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Shahjahanpur News: मालूपुर विद्यालय में मनाई गई महाराणा प्रताप की जयंती, बच्चों ने दी श्रद्धांजलि

शाहजहांपुर के जलालाबाद पूर्व माध्यमिक विद्यालय मालूपुर में महाराणा प्रताप की जयंती मनाई गई। इस अवसर पर गोष्ठी, पुष्पांजलि और उनके जीवन पर प्रकाश डाला गया।

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Ambrish Nayak
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Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)

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शाहजहांपुर,वाईबीएन संवाददाता 

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जनपद के जलालाबाद पूर्व माध्यमिक विद्यालय मालूपुर में महाराणा प्रताप की जयंती उत्सव शुक्रवार को बड़े धूमधाम एवं श्रद्धा के साथ मनाया गया। इस अवसर पर विद्यालय के छात्र-छात्राओं व शिक्षकों ने महाराणा प्रताप के चित्र पर दीप प्रज्वलन कर पुष्पांजलि अर्पित की और उनके अद्भुत शौर्य को नमन किया।

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Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)

इस मौके पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें प्रधानाध्यापक नरेंद्र पाल सिंह ने महाराणा प्रताप के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उनका जन्म 9 मई 1540 को राजस्थान के कुम्भलगढ़ दुर्ग में हुआ था। वे महाराणा उदय सिंह एवं रानी जीवत कंवर के पुत्र थे। महाराणा प्रताप अपने पूर्वजों की तरह साहसी, स्वाभिमानी और मातृभूमि से प्रेम करने वाले थे। गोष्ठी को संबोधित करते हुए शिक्षक विपिन अग्निहोत्री ने कहा कि महाराणा प्रताप ने मुगल सम्राट अकबर के सामने झुकने से साफ इनकार कर दिया था। जब अकबर ने उन्हें आधा हिंदुस्तान देने का प्रस्ताव रखा, तब भी उन्होंने उसे अस्वीकार कर स्वाभिमान की रक्षा की। उन्होंने मात्र 20,000 सैनिकों के साथ अकबर की 85,000 सेना से युद्ध लड़ा और पराजय के बाद भी हार नहीं मानी।

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उन्होंने आगे बताया कि महाराणा प्रताप का प्रिय घोड़ा चेतक हवा से भी तेज दौड़ता था और युद्ध के दौरान उसकी वीरता भी अमर रही। कठिन परिस्थितियों में घास की रोटियां खाकर भी उन्होंने कभी अपनी मातृभूमि की आज़ादी से समझौता नहीं किया। वे 1568 से 1597 तक मेवाड़ के शासक रहे और 29 जनवरी 1597 को वीरगति को प्राप्त हुए प्रधानाध्यापक ने कहा कि महाराणा प्रताप के जीवन से हमें देशप्रेम स्वाभिमान और त्याग की प्रेरणा लेनी चाहिए। कार्यक्रम के अंत में बच्चों ने भी उनके आदर्शों को अपनाने का संकल्प लिया। इस अवसर पर शिक्षिका नेहा शर्मा,  शिक्षक रामशंकर सिंह सहित समस्त विद्यालय परिवार उपस्थित रहा।

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