REPUBLIC DAY EXCLUSIVE : देश की स्वतंत्रता से लेकर गणतंत्र तक रही शाहजहांपुर की अहम भूमिका
देश की आजादी में जनपद के क्रांतिकारियों की अहम भूमिका रही। पं. राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, ठाकुर रोशन सिंह ने प्राणाहुति दी।एसएस कॉलेज के प्रो. डॉ विकास खुराना ने स्वतंत्रता आंदोलन में जनपद के योगदान पर यंग भारत न्यूज से कई प्रसंग साझा किए।
देश की आजादी में जनपद के क्रांतिकारियों की अहम भूमिका रही। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से लेकर भारतीय संविधान लागू होने तथा इसके बाद हुए चुनाव में जनपद के क्रांतिकारियों व प्रबुद्धजनों का अहम योदान रहा। काकोरी एक्शन में पं.राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, ठाकुर रोशन सिंह को फांसी की ने सजा दी गई, इसे पूरा देश जानता है। 76 वें गणतंत्र दिवस पर एसएस कॉलेज के इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ विकास खुराना ने यंग भारत न्यूज के शाहजहांपुर संपादक नरेंद्र यादव से बातचीत में स्वतंत्रता से गणतंत्र तक की प्रमुख घटनाओं की जानकारी साझा की।
एस एस कॉलेज के इतिहास विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ विकास खुराना Photograph: (स्वयं)
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उन्होंने कहा देश की आजादी की लड़ाई में शाहजहांपुर जनपद की भूमिका जगजाहिर है, किंतु बहुत कम लोग जानते है भारत के संविधान बनने से लेकर सामाजिक न्याय, बेरोजगारी मुक्त समाज के लिए भी जनपद के नागरिक मुखर थे। यहां तक कि उन्होंने प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के चुनाव में भी अपने मताधिकार का प्रयोग किया था।वस्तुतः भारत में संविधान सभा बनाए जाने की मांग वर्ष 1895 में सर्वप्रथम लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने की थी किंतु इसका वास्तविक चरण तब प्रारंभ हुआ जब वर्ष 1946 में भारत सचिव सर लार्ड पैथिक लारेंस की अध्यक्षता में लंदन से आए तीन सदस्यीय कैबिनेट मिशन ने इसके लिए स्वीकृति दी।यह तय किया गया कि प्रांतीय विधानसभा का चुनाव किया जाएगा जिसमें दस लाख की जनसंख्या पर एक निर्वाचित सदस्य होगा तत्पश्चात प्रांतीय विधानसभाएं परोक्ष रूप से संविधान सभा का चुनाव करेंगी।यद्यपि भारत शासन अधिनियम 1935 के अंतर्गत जब प्रांतों की जनता को मत का अधिकार दिया गया तब शाहजहांपुर,पीलीभीत बरेली बदायूं के साथ ही खंड निर्वाचन का हिस्सा था।यहां से पंडित गोविन्द बल्लभ पंत चुनाव में जीते और प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने थे।पंडित गोविन्द बल्लभ पंत का जन्म तो अल्मोड़ा में हुआ था किंतु काकोरी शहीदों की फांसी की सजा को कम करने के लिए वे पंडित मदन मोहन मालवीय के साथ शाहजहांपुर से भावनात्मक रूप से जुड़ गए थे। वर्ष 1946 में वे पुनः इसी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीतकर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे।अपने निर्वाचन के अवसर पर उन्होंने बरेली के दामोदर स्वरूप सेठ जो उस समय प्रांतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष थे तथा बाद में संविधान सभा के सदस्य बने के साथ मिलकर शाहजहांपुर के तलैया में एक जनसभा को संबोधित किया था।उन्होंने इस सभा में ऐसे संविधान की बात की जो धर्मनिरपेक्ष,समाजवादी चरित्र का हो तथा जिसमें प्रेस की स्वाधीनता इत्यादि समाहित की जा सके। उन्होंने कहा थ हम ऐसे भारत का निर्माण करने जा रहे है जहां अमीर गरीब का भेद मिट जाएगा।इस पर उपस्थित जनसमुदाय ने करतल ध्वनियों से उनका अभिनंदन किया था।जब दामोदर स्वरूप सेठ संविधान सभा में चुनकर पहुंचे तो उन्होंने रोजगार को अधिकार के रूप में शामिल करने,धर्म के स्थान पर भाषा को अल्पसंख्यक समुदाय का आधार बनाने,प्रेस तथा वाक्य की स्वतंत्रता को पृथक रखने,संपत्ति के मूल अधिकार को खत्म करने की वकालत की थी।यद्यपि उनके प्रस्ताव गिर गए किन्तु हर हाथ काम के अधिकार को राज्य नीति निर्देशक तत्वों में शामिल किए जाने तथा वर्ष 1976 में संपत्ति के अधिकार के खात्मे से स्पष्ट है कि उनके विचार उपयुक्त थे।
शाहजहांपुर में हुई एक घटना से नाराज हुए थे दामोदर स्वरूप सेठ
एक बार शाहजहांपुर में हो रहे चुनावों के दौरान डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के कुछ सदस्यों ने समाजवादी दल के कुछ कार्यकर्ताओं को यह कह दिया था कि अगर कांग्रेस को वोट न दिया तो पाकिस्तान भेज देंगे, यह वक्तव्य अखबार में छप गया था। जिसे पढ़कर सेठ दामोदर स्वरूप ने गहरी नाराजगी प्रकट की थी।
पुवायां में जन्मे पंडित वंशीधर थे संविधान सभा के सदस्य
इतिहासकार डॉ विकास खुराना ने जीएफ कालेज के राजनीतिशास्त्र के छात्र अनुराग यादव की ओर से हाल ही में किए लघु शोध की चर्चा की, बताया शोध में उल्लेखित किया है कि संविधान सभा के सदस्य पंडित वंशीधर मिश्रा का जन्म शाहजहांपुर जिले के पुवायां कस्बे में सन् 1904 हुआ था।यद्यपि सन् 1926 में लखीमपुर खीरी चले गये, जहां इन्होंने जिलें में स्वतंत्रता संग्राम की कमान संभाली थी। जब 1946 में संविधान सभा गठित हुई तो 211 सदस्यों की कमेटी में बंशीधर मिश्र को भी संविधान सभा का सदस्य बनाया गया था। संविधान बनने के दौरान उनके कई प्रस्तावों को भारतीय संविधान में जगह दी गई, जैसे पंचायती राज व्यवस्था, वन एंव जनजातीय सुरक्षा और महिलाओं का सशक्तिकरण संबंधी।
पंडित गोविन्द बल्लभ पंत के स्मृति स्वरूप है गोविंद गंज का बाजार
प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे पंडित गोविन्द बल्लभ पंत का शाहजहांपुर से अटूट नाता रहा। उन्होंने शाहजहांपुर बरेली खंड निर्वाचन से दो बार प्रदेश में प्रतिनिधित्व किया। वह प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 1955 में वह भारत के गृह मंत्री भी बनाए गए । उनका शाहजहांपुर से अटूट नाता था।वर्ष 1961 में उनके देहावसान के बाद पाकिस्तान से आए पंजाबी शरणार्थियों के निमित्त बनाए गए बाजार का नामकरण उनके नाम पर किया गया जो आज शहर की पाश मार्केट है।