नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: नगरोटा उपचुनाव में बीजेपी उम्मीदवार देवयानी राणा की जीत ने जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक तस्वीर में एक महत्वपूर्ण बदलाव ला दिया है। इस जीत के साथ प्रदेश विधानसभा में पहली बार चार महिला विधायकों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हुआ है जो राज्य के लिए ऐतिहासिक क्षण माना जा रहा है। इससे पहले 2008, 2014 और 2024 के विधानसभा चुनावों में अधिकतम तीन महिलाएं ही सदन तक पहुंच सकी थीं। महिला प्रतिनिधित्व अब बढ़कर 4.44% पहुंच गया है, जो अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है और राजनीतिक विविधता की दिशा में एक अहम कदम भी।
नई तस्वीर कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण
विधानसभा में चार महिला विधायकों की यह नई तस्वीर कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण है। इनमें शामिल हैं नेशनल कॉन्फ्रेंस की साकिना मसूद इत्तू, जो मौजूदा उमर अब्दुल्ला सरकार में कैबिनेट मंत्री भी हैं एनसी की वरिष्ठ नेता शमीमा फिरदौस, जो हब्बाकदल सीट से तीन बार विधायक रह चुकी हैं किश्तवाड़ से पहली बार विधानसभा पहुंची बीजेपी विधायक शगुन परिहार और अब नगरोटा से जीतकर आईं देवयानी राणा, जिन्हें भाजपा में एक उदयीमान महिला नेतृत्व के रूप में देखा जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि देवयानी की जीत भाजपा की जम्मू क्षेत्र में बढ़ती पकड़ और महिला नेतृत्व को आगे बढ़ाने की रणनीति का संकेत देती है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के भीतर असंतोष की चिंगारी भी दिखाई देने लगी
इन सकारात्मक संकेतों के बीच नेशनल कॉन्फ्रेंस के भीतर असंतोष की चिंगारी भी दिखाई देने लगी है। हाल ही में बडगाम सीट पर पार्टी की अप्रत्याशित हार के बाद एनसी के श्रीनगर सांसद आगा सैयद रुहुल्लाह मेहदी ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को परोक्ष रूप से कटघरे में खड़ा कर दिया है। मेहदी ने कुरान की सूरह अल-आराफ (146) की एक आयत साझा करते हुए लिखा—“अहंकार इंसान को विनाश के रास्ते पर ले जाता है। विनम्रता और आत्मचिंतन ही आगे बढ़ने का मार्ग है।
रणनीति को लेकर असंतोष बढ़ रहा
राजनीतिक हलकों में इस टिप्पणी को पार्टी नेतृत्व पर सीधा तंज माना जा रहा है। चर्चा यह भी है कि बडगाम की हार से पार्टी में नेतृत्व शैली और रणनीति को लेकर असंतोष बढ़ रहा है। कुछ नेताओं का मानना है कि स्थानीय मुद्दों की अनदेखी और कार्यकर्ताओं को पर्याप्त महत्व न देने जैसी बातें एनसी की हालिया हार का कारण बन रही हैं। उधर, भाजपा देवयानी राणा की जीत को जम्मू क्षेत्र में अपने संगठनात्मक विस्तार और महिला सशक्तिकरण से जोड़कर देख रही है। भाजपा प्रदेश इकाई का कहना है कि यह परिणाम न केवल पार्टी की पकड़ मजबूत होने का संकेत है, बल्कि राजनीति में महिलाओं की बढ़ती भूमिका का भी प्रतीक है। सार रूप में, नगरोटा उपचुनाव ने एक ओर जहां महिला प्रतिनिधित्व का नया रिकॉर्ड बनाया है, वहीं दूसरी ओर नेशनल कॉन्फ्रेंस के अंदर उभरते असंतोष और सत्ता की राजनीति में नए समीकरणों की जमीन भी तैयार कर दी है।