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जानिए Saurabh Bhardwaj के घर क्यों पड़ी ईडी रेड, क्या है पूरा मामला?

दिल्ली के अस्पताल घोटाले में उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने जांच की मंजूरी अगस्त 2024 में दी थी। आरोप है कि सत्येंद्र जैन और सौरभ भारद्वाज की मिलीभगत से 5,590 करोड़ की परियोजनाओं में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ।

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Dhiraj Dhillon
Saurabh Bhardwaj and Satyendra Jain
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री रहे सौरभ भारद्वाज के घर ईडी रेड के बाद जिस मामले को लेकर आज पूरे देश की राजनीति में तूफान खड़ा हो गया है, उस मामले की जांच की मंजूरी उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने अगस्त, 2024 में दी थी। मामले में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन पर भी आरोप लगे थे। इस कथित घोटाले की शिकायत भाजपा नेता विजेंद्र गुप्ता की शिकायत 22 अगस्त 2024 को दर्ज कराई थी। आरोप है कि सत्येंद्र जैन और सौरभ भारद्वाज, दोनों नेताओं की मिलीभगत से स्वास्थ्य विभाग में हजारों करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार हुआ। हालांकि, आम आदमी पार्टी (AAP) ने इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताते हुए सिरे से खारिज किया है।

जानिए क्या हैं आरोप

वर्ष 2018-19 में 5,590 करोड़ रुपये की लागत से 24 अस्पताल परियोजनाओं (11 ग्रीनफील्ड और 13 ब्राउनफील्ड) को मंजूरी दी गई थी। इनमें बड़े पैमाने पर हेराफेरी के आरोप भाजपा नेता विजेंद्र गुप्ता की ओर से लगाए गए हैं। दरअसल 6800 बिस्तरों वाले सात ICU अस्पतालों को सितंबर, 2021 में छह महीने में बनाने की स्वीकृति मिली थी। इसके लिए 1,125 करोड़ रुपये का बजट तय हुआ, लेकिन तीन साल बाद भी केवल 50% काम ही पूरा हो पाया, जबकि खर्च 800 करोड़ रुपये से अधिक हो गया।

एलएनजेपी के लिए 465 करोड़ हुए थे मंजूर

लोकनायक अस्पताल न्यू ब्लॉक परियोजना की स्वीकृत लागत 465.52 करोड़ थी, लेकिन चार साल में खर्च बढ़कर 1,125 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो अनुमान से लगभग तीन गुना है। इसके अलावा 94 पॉलीक्लिनिक्स बनाने के लिए 168.52 करोड़ का बजट तय हुआ था। ईडी का आरोप है कि हकीकत में सिर्फ 52 पॉलीक्लिनिक्स बने और उस पर भी खर्च 220 करोड़ रुपये हुआ।

HMIS लागू करने में 10 साल की देरी की

मामले की जांच कर रहे एंटी करप्शन ब्यूरो औरप्रवर्तन निदेशालय का आरोप है कि स्वास्थ्य सूचना प्रबंधन प्रणाली (HMIS) को लागू करने में 10 साल से ज्यादा की देरी हुई और इसमें भी वित्तीय गड़बड़ियां सामने आने के आरोप हैं। आम आदमी पार्टी सरकार के दोनों स्वास्थ्य मंत्रियों पर आरोप है कि उन्होंने बार-बार NIC की ई-हॉस्पिटल प्रणाली जैसे किफायती समाधानों को खारिज किया।

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