राजकीय मेडिकल कॉलेज लाया गया, जहां से लखनऊ रेफर किया गया। इसके अगले ही दिन जैतीपुर के जोड़ा खास समिति के सचिव दिनेश कुमार ने समिति के गोदाम में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इन घटनाओं ने विभागीय कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य और कार्य परिस्थितियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। 

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कर्मचारियों पर बढ़ता कार्यभार और उत्पीड़न के आरोप

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इन घटनाओं के पीछे कर्मचारियों पर अत्यधिक कार्यभार, अवकाश निरस्तीकरण, और बार-बार कार्रवाई की चेतावनियों के कारण उत्पन्न मानसिक तनाव को प्रमुख कारण माना जा रहा है। चर्चा है कि मनमाने तरीके से शाखाओं में एक ही कर्मचारी से दो आईडी से काम कराया जा रहा है, जिससे बैंक के कैश की सुरक्षा और गबन की संभावनाएं बढ़ रही हैं। मदनापुर और कटरा शाखाओं में ऐसे मामले पहले ही सामने आ चुके हैं

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विभागीय नीतियों की समीक्षा की आवश्यकता

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विभागीय कर्मचारियों के साथ हो रही इन घटनाओं ने सहकारिता विभाग की नीतियों और कार्यप्रणाली की समीक्षा की आवश्यकता को उजागर किया है। कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य, कार्यभार संतुलन, और कार्यस्थल पर उत्पीड़न जैसी समस्याओं का समाधान करना अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए एक स्वतंत्र जांच समिति का गठन किया जाना चाहिए, जो इन घटनाओं के मूल कारणों की पहचान कर उचित सुधारात्मक कदम उठाए।

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कर्मचारियों के समर्थन में सामूहिक प्रयास की जरूरत

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विभागीय अधिकारियों, कर्मचारियों और संबंधित संगठनों को मिलकर एक सुरक्षित और सहयोगात्मक कार्य वातावरण सुनिश्चित करने के लिए प्रयास करना चाहिए। कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने, परामर्श सेवाओं की उपलब्धता, और कार्यस्थल पर उत्पीड़न के खिलाफ सख्त नीतियों का पालन आवश्यक है। साथ ही, कर्मचारियों की समस्याओं को सुनने और समझने के लिए एक प्रभावी संवाद प्रणाली का विकास किया जाना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी दुखद घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

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