गांव-गांव तक पहुंचाएं सुरक्षित गर्भ समापन की जानकारी- रमेश भइया, विनोबा सेवा आश्रम में स्वयंसेवी संस्थाओं से की अपील
शाहजहांपुर के विनोबा सेवा आश्रम में सुरक्षित गर्भ समापन एवं गर्भनिरोधक सेवाओं पर कार्यशाला आयोजित हुई। एमटीपी एक्ट संशोधन 2021 की जानकारी दी गई। स्वयंसेवी संस्थाओं ने ग्रामीणों में जागरूकता फैलाने का संकल्प लिया। रमेश भैया की अध्यक्षता रही।
शाहजहांपुर वाईबीएन संवाददाता । विनोबा सेवा आश्रम से जुड़कर प्रसार संस्था एवं सांझ प्रयास नेटवर्क के संयुक्त तत्वावधान में सुरक्षित गर्भ समापन एवं गर्भनिरोधक सेवाओं को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता आश्रम के संस्थापक रमेश भैया ने की जबकि संचालन कमल सिंह द्वारा किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत बाबा विनोबा भावे की प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुई। इसके बाद सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत गमलों द्वारा कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दिया गया।
Advertisment
Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
कार्यशाला में प्रसार संस्था के सचिव शिशुपाल भाई ने प्रोजेक्टर के माध्यम से मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) एक्ट संशोधन 2021 की जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि अब यह समयसीमा 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 सप्ताह कर दी गई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि महिला का मानसिक, शारीरिक स्वास्थ्य, बलात्कार, भ्रूण में विकृति, या गर्भनिरोधक असफल होने की स्थिति में गर्भपात कानूनन संभव है। उन्होंने यह भी आगाह किया कि गर्भपात केवल प्रशिक्षित डॉक्टर से ही कराना चाहिए। अन्यथा महिला की जान को खतरा हो सकता है। झोलाछाप डॉक्टरों और नीम-हकीमों से सावधान रहने की सलाह दी गई।
विनोबा सेवा आश्रम की संरक्षक विमला बहन ने एमटीपी एक्ट और पीसी-पीएनडीटी एक्ट में अंतर स्पष्ट करते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी जानकारी पहुंचाने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि हर तीसरी महिला गर्भ समापन से जुड़ी समस्याओं से जूझती है पर सामाजिक डर के कारण किसी से बात नहीं कर पाती। जिला पंचायत सदस्य सूरज तिवारी ने कहा कि आज भी महिलाएं जानकारी के अभाव में झोलाछाप डॉक्टरों के पास जाती हैं, जिससे कई बार जानलेवा स्थिति बन जाती है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि वे इस अभियान में पूरा सहयोग देंगे।
Advertisment
डॉ. नमिता सिंह (फिजियोथैरेपिस्ट एवं रानी लक्ष्मीबाई महिला विंग की संस्थापक) ने कहा कि जानकारी के अभाव और पैसों के डर से महिलाएं गलत दवाइयां ले लेती हैं और जब गंभीर स्थिति होती है तब महंगा इलाज कराना पड़ता है। उन्होंने कहा कि इस विषय पर डरने की नहीं, समझदारी की ज़रूरत है।
मुख्य अतिथि रमेश भैया ने कहा कि जब तक महिला और पुरुष दोनों को एमटीपी एक्ट की जानकारी नहीं होगी, तब तक समस्याएं बनी रहेंगी। उन्होंने स्वयंसेवी संस्थाओं से अपील की कि वे इस कानून को जन-जन तक पहुंचाएं। इससे मातृ मृत्यु दर में भी कमी आएगी।
कार्यक्रम में विशन कुमार, बृजेश कुमार, अशोक यादव, लज्जाराम भाई, मोहित कुमार, मुदित कुमार, राजू बीडीसी सदस्य, अंकित मिश्रा सहित कई संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने विचार व्यक्त किए। समापन अवसर पर कमल सिंह ने सभी का आभार प्रकट किया।