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Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
शाहजहांपुर वाईबीएन संवाददाता। जिले में आवारा जानवरों का आतंक लगातार बढ़ रहा है। खासकर बंदर और कुत्ते आए दिन लोगों पर हमला कर रहे हैं। हालत यह है कि हर महीने लगभग 1200 लोग इनके हमलों का शिकार होकर जिला अस्पताल पहुंच रहे हैं और रेबीज का टीका लगवा रहे हैं। छोटे बच्चों से लेकर महिलाएं और बुजुर्ग तक इस संकट से प्रभावित हैं।
हर महीने 1200 लोग लगवा रहे रेबीज का टीका
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जिला अस्पताल के डॉक्टर आलोक सिंह ने बताया कि बंदर, कुत्ता, सियार या बिल्ली किसी भी जानवर के काटने पर रेबीज का खतरा बना रहता है। ऐसे मरीजों को चार डोज का रेबीज वैक्सीन अनिवार्य रूप से लगाना पड़ता है। अस्पताल में रोजाना औसतन 30 से 40 लोग वैक्सीन लगवा रहे हैं और इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है। डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि रेबीज जानलेवा बीमारी है और समय पर इलाज न मिलने पर मौत तक का कारण बन सकती है।
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मोहल्लों में बंदरों और कुत्तों का बढ़ता आतंक
शहर और गांव दोनों जगह बंदरों और कुत्तों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। बंदर अक्सर घरों और गलियों में घुसकर हमला कर देते हैं, वहीं कुत्ते झुंड बनाकर राहगीरों को दौड़ा लेते हैं। कई बार छोटे बच्चे गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं। लोग नगर निगम और वन विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नगर निगम सक्रिय
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सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद नगर निगम ने आवारा कुत्तों की नसबंदी की तैयारी तेज कर दी है। न्यू ककरा सिटी में 1.85 करोड़ रुपये की लागत से एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर का निर्माण कराया गया है। सेंटर का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है और इसे नगर निगम को सौंप दिया गया है।
एक कुत्ते की नसबंदी पर खर्च होगा एक हजार रुपये
नगर निगम अधिकारियों के अनुसार, एक कुत्ते की नसबंदी पर लगभग एक हजार रुपये खर्च आएगा। सेंटर में डॉक्टर और स्टाफ नर्स समेत 6 से 7 लोगों की टीम तैनात की जाएगी। स्टाफ की नियुक्ति के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, जो जल्द पूरी हो जाएगी।
सेंटर में 50 कुत्तों को रखने की व्यवस्था
नए बने सेंटर में एक बार में 50 कुत्तों को रखने की सुविधा है। खतरनाक कुत्तों के लिए अलग कमरे तैयार किए गए हैं। किसी कुत्ते के काटने की शिकायत पर उसे यहां लाया जाएगा और स्थिति में सुधार होने पर नसबंदी के बाद वापस छोड़ा जाएगा। नसबंदी किए गए कुत्तों को दो से तीन दिन तक निगरानी में रखकर फिर वहीं छोड़ा जाएगा, जहां से उन्हें पकड़ा गया था।
10 सितंबर में शुरू होगा नसबंदी अभियान
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नगर आयुक्त डॉ. बिपिन कुमार मिश्र ने बताया कि 10 सितंबर तक सेंटर शुरू कर दिया जाएगा। इसके बाद नगर निगम की टीम कुत्तों को पकड़ने का अभियान चलाएगी। शुरुआत में हिंसक और खतरनाक कुत्तों को प्राथमिकता दी जाएगी। हालांकि अभी तक कुत्ते पकड़ने के लिए कोई एजेंसी तय नहीं हुई है। निगम का दावा है कि कुछ एजेंसियों से बातचीत चल रही है और जल्द ही इस पर फैसला कर लिया जाएगा।
आधुनिक सुविधाओं से लैस एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर
न्यू ककरा सिटी स्थित सेंटर को आधुनिक सुविधाओं से लैस किया गया है। इसमें ऑपरेशन थियेटर, 12 कम्युनिटी रूम, 30 छोटे सिंगल रूम, एनिमल सैलून और दूसरी मंजिल पर स्टाफ के ठहरने की व्यवस्था की गई है। नगर निगम की टीम मोहल्लों में जाकर कुत्तों को पकड़ेगी और शिकायत मिलने पर मौके पर पहुंचकर कार्रवाई करेगी।
प्रशासन की सफाई
अपर नगर आयुक्त एस.के. सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद निगम ने तेजी से कदम उठाए हैं। एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर को सितंबर के दूसरे सप्ताह तक शुरू करने का लक्ष्य है। एक कुत्ते की नसबंदी पर लगभग एक हजार रुपये खर्च होगा और प्रक्रिया पूरी होने के बाद शहर में आवारा कुत्तों का आतंक काफी हद तक कम होगा।
एक तरफ लोग बंदरों और कुत्तों के आतंक से त्रस्त होकर हर महीने हजारों की संख्या में अस्पताल पहुंच रहे हैं, वहीं दूसरी ओर नगर निगम का नसबंदी अभियान इस समस्या से राहत दिलाने की बड़ी उम्मीद बनकर सामने आया है।
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