Shahjahanpur News: वट सावित्री व्रत पर जुटी सुहागनें, धार्मिक तीर्थ स्थलों में आस्था का उमड़ा जनसैलाब
शाहजहांपुर में ब्रह्म अमावस्या के पर आसपास के तीर्थ स्थलों पर वट सावित्री व्रत पर सुहागिन महिलाओं ने वट वृक्ष की पूजा कर अखंड सौभाग्य की कामना कर पुण्य अर्जित किया। प्रशासन की ओर से सुरक्षा और व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए।
ब्रह्म अमावस्या के पावन अवसर पर जनपद के विभिन्न तीर्थ स्थलों और गंगा तटों पर श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। सुबह से ही श्रद्धालुओं ने पवित्र स्नान कर पुण्य अर्जित किया। पूरे जिले में भक्तिमय माहौल रहा। महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में कलश लेकर पहुंचीं और व्रत-उपवास कर पूजा-अर्चना की। श्रद्धालुओं ने बताया कि ब्रह्म अमावस्या पर स्नान, दान व पितरों को तर्पण करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन का विशेष महत्व है क्योंकि यह दिन देवताओं और पितरों दोनों को समर्पित होता है।
वट सावित्री व्रत के पावन अवसर पर ग्रामीण क्षेत्रों में सुहागिनों का उत्साह देखते ही बनता था। खासतौर पर बेहटा सनवात गांव में वट वृक्ष की छांव तले पारंपरिक वस्त्रों में सजी महिलाओं ने विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की और अपने पतियों के दीर्घायु जीवन की कामना की। महिलाओं ने सुबह से निर्जला व्रत रखते हुए सावित्री-सत्यवान की कथा सुनी और वट वृक्ष की तीन परिक्रमा कर डोर (कच्चा सूत) बांधा। पूजा के दौरान महिलाओं ने एक-दूसरे को सिंदूर, फल और प्रसाद भेंट कर व्रत की पूर्णता की।
Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
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विधायक सलोना कुशवाहा ने भी निभाई परंपरा
विधानसभा क्षेत्र निगोही से विधायक सलोना कुशवाहा भी व्रत में शामिल हुईं। उन्होंने स्थानीय मंदिर परिसर में वट वृक्ष के नीचे पूजन कर व्रत का संकल्प लिया। उनके साथ दर्जनों महिलाओं ने भी व्रत रखा। विधायक ने इस अवसर पर कहा कि यह पर्व भारतीय संस्कृति में नारी शक्ति की श्रद्धा और संकल्प का प्रतीक है।
Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
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प्रशासन ने किए पुख्ता इंतजाम
श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए प्रशासन की ओर से सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे। पुलिस बल की टीमें तैनात रहीं। कई सामाजिक संगठनों द्वारा प्रसाद वितरण, निशुल्क जल सेवा जैसे कार्य भी किए गए। श्रद्धालुओं ने जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और दक्षिणा दान कर पुण्य कमाया।
क्या है ब्रह्म अमावस्या का महत्व?
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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्मा जी ने इसी दिन सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी। अतः यह अमावस्या "ब्रह्म अमावस्या" कहलाती है। यह दिन पितृ तर्पण और देव आराधना के लिए अत्यंत फलदायक माना गया है।