दुष्कर्म के आरोपी को फांसी की सजा का एक लाख 37 हजार रुपये का अर्थदंड की प्रतीकात्मक तस्वीर Photograph: (इंटरनेट मीडिया )
शाहजहांपुर, वाईबीएन संवाददाताः जिले की पॉक्सो कोर्ट संख्या–42 ने शुक्रवार को एक जघन्य अपराध के मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया। अपर सत्र न्यायाधीश मनोज कुमार सिद्धू ने पांच वर्षीय मासूम से दुष्कर्म व हत्या तथा सात वर्षीय बालिका से दुष्कर्म के प्रयास के दोषी अनिल उर्फ चमेली पुत्र सोनेलाल, निवासी मोहल्ला अजीजगंज, चौक कोतवाली, को मृत्यु दंड (फांसी की सजा) और ₹1,37,500 अर्थदंड से दंडित किया।
क्या था मामला
थाना कांट क्षेत्र के एक गांव में 22 फरवरी 2021 को दो मासूम बच्चियां- एक पांच वर्षीय और दूसरी सात वर्षीय — स्कूल में नहाने गई थीं। काफी देर तक वापस न आने पर परिजनों ने खोजबीन की। कुछ देर बाद एक खेत में पांच वर्षीय बालिका का शव लहूलुहान अवस्था में मिला, जिसके शरीर पर गहरे जख्म और निजी अंगों पर अमानवीय अत्याचार के निशान थे।
पास ही दूसरी सात वर्षीय बालिका गंभीर रूप से घायल पाई गई। परिजन ने तत्काल थाना कांट में रिपोर्ट दर्ज कराई, जिस पर पुलिस ने जांच कर आरोपी अनिल उर्फ चमेली के विरुद्ध चार्जशीट दाखिल की।
न्यायालय का फैसला
मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष के विशेष लोक अभियोजक संजीव सिंह ने ठोस तर्कों, गवाहों और पीड़िता के बयानों के आधार पर अपराध सिद्ध किया। न्यायालय ने आरोपी को धारा 302, 307, 201 भा.दं.सं. और पॉक्सो अधिनियम 2012 की धाराओं में दोषी पाया।
फैसला सुनाते हुए न्यायाधीश ने कहा —
“दोषी ने जो अपराध किया है, वह मानवता के सबसे निचले स्तर को दर्शाता है। ऐसी बर्बरता को सहन करना समाज के लिए असंभव है। ऐसे अपराधी को समाज में जीने का कोई अधिकार नहीं है।” न्यायालय ने आदेश दिया कि दोषी को गर्दन में फांसी लगाकर तब तक लटकाया जाए जब तक कि उसकी मृत्यु न हो जाए।
पीड़ित परिवार को न्याय, समाज को संदेश
यह फैसला न सिर्फ पीड़िता के परिवार के लिए न्याय की जीत है, बल्कि समाज के लिए एक चेतावनी भी है कि मासूमों के साथ दरिंदगी करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। यह फैसला बताता है कि न्यायालय बच्चों के प्रति अपराधों पर शून्य सहनशीलता की नीति पर अडिग है।
अदालत के फैसले से सीख
यह फैसला हर उस व्यक्ति के लिए सबक है जो समाज की मर्यादाओं को तोड़ने की सोचता है। जब एक मासूम की चीख न्याय की आवाज़ बनती है, तब अदालतें यह संदेश देती हैं —“भले ही न्याय में समय लगे, पर अपराधी को सजा अवश्य मिलेगी।”
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