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उपहार पीड़ितों के संघ अंसल बंधुओं के 60 करोड़ रु से बने ट्रॉमा सेंटर का दौरा करें : न्यायालय

यह हादसा 'बॉर्डर' फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान हुआ था और हाल के भारतीय इतिहास की सबसे बुरी आग त्रासदियों में से एक थी। वर्ष 1997 को दिल्ली के उपहार सिनेमा में लगी भीषण आग की घटना में 59 लोगों की मौत हो गई और 100 से ज़्यादा घायल हो गए थे। 

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Mukesh Pandit
Uphar cenema Agnikand

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। दिल्ली का उपहार सिनेमा अग्निकांड लगभग तीन दशक के बाद भी लोगों की स्मृति में है, जो हाल के भारतीय इतिहास की सबसे बुरी आग त्रासदियों में से एक थी। वर्ष 1997 को दिल्ली के उपहार सिनेमा में लगी भीषण आग की घटना में 59 लोगों की मौत हो गई और 100 से ज़्यादा लोग घायल हो गए थे। यह हादसा 'बॉर्डर' फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान हुआ, जब सिनेमा हॉल की पार्किंग में ट्रांसफार्मर में लगी आग से धुआं अंदर फैल गया।

इस घटना के बाद पीड़ितों के परिवारों ने लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। पीड़ितों और मृतकों के परिवारों ने बाद में उपहार अग्नि त्रासदी पीड़ितों का संघ (एवीयूटी) बनाया। इस मामले पर मंगलवार को देश की सर्वोच्च अदालत ने खास टिप्पणी करते हुए पीड़ितों से ट्रामा सेंटर का दौरा करने का अनुरोध कर डाला।  

60 करोड़ रुपये निर्मित ट्रॉमा सेंटर का दौरा करें

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ‘एसोसिएशन ऑफ विक्टि्म्स ऑफ उपहार ट्रेजडी’ (एवीयूटी) से कहा कि वह अंसल बंधुओं द्वारा 1997 के अग्निकांड पीड़ितों की स्मृति में अदा किए गए 60 करोड़ रुपये सहित अन्य धनराशि से निर्मित ट्रॉमा सेंटर का दौरा करें। न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने उपहार पीड़ितों के संघ की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता जयंत मेहता से कहा कि वह ट्रॉमा सेंटर का दौरा करने के लिए किसी को नियुक्त करें। 

ट्रॉमा सेंटर का निर्माण अंसल बंधुओं द्वारा दी गई रकम से किया

दिल्ली सरकार का दावा है कि इन ट्रॉमा सेंटर का निर्माण अंसल बंधुओं द्वारा दिए गए 60 करोड़ रुपये सहित अन्य धनराशि से किया गया। पीठ ने कहा, आप इन ट्रॉमा सेंटर का दौरा करें और अगर कुछ भी मजबूत करने की जरूरत है, तो अदालत जरूरी निर्देश दे सकती है। पीठ ने सुझाव दिया कि एवीयूटी इस विवाद को एक सम्मानजनक अंत देने की कोशिश कर सकता है क्योंकि लोगों को इस त्रासदी की याद दिलाने का कोई मतलब नहीं है।

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मेहता ने कहा कि 2015 में अंसल बंधुओं को दिये गए शीर्ष अदालत के निर्देशों का पालन नहीं किया गया और उन्हें असल में परिणाम का सामना कराये बिना ही छोड़ दिया गया।उन्होंने दलील दी, ऐसा लगता है कि 60 करोड़ रुपये व्यर्थ चले गए हैं। उन्होंने दावा किया कि दोषियों (गोपाल अंसल और सुशील अंसल) ने अदालत द्वारा प्रदर्शित की गई उदारता का फायदा उठाया है। 

दिल्ली विद्युत बोर्ड ने नहीं दी जमीन

मेहता ने कहा कि कोर्ट ने दिल्ली विद्युत बोर्ड को ट्रॉमा सेंटर के निर्माण के लिए 5 एकड़ जमीन आवंटित करने का निर्देश दिया था, जो नहीं किया गया। पीठ ने दिल्ली सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अर्चना पाठक दवे से पूछा कि क्या अंसल बंधुओं ने 60 करोड़ रुपये का भुगतान किया था? दवे ने हां में जवाब दिया और कहा कि इसका उपयोग तीन अस्पतालों -- संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल, मंगोलपुरी, सत्यवादी राजा हरीशचंद्र अस्पताल, नरेला और सिरसपुर अस्पताल में किया गया। 

 ऐसे केंद्रों का निर्माण करना सरकार का कर्तव्य 

मेहता ने कहा कि वह दिल्ली सरकार द्वारा इन अस्पतालों और ट्रॉमा सेंटर के निर्माण का खंडन नहीं कर रहे हैं और अपने लोगों के लिए ऐसे केंद्रों का निर्माण करना सरकार का कर्तव्य है, लेकिन सवाल 60 करोड़ रुपये का है। न्यायमूर्ति कांत ने कहा कि आज के समय में दिल्ली में एक अस्पताल के निर्माण और संचालन की लागत की तुलना में 60 करोड़ रुपये कुछ भी नहीं हैं और कहा कि राज्य सरकार ने इन संस्थानों के संचालन के लिए और अधिक धनराशि जुटाई है। Uphaar tragedy case | Delhi news today | delhi news | trending Delhi news

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