पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों में बिजली और गन्ने की समस्या को लेकर विरोध पनप रहा है। किसान गन्ना भुगतान और चीनी मिलों की मनमानियों को लेकर परेशान हैं। इसके अलावा बिजली की अपर्याप्त आपूर्ति और नलकूपों पर मीटर लगाए जाने के साथ ही अनाप शनाप बिलों से भी किसान नाराज हैं। किसानों की बात सरकार के कानों तक पहुंचाने के लिए भाकियू ने सोमवार को मुजफ्फरनगर में किसान- मजदूर महापंचायत बुलाई है।
इसलिए भी खुद को ठगा महसूस कर रहा किसान
पश्चिमी उत्तर प्रदेश का किसान इसलिए भी खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है कि किसान नेता होने का दावा करने वाले रालोद मुखिया जयंत चौधरी किसान आंदोलन की पतवार पर सवार होकर सरकार में में शामिल हो गए, लेकिन उनके लिए किया कुछ नहीं।
... तो मुश्किलें रालोद की ही बढेंगी
माना जा रहा है कि रालोद का गढ़ माने जाने वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बुलाई गई इस महापंचायत में रालोद मुखिया के खिलाफ भी किसान मुखर हो सकते हैं, हालांकि यह भी तय है कि इस क्षेत्र में किसान आंदोलन तेज होता है तो मुश्किलें रालोद की ही बढेंगी। भाजपा उनसे आंदोलन को साधने की अपेक्षा करेगी और किसान, आंदोलन के समर्थन की।
कूकड़ा गुड़ मंडी में होगी महापंचायत
भारतीय किसान यूनियन ने गन्ना किसानों के रोष को देखते हुए सोमवार को मुजफ्फरनगर में कूकड़ा गुड़ मंडी में महापंचायत बुलाई है। इस महापंचायत को भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत और अध्यक्ष नरेश टिकैत के साथ ही पश्चिमी उत्तर के कई प्रभावी किसान नेता भी संबोधित करेंगे। किसान राजधानी में आयोजित यह महापंचायत आने वाले दिनों में बड़े आंदोलन की पृष्ठभूमि बन सकती है।
“महापंचायत की नहीं सुनी तो आंदोलन होगा”
राकेश टिकैत ने बताया कि भारतीय किसान यूनियन महापंचायत में मुख्य रूप से गन्ने और बिजली की समस्या समेत कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करेगी। महापंचायत में पास किए गए प्रस्तावों पर यदि केंद्र और प्रदेश सरकार ध्यान नहीं देंगी तो किसान आंदोलन की तैयारी करेगा। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रही। किसान के सामने आंदोलन के अलावा कोई रास्ता नहीं है।
देश भर में 77 चीनी मिलें हुईं बंद
गन्ना किसानों की बड़ी समस्या यह कि समय से भुगतान न करने के अलावा चीनी मिलें बंद भी हो रही हैं। जानकारों का कहना है कि देश भर में 77 चीनी मिलें फरवरी में ही बंद हो गई हैं, इनमें से पांच यूपी की हैं। कुछ अन्य चीनी मिलें भी सत्र समाप्ति का नोटिस दे चुकी हैं। सत्र समाप्ति की घोषणा की वजय पर्याप्त मात्रा में गन्ना न मिलना बताया जा रहा है। हालांकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ऐसे किसानों की भी कमी नहीं है, जिनका गन्ना अभी खेत में खड़ा है।