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Shahjahanpur News : अभिभावक दिवस पर विशेष: अभिभावक बोले बच्चों से मित्र जैसा व्यवहार करना चाहिए

अभिभावक दिवस एक ऐसा अवसर है जब हम माता-पिता और उनके निस्वार्थ प्रेम, समर्पण और मार्गदर्शन को सम्मान देते हैं। एक अभिभावक का अपने बच्चे के प्रति दृष्टिकोण केवल पालन-पोषण तक सीमित नहीं होना चाहिए,

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Harsh Yadav
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पंकज शुक्ला। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क )

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शाहजहांपुर वाईबीएन संवाददाता 

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एक अभिभावक का अपने बच्चे के प्रति दृष्टिकोण केवल पालन-पोषण तक सीमित नहीं बल्कि उन्हें समझने, प्रोत्साहित करने और एक बेहतर इंसान बनाने के लिए होता है। हर बच्चा अलग होता है, उनकी रुचियां, क्षमताएं और सपने अलग-अलग होते हैं। एक आदर्श अभिभावक अपने बच्चे की विशिष्टता को समझता है। उसकी तुलना किसी और से न करके उसे आगे बढ़ाता है। सही मायने में बच्चे को डांटने की बजाय उसे समझाना, उसे डराने की बजाय उसे प्रेरित करना अधिक प्रभावी होता है।

अभिभावकों को बच्चों के साथ एक ऐसा रिश्ता बनाना चाहिए जहां बच्चा खुलकर अपने विचार रख सके और गलतियों से सीख सके। आधुनिक युग में केवल अच्छे नंबर लाना ही सफलता नहीं है, बल्कि आत्मविश्वास, नैतिक मूल्य और जीवन कौशल भी उतने ही आवश्यक हैं। सही मार्गदर्शन, भावनात्मक समर्थन और खुला संवाद बच्चों के भविष्य को संवार सकते हैं। इस अभिभावक दिवस पर हम सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने बच्चों के सबसे अच्छे मित्र, शिक्षक और मार्गदर्शक बनेंगे। एक सच्चा अभिभावक वही होता है जो बच्चे की उड़ान के लिए आकाश बनने को तैयार हो।

अभिभावकों की राय

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यांग भारत टीम ने विभिन्न क्षेत्रों के अभिभावकों से बातचीत की। बातचीत के दौरान हमें कई अहम जानकारियाँ मिलीं जो बच्चों की शिक्षा, जीवनशैली और डिजिटल दुनिया के प्रभाव से जुड़ी थीं।

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अभिभावक Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क )

 डॉ. मनोज यादव, शिक्षक एवं अभिभावक, बीबी जई हद्दफ ईदगाह रोड शाहजहांपुर ने कहा- अभिभावक होना सिर्फ बच्चों की देखभाल करना नहीं है, बल्कि उनके हर सपने को अपने जीवन का हिस्सा बना लेना है। जब बच्चा गिरता है, तो उसे उठाना ही नहीं, बल्कि फिर से उड़ने का हौसला देना असली अभिभावक धर्म है। आज जब स्कूलों में हमें सम्मान मिला, तो महसूस हुआ कि हमारे छोटे-छोटे त्यागों को बच्चों ने बड़े दिल से पहचाना है। यह हमारे जीवन का सबसे बड़ा पुरस्कार है। बच्चे को डांटने की बजाय उसे समझाना, उसे डराने की बजाय उसे प्रेरित करना, बच्चों के साथ मित्र जैसा व्यवहार करना चाहिए"हमारे गाँव में पहले बच्चे स्कूल जाना पसंद नहीं करते थे, लेकिन अब ऑनलाइन क्लास और वीडियो से उन्हें पढ़ाई में रुचि आने लगी है। हमें भी समझ में आता है कि अब जमाना बदल रहा है।"

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 पंकज शुक्ला (शाहजहांपुर ) का कहना था- "मोबाइल फोन से बच्चों को नई चीजें सीखने को मिलती हैं, लेकिन समय की सीमा जरूरी है। नहीं तो वे पढ़ाई छोड़कर गेम्स में लग जाते हैं।  सभी अभिभावकों को बच्चों पर ध्यान देना चाहिए " इन अभिभावकों की बातें यह दर्शाती हैं कि भारत में बच्चों की शिक्षा और परवरिश को लेकर कई चुनौतियाँ हैं, लेकिन जागरूकता और बदलाव की लहर भी तेजी से चल रही है।

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